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VIDEO: यहां शिवलिंग पर आज भी मौजूद है रावण के अंगूठे का निशान

खीरी जिले का पौराणिक स्थल गोला गोकर्णनाथ छोटी काशी के नाम से जाना जाता है। बनारस के बाद गोला को शिव आराधना का बड़ा केंद्र बन गया है। पौराणिक मान्यताओं व धार्मिक अभिलेखों के अनुसार लंका पति रावण ने...

VIDEO: यहां शिवलिंग पर आज भी मौजूद है रावण के अंगूठे का निशान
लखीमपुर-खीरीSun, 11 Feb 2018 07:02 PM
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खीरी जिले का पौराणिक स्थल गोला गोकर्णनाथ छोटी काशी के नाम से जाना जाता है। बनारस के बाद गोला को शिव आराधना का बड़ा केंद्र बन गया है। पौराणिक मान्यताओं व धार्मिक अभिलेखों के अनुसार लंका पति रावण ने घोर तपस्या के बाद भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें अपने साथ लंका चलकर वहां वास करने की प्रार्थना की।  इस पर भोलेनाथ ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर उसके साथ लंका चलने को राजी हो गए और साथ ही यह शर्त भी रखी कि यदि वह उनके शिवलिंग को रास्ते मे कहीं भी रख देगा तो वह वहीं स्थापित हो जाएंगे और वहां से नहीं हटेंगे।  गोला में  बेल वृक्षों का विशाल वन था। शिव जी को यह स्थान अति सुन्दर और मनोहारी लगा।

शिवजी अपनी इच्छा से वहां स्थापित हो गए। रावण ने कुछ देर के लिए शिवलिंग को एक ग्वाला को थमा दिया। पर भोलेनाथ के भार की वजह से ग्वाले ने शिवजी को वहीं स्थापित कर दिया। रावण ने शिवलिंग को पुन: उठाने के लिए अपना सारा तामसिक व शारीरिक बल लगा डाला लेकिन शिवलिंग वहां से टस से मस नहीं हुआ। उस दिन से भगवान भोलेनाथ का उसी जगह पर वास हो गया।  क्रोधित रावण ने उस शिवलिंग को अपने अंगूठे से दबा दिया जिससे शिवलिंग पर उसके अंगूठे का गड्ढ़ा सा बन गया। रावण का यह अंगूठा आज भी इस शिवलिंग पर मौजूद है। इस अंगूठे को स्थानीय लोग गाली (गड्ढा) भी कहते हैं और ऐसी मान्यता है कि यदि कोई भक्त श्रद्धापूर्वक इस अंगूठे से बनी गाली को भरना चाहे तो वह गाली भर जाती है । 

वर्जन
भगवान शिव की इस नगरी और इस मंदिर में हर सावन में लाखों श्रद्धालु आते हैं। शिवरात्रि पर यहां विशाल मेला लगता है। इसमें कई जगहों से लोग आकर शिरकत करते हैं।
जानकी गिरि, महंत

शिवरात्रि पर यहां पूरे दिन भंडारा होता है। सावन की तरह शिवरात्रि पर भी मंदिर विशेष तरह से सजाया जाता है। यह पौराणिक मंदिर है, जहां भगवान शिव अपनी इच्छा से वास कर रहे हैं।
प्रदीप गिरि, महंत

इस बार शिवरात्रि 13 और 14 फरवरी दोनों दिन पड़ेगी। लाखों श्रद्धालु इस मंदिर में आकर पूजन करेंगे। यहां मंदिर ही नहीं तीर्थ स्थल की भी मान्यता है। लोग यहां कर्मकांड व संस्कार भी कराते हैं।
मंगू शुक्ला, पंडा

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