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प्रियंका की गंगा यात्रा: अनूठी यात्रा से अंतिम आदमी तक पहुंचने की कोशिश

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गंगा यात्रा के नाम से समाज के उन वर्गों तक पहुंचने की कोशिश की है जहां बड़े नेता नहीं पहुंच पाए। प्रियंका की तीन दिवसीय गंगा यात्रा को 'सांची बात प्रियंका के...

प्रियंका की गंगा यात्रा: अनूठी यात्रा से अंतिम आदमी तक पहुंचने की कोशिश
प्रयागराज। लाल रणविजय सिंहTue, 19 Mar 2019 09:41 AM
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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गंगा यात्रा के नाम से समाज के उन वर्गों तक पहुंचने की कोशिश की है जहां बड़े नेता नहीं पहुंच पाए। प्रियंका की तीन दिवसीय गंगा यात्रा को 'सांची बात प्रियंका के साथ' नाम दिया गया है। यात्रा के पहले दिन प्रियंका ने मनैयाघाट से सीतामढ़ी तक यात्रा की। इसमें प्रियंका ने गंगा किनारे रहने वाले हर वर्ग से मुलाकात करने की कोशिश की। मनैयाघाट से सीतामढ़ी के बीच गंगा के तट पर रहने वाली आबादी कहीं समृद्ध है तो कहीं कमजोर। मनैयाघाट से दुमदुमाघाट जाते हुए प्रियंका ने मल्लाह, दलित व अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों से संवाद किया। गंगा किनारे इस हिस्से में रहने वालों की गंगा जीवनरेखा है। इस वर्ग के साथ प्रियंका ने गंगा के दर्द पर बात की। 

सिरसाघाट के पास व दुमदुमाघाट की मीटिंग में प्रियंका ने सरकार को आड़े हाथ लिया। दुमदुमाघाट पर प्रियंका की मीटिंग आंगनबाड़ी और आशा बहुओं की समस्याओं पर सिमटी रही। प्रदेश कांग्रेस के संगठन मंत्री क्रांति शुक्ल ने बताया कि प्रियंका गंगा यात्रा में लोगों के साथ सच्ची बात करने निकली हैं। लोग सरकार के जुमलों से परेशान हैं। इसलिए प्रियंका सीधे लोगों से संपर्क कर सीधे संवाद कर रही हैं। क्षेत्र में गंगा तट पर पिछड़ेपन को भी कांग्रेस चुनाव में मुद्दा बना सकती है।

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इस क्षेत्र में ब्राह्मण, निषाद, दलित के अलावा बड़ी संख्या में पिछड़ी जातियां रहती हैं। प्रयाग से काशी की तीन दिवसीय गंगा यात्रा लोकसभा चुनाम के समय शुरू हुई। कांग्रेस महासचिव होने के साथ पार्टी की पूर्वांचल प्रभारी भी हैं। इसलिए पार्टी को पूर्वांचल में जान फूंकने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस जिम्मेदारी का ही प्रियंका ने प्रयागराज से आगाज किया। क्षेत्र में गंगा यात्रा का मकसद हर जाति के लोगों के साथ संवाद या मीटिंग की। 

गंगा की तटीय आबादी थी कांग्रेस का गढ़

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सोमवार को गंगा के जिन तटीय इलाकों का दौरा किया वो कभी कांग्रेस के गढ़ थे। बीते पांच दशक में अन्य पार्टिंयों ने कांग्रेस के वोट बैंक पर कब्जा जमा लिया। अब प्रियंका कांग्रेस के वोट बैंक को वापस पार्टी में लाना चाहती हैं। पांच दशक पहले जिन क्षेत्रों पर कांग्रेस का वर्चस्व था वहां पहले समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने घुसपैठ की। इलाहाबाद लोकसभा सीट पर 1984 तक कांग्रेस का कब्जा था। उसके बाद इस सीट पर कांग्रेस लगातार सिकुड़ती रही। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथ सीट चली गई। इसी प्रकार गंगा के तटीय इलाकों की विधानसभा सीट करछना पर सपा, मेजा और हंडिया भाजपा के कब्जे में है। 

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