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खुलासा! चंपा के फूलों में गोल्डन रिंग दैवी चमत्कार नहीं बल्कि इसकी है करतूत

कानपुर में चंपा की पंखुड़ियों में कहीं-कहीं गोल्डन रिंग दिखते हैं, जिसे दैवी चमत्कार मानने का अंधविश्वास सदियों से चला आ रहा है। अब एक रिसर्च में पता चला है कि यह चमत्कार नहीं, एक वायरस की करतूत है।

खुलासा! चंपा के फूलों में गोल्डन रिंग दैवी चमत्कार नहीं बल्कि इसकी है करतूत
Srishti Kunjअभिषेक सिंह,कानपुरSun, 04 Dec 2022 12:18 PM

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कानपुर में चंपा की पंखुड़ियों में कहीं-कहीं गोल्डन रिंग दिखते हैं, जिसे दैवी चमत्कार मानने का अंधविश्वास सदियों से चला आ रहा है। अब एक रिसर्च में पता चला है कि यह चमत्कार नहीं, एक वायरस की करतूत है। वैज्ञानिकों ने इसे प्ले मोरिया मोजैक नाम दिया है। कानपुर-उन्नाव के वैज्ञानिकों का यह रिसर्च पेपर स्विट्जरलैंड की शोध पत्रिका फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलाजी ने प्रकाशित किया है।

रिसर्च टीम में शामिल अक्षय कटियार ने बताया कि टीम ने चंपा के फूलों पर तीन साल शोध के बाद अलग-अलग कई वायरसों के दुष्प्रभाव चिन्हित किए। हमें इसमें एक नया वायरस मिला। इसके दुष्प्रभाव से ही चंपा के फूलों में गोल्डेन रिंग बन रहा है। टीम ने इसका नाम प्ले मोरिया मोजैक रखा है। इसे दुनिया के प्रसिद्ध तीन जर्नल में से एक फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलाजी के नए अंक में प्रकाशित किया गया है।

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वायरस के दुष्प्रभाव चंपा के पौधों में मोजैक, ब्राउनिंग, शिराओं का मुड़ना, नैक्रोसिस के धब्बे, गोल्डेन रिंग जैसे लक्षण दिखते हैं। अब तक माना जाता था कि गोल्डेन रिंग के अलावा सभी लक्षण वायरस से होते हैं। अंधविश्वास था कि दैवी चमत्कार है।

रिसर्च टीम
- अक्षय कटियार, हुमायूंपुर, कानपुर देहात
- विकास सोलंकी, मध्य प्रदेश
- आलोक कुमार, बिहार
- रिसर्च गाइड बिकास मंडल, प्रमुख वैज्ञानिक, इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट
- स्विट्जरलैंड की शोध पत्रिका फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलाजी ने पेपर प्रकाशित किया
- टीम ने तीन साल शोध के बाद अलग-अलग कई वायरसों के दुष्प्रभाव चिन्हित किए
- फूलों में दो वायरस का सहसंक्रमण मिला, इनमें एक वायरस फ्रेंजोपानी मोजैक

अलग-अलग शहर व क्षेत्र में काम कर रहे वैज्ञानिक
अक्षय कटियार ने बताया कि वह उन्नाव के सुमेरपुर प्राइमरी स्कूल में साइंस टीचर हैं। विकास सोलंकी एक बीज कंपनी में कार्यरत हैं। आलोक इथोपिया के स्कूल आफ प्लांट साइंस, कालेज आफ एग्रीकल्चर एंड इनवायरमेंटल साइंस हारामाया में वैज्ञानिक हैं। रिसर्च (आईसीएआर) में शुरू की थी।

नारद से शापित होने का मिथ
किंवदंती है कि एक बार एक तपस्वी ने बुरी शक्तियां अर्जित करने के लिए भगवान शिव को चंपा अर्पित कर प्रसन्न कर लिया। उनसे मनचाहा वरदान पा लिया। पता चलने पर नारद ने पौधे से पुष्प तोड़ने की बात पूछी। पौधे ने किसी के द्वारा पुष्प तोड़ने से मना कर दिया। नारद पौधे के झूठ से कुपित हो गए।

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