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कोरोना काल का असर आज भी! स्कूलों में स्टूडेंट्स क्लास में सवाल भी कम पूछ रहे, लिखने में भी सुस्त

कोविड काल समाप्त हुए दो वर्ष बीत गए लेकिन स्कूलों में अभी भी पूर्व जैसी स्थितियां नहीं लौटी हैं। संकट जूनियर में कम लेकिन सीनियर वर्ग में अधिक आ रहा है। छात्र कक्षाओं में सवाल कम पूछ रहे हैं।

कोरोना काल का असर आज भी! स्कूलों में स्टूडेंट्स क्लास में सवाल भी कम पूछ रहे, लिखने में भी सुस्त
Srishti Kunjहिन्दुस्तान टीम,कानपुरSat, 03 Dec 2022 08:04 AM

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कोविड काल समाप्त हुए दो वर्ष बीत गए लेकिन स्कूलों में अभी भी पूर्व जैसी स्थितियां नहीं लौटी हैं। संकट जूनियर में कम लेकिन सीनियर वर्ग में अधिक आ रहा है। छात्र कक्षाओं में सवाल कम पूछ रहे हैं। जूनियर के मुकाबले सीनियर छात्र अभी भी लिखने में ज्यादा सुस्त हैं। साइकोलॉजिकल टेस्टिंग एंड काउंसिलिंग सेंटर (पीटीसीसी) ने दस स्कूलों में बच्चों के व्यवहार पर अध्ययन किया है। फिलहाल रिपोर्ट पूरी नहीं है लेकिन कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिसे लेकर स्कूल चिंतित हैं। 

सीनियर अधिक सुस्त, जूनियर एक्टिव
पीजी से कक्षा 08 तक के बच्चे सामान्य तौर पर अधिक एक्टिव हैं। सीनियर वर्ग में उदासीनता ज्यादा है। सीनियर वर्ग असेंबली से लेकर स्पोर्ट्स और कल्चरल इवेंट्स में अधिक रुचि नहीं ले रहा है। कक्षाओं के अंदर जूनियर तो सवाल पूछ रहे हैं और जवाब से संतुष्ट भी दिखते हैं लेकिन सीनियर क्लास में कम सवाल पूछते हैं। जवाबों से अधिक संतुष्ट भी नहीं हैं। 

इन कक्षाओं में अधिक परेशानी
पीजी से कक्षा 01 में पहुंचने वाले, कक्षा 08 से 10 व कक्षा 10 से 12 के छात्र अधिक प्रभावित हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इन कक्षाओं में वर्तमान में जो बच्चे हैं, वह कोविड काल में उन महत्वपूर्ण कक्षाओं में थे जहां लिखने या महत्वपूर्ण परीक्षाएं देने का समय था। अब कक्षा 01 में सीधे उन्हें लिखना पड़ रहा है। 

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पीटीसीसी, डायरेक्टर, डॉ. एलके सिंह ने कहा कि कोविड काल को दौरान दो साल घरों में रहकर बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई की है। इसका प्रभाव धीरे-धीरे समाप्त होगा। स्कूलों को इसमें अधिक मेहनत करनी पड़ रही है। कैसे सुधार होगा इसके लिए गाइडलाइन तैयार करेंगे। मनोवैज्ञानिक, आसमां खान ने कहा कि कोविड काल का असर घरों पर अधिक पड़ा था। स्पष्ट है कि स्कूली बच्चे भी इससे प्रभावित हुए। बच्चों ने स्क्रीन टाइम अधिक दिया है। ऑनलाइन अच्छे शिक्षकों से पढ़ा है। इसका असर सामने आ रहा है।

जाग्रत सहोदय, उपाध्यक्ष, प्रतीक श्रीवास्तव ने कहा कि जूनियर बच्चे जल्दी सामान्य हो गए लेकिन सीनियर में दिक्कत है। इनकी काउंसिलिंग करानी पड़ती है। जिन कक्षाओं में बेस मजबूत होता है वह कक्षाएं इन बच्चों ने घरों में पढ़ी हैं। सभी बच्चे एकसमान नहीं हो सकते।

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