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राममंदिर निर्माण: 2023 तक शुरू होगी पूजा-अर्चना, परिसर को पूरी तरह तैयार होने में लगेंगे और दो साल 

अयोध्‍या में राममंदिर निर्माण तेजी से चल रहा है। इस बीच खबर है कि राममंदिर को 2023 तक आम भक्‍तों के लिए खोले जाने की तैयारी है। हालांकि राममंदिर परिसर के पूरी तरह बनकर तैयार होने में और दो...

राममंदिर निर्माण: 2023 तक शुरू होगी पूजा-अर्चना, परिसर को पूरी तरह तैयार होने में लगेंगे और दो साल 
लाइव हिन्‍दुस्‍तान टीम ,अयोध्‍याFri, 16 Jul 2021 06:34 AM
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अयोध्‍या में राममंदिर निर्माण तेजी से चल रहा है। इस बीच खबर है कि राममंदिर को 2023 तक आम भक्‍तों के लिए खोले जाने की तैयारी है। हालांकि राममंदिर परिसर के पूरी तरह बनकर तैयार होने में और दो साल लगेंगे। 

श्री राम जन्‍मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट की बैठक में इस बारे में फैसला लिया गया। तय किया गया कि मंदिर को श्रद्धालुओं और आम जनता के लिए 2023 तक खोल दिया जाएगा। लोग यहां आकर पूजा-अर्चना कर सकेंगे। 70 एकड़ में फैले मंदिर के पूरे परिसर को तैयार करने में 2025 तक का वक्‍त लगेगा। तब तक मंदिर परिसर को पूरी तरह विकसि‍त कर लिया जाएगा। ट्रस्‍ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि काम काफी तेजी से चल रहा है। 2023 में भक्‍तों का इंतजार पूरा हो जाएगा।

 

दो शिफ्ट में चल रहा काम

अयोध्‍या में राममंदिर का भूमि पूजन पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने किया था। इस वक्‍त वहां दो शिफ्टों में काम चल रहा है। मार्च से निर्माण कार्य शुरू हुआ है। निर्माण के बीच राममंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा का कड़े इंतजाम रहते हैं। पूरे परिसर की 24 घंटे निगरानी की जा रही है।  

अलग-अलग तरह के पत्‍थरों का हो रहा इस्‍तेमाल 

 

रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के निर्माणाधीन मंदिर में अलग-अलग तरह के कुल पत्थरों को मिलाकर करीब 12 लाख घनफुट पत्थरों का प्रयोग किया जाएगा। रामलला का मूल मंदिर यानी कि तकनीकी भाषा में सुपर स्ट्रक्चर का निर्माण राजस्थान के बंशीपहाड़पुर के लाल बलुआ पत्थरों से ही होना पूर्व निर्धारित है।

राम मंदिर आंदोलन के समय ही इस पत्थर का न केवल चयन किया गया बल्कि सवा लाख घनफुट पत्थरों को तराश कर पहली मंजिल के मंदिर निर्माण की तैयारी भी हो गयी थी। रामसेवकपुरम व रामघाट स्थित कार्यशाला सहित रामजन्मभूमि परिसर में अभी भी करीब एक लाख घनफुट अनगढ़े पत्थर सहेजकर रखे गये हैं। वर्ष दो हजार से बंद पड़ी रामजन्मभूमि कार्यशाला को दोबारा इन्हीं अनगढ़ पत्थरों के साथ शुरूआत करने की अंदरखाने तैयारियां भी की जा रही हैं। फिलहाल कार्यशाला शुरू होने से पहले इसके विभिन्न तकनीकी पक्ष पर मंथन के लिए दो दिन से चल रही मंदिर निर्माण समिति की बैठक का समापन गुरुवार को हो गया। सुबह व शाम के दो अलग-अलग सत्रों में हुई इस बैठक के निष्कर्ष को रामजन्मभूमि ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने मीडिया के साथ साझा किया।

राम मंदिर के सुपर स्ट्रक्चर की मूल नींव 16 फुट की होगी

उन्होंने बताया कि सुपर स्ट्रक्चर के अलावा राम मंदिर की खिड़कियां भी बंशीपहाड़पुर के ही लाल बलुआ पत्थरों से बनाई जाएगी। इसके अलावा चौखट का निर्माण मकराना के उच्च गुणवत्ता वाले सफेद पत्थर से किया जाएगा। ट्रस्ट महासचिव ने बताया कि राम मंदिर यानि के सुपर स्ट्रक्चर की मूल नींव 16 फुट की होगी। इसमें भी बंशीपहाड़पुर के लाल बलुआ पत्थर लगेंगे लेकिन इसके नीचे नींव को दो फिट ऊंचा उठाने के लिए मिर्जापुर के स्लेटी (ग्रे) रंग के पत्थरों का उपयोग किया जाना तय हो गया है।

परकोटा निर्माण में राजस्थान के जोधपुर के पत्थरों का होगा इस्तेमाल

मंदिर परिसर के बाहर करीब पांच एकड़ में प्रस्तावित परकोटा निर्माण में राजस्थान के जोधपुर के पत्थरों का इस्तेमाल किए जाने का निर्णय लिया गया है। बैठक में मंदिर निर्माण समिति अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र, ट्रस्टी डा. अनिल मिश्र के अलावा एलएण्डटी, टीईसी, सीबीआरआई, रुड़की व आईआईटी, चेन्नई के विशेषज्ञ मौजूद रहे। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि वर्चुअल शामिल हुए।

1. मंदिर में लगने वाले अवशेष बंशीपहाड़पुर के पत्थरों का आंकलन: करीब तीन लाख 60 हजार घनफुट

2. नींव में मिर्जापुर के ग्रे रंग का पत्थर व ग्रेनाइट का आंकलन: करीब चार लाख घनफुट

3. परकोटा के निर्माण मेंं जोधपुर के पत्थरों का आंकलन :: करीब चार लाख घनफुट

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