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हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिवः 1947 में नहीं, रामपुर को दो साल बाद मिली थी आजादी

15 अगस्त को हम सब जश्न-ए-आजादी मनाएंगे। सरकारी भवनों से लेकर विभिन्न संस्थाओं तक राष्ट्रध्वज फहरेगा। जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे और देश के आन-बान-शान के लिए मर-मिटने के संकल्प दोहराए जाएंगे।...

हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिवः 1947 में नहीं, रामपुर को दो साल बाद मिली थी आजादी
विपिन कुमार शर्मा,रामपुरSun, 12 Aug 2018 10:07 AM
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15 अगस्त को हम सब जश्न-ए-आजादी मनाएंगे। सरकारी भवनों से लेकर विभिन्न संस्थाओं तक राष्ट्रध्वज फहरेगा। जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे और देश के आन-बान-शान के लिए मर-मिटने के संकल्प दोहराए जाएंगे। लेकिन, यह जानकर आपको हैरत हो सकती है कि मुल्क भले ही 1947 में आजाद हो गया था लेकिन, रामपुर को स्वतंत्रता दो साल बाद मिली। दरअसल रामपुर कभी स्टेट हुआ करती थी। रजा लाइब्रेरी में मौजूद गजट और उस दौर के इतिहासकारों की मानें तो यहां नवाबों की रियासत होती थी। जो भारत देश की स्वतंत्रता के दो साल बाद 1949 में आजाद हुई।

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30 जून 1949 को हुआ रामपुर रियासत का सूर्यास्त
नवाब फैजुल्ला खां ने जिस रियासत की शुरूआत की, उसके अंतिम नवाब रजा अली खां रहे। जिन्होंने स्वतंत्र भारत में रामपुर रियासत को सबसे पहले मर्ज करने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए और तीस जून 1949 को रामपुर रियासत का सूर्यास्त हो गया। इस तरह यहां 174 साल, आठ माह और 23 दिन नवाबों की हुकूमत रही। 

जानें कैसे पड़ा रामपुर का नाम रामपुर
मुगलों के चार सौ साल के शासन से पहले 1200-1300 ई0 में कटेहर राजपूत शासकों का शासन था। रामसिंह रामपुर के राजा थे। इन्हीं के नाम पर चार छोटे-छोटे गांवों के समूह से बनाए गए इस नगर को रामपुर नाम दिया गया। सन 1774 में नवाबी शासन शुरू हुआ तो पहले नवाब फैजुल्ला खां को रामपुर नाम पसंद नहीं आया। उन्होंने नाम बदलते हुए रामपुर से फैजाबाद कर दिया। लेकिन, मुगलों ने प्राचीन काल से फैजाबाद बसाया हुआ था। यह जानकारी में आने पर नवाब ने रामपुर का नाम मुस्तफाबाद रखा। लेकिन, नवाब के सिपहसालारों ने बताया कि मुस्तफाबाद नाम के भी नगर हैं। इस पर उन्होंने रामपुर नगर का नाम बदलने का प्रस्ताव ही खारिज कर दिया। नतीजतन, अपना शहर आज भी रामपुर नाम से ही जाना जाता है।

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जानें कब क्या हुआ
1300 ईसवीं में कटेहर राजा रामसिंह ने बसाया था रामपुर।
07 अक्तूबर 1774 में नवाब फैजुल्ला खां हुए रामपुर के पहले नवाब।
14 मई 1949 को अंतिम रूप से तैयार हुआ स्टेट विलय का प्रस्ताव।
15 मई 1949 को नवाब रजा अली खां ने किए इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर।
30 जून 1949 रामपुर स्टेट में नवाबी हुकूमत का आखिरी दिन रहा।
01 जुलाई 1949 रामपुर आजाद, स्वतंत्र भारत में हुआ स्टेट का विलय।
30 नवंबर 1949 तक विलय के बाद रामपुर सीधे केंद्र के अधीन रहा।
01 दिसंबर 1949 को रामपुर को उत्तर प्रदेश राज्य का जिला बनाया गया।

इतिहासकार, नफीस अहमद सिद्दीकी के अनुसार देश आजाद होने के बाद रामपुर स्टेट के विलय की बात शुरू हो गई थी। अंतिम नवाब रजा अली खां के समक्ष विलय प्रस्ताव लाया गया। जिस पर संपत्ति समेत अन्य कई मुद्दों पर मंथन होता रहा। लिहाजा, प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में वक्त लग गया और इसी के चलते करीब दो साल बाद एक जुलाई 1949 को रामपुर आजाद हुआ।

विशेषज्ञ, महेंद्र गुप्ता के मुताबिक बंटवारे के दौरान कुछ लोगों ने रामपुर के पाकिस्तान में विलय करने की भी आवाज बुलंद की। जिसे रियासतकालीन फौज ने दबाने का प्रयास किया था। जिस पर खासा उपद्रव हुआ। मार्शल लॉ लागू किया गया। अंतिम नवाब ने रामपुर में तेजी से बदल रहे माहौल को देखते हुए रामपुर रियासत के विलय को मंजूरी दे दी।

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