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बागपत: दिल्ली-सहारनपुर हाईवे से सटे गांव में मिले पृथ्वीराज चौहान काल के दुर्लभ 16 सिक्के, टीले में छुपा हो सकता है खजाना

बागपत में दिल्ली-सहारनपुर हाईवे से सटे काठा गांव के प्राचीन टीले में सम्राट पृथ्वीराज चौहान एवं अन्य शासकों के दुर्लभ सिक्के मिले हैं। इतना ही नहीं इतिहासकार का दावा है कि टीले में पृथ्वीराज चौहान के...

बागपत: दिल्ली-सहारनपुर हाईवे से सटे गांव में मिले पृथ्वीराज चौहान काल के दुर्लभ 16 सिक्के, टीले में छुपा हो सकता है खजाना
Sneha Baluniसंवाददाता,बड़ौतWed, 01 Dec 2021 05:40 AM

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बागपत में दिल्ली-सहारनपुर हाईवे से सटे काठा गांव के प्राचीन टीले में सम्राट पृथ्वीराज चौहान एवं अन्य शासकों के दुर्लभ सिक्के मिले हैं। इतना ही नहीं इतिहासकार का दावा है कि टीले में पृथ्वीराज चौहान के समय का खजाना दबा हो सकता है। शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक इतिहासकार डॉ अमित राय जैन ने बताया कि टीले से मिले 16 दुर्लभ सिक्के डीएम को सौंपने के साथ उत्खनन की मांग भी की जाएगी, ताकि यहां छुपी दुर्लभ सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने लाया जा सके।

शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक इतिहासकार डॉ अमित राय जैन के अनुसार उन्हें खेकड़ा के निकटवर्ती गांव काठा के प्राचीन टीले के पुरातात्विक स्थल निरीक्षण में दिल्ली अधिपति राजा पृथ्वीराज चौहान सहित, राजा अनंगपाल देव, राजा मदनपाल, राजा चाहडा राजदेव के दुर्लभ 16 सिक्के प्राप्त हुए हैं। इतिहासकार डॉ अमित राय जैन ने बताया कि यह उपलब्धि बागपत एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहास के लिए नया आयाम सिद्ध होगी, क्योंकि किसी भी वंश के शासकों के सिक्कों की श्रंखला प्राप्त होना, वहां उस क्षेत्र पर उन राजाओं के आधिपत्य को सिद्ध करता है। 

मुद्रा शास्त्र के आधार पर शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए यह खोज महत्वपूर्ण है। पृथ्वीराज चौहान व उनके बाद के शासक राजा अनंगपाल तोमर, राजा चाहडा राजदेव, राजा मदन पाल देव के सिक्के प्राप्त होना जनपद बागपत के प्राचीन किले के महत्व को सिद्ध करता है। 

इतिहासकार अमित राय जैन का कहना है कि यह प्राचीन टीला हजारों वर्षों से यहां मौजूद है। यहां से कुषाण काल एवं बाद की सभ्यताओं के अवशेष मृदभांड इत्यादि प्राप्त होते रहे हैं। उसी श्रंखला में फिलहाल 16 सिक्कों का प्राप्त होना यह सिद्ध करता है कि यहां कोई बड़ी मानव बस्ती उस समय की रही होगी जहां पर व्यापारिक लेन-देन में सिक्कों का प्रचलन था।

चांदी एवं तांबा मिश्र धातु से निर्मित है काठा से प्राप्त सिक्के

खेकड़ा कस्बे के दिल्ली सहारनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से सटा हुआ प्राचीन काठा गांव का टीला दुर्लभ सिक्कों के प्राप्त होने से चर्चित हो गया है। सिक्कों के खोजकर्ता इतिहासकार डॉ अमित राय जैन ने सिक्कों की धातु के बारे में बताया कि यह बिलन धातु के सिक्के हैं, जिसका निर्माण चांदी एवं तांबे को मिश्र करके किया जाता था। चांदी क्योंकि अति दुर्लभ थी तो सिक्कों को बनाने में उसमें तांबे की मात्रा भी मिलाई जाती थी। यहां से प्राप्त सिक्कों में कुछ सिक्कों को रासायनिक विधि से साफ किया गया है, जिससे उन पर लिखे गए नामों का उल्लेख स्पष्ट रूप से किया जा सका है। 

डीएम को सौंपे जाएंगे सिक्के

16 दुर्लभ सिक्कों को जनपद बागपत डीएम राजकमल यादव को सौंपा जाएगा, ताकि उन पर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मेरठ सर्किल शाखा को भेजा जा सके। इतिहासकार अमित राय जैन की मांग है कि प्राचीन टीला पर भी यथासंभव उत्खनन का कार्य किया जाए ताकि यहां पर छुपे हुए दुर्लभ सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने लाया जा सके। उनका कहना है कि किले के अंदर कोई प्राचीन नगर किला और पृथ्वीराज चौहान इत्यादि राजाओं का खजाना भी दबा हो सकता है।