लखनऊ में प्रदूषण ने बढ़ाई सांस के मरीजों की मुश्किल, अस्पतालों में बढ़े 20 प्रतिशत मरीज
प्रदूषण ने सांस के मरीजों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ओपीडी में 20 प्रतिशत सांस के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। डॉक्टरों ने सांस के मरीजों को खास एहतियात बरतने की सलाह दी है। ठंड बढ़ने...
प्रदूषण ने सांस के मरीजों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ओपीडी में 20 प्रतिशत सांस के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। डॉक्टरों ने सांस के मरीजों को खास एहतियात बरतने की सलाह दी है।
ठंड बढ़ने के साथ ही प्रदूषण में भी इजाफा हो रहा है। राजधानी के कई इलाकों में सड़कें भी खुदी हुई है। धूल गर्दा का स्तर वातावरण में बढ़ गया है। धुंध की वजह से प्रदूषण के कण वातावरण के निचली सतह पर ही हैं। जो सांस के जरिए फेफड़ों में पैबस्त हो रहे हैं। इसका असर सांस के मरीजों पर पड़ रहा है।
केजीएमयू रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि ओपीडी में 50 मरीज देखे जा रहे हैं। सांस के 20 मरीज प्रदूषण की वजह से बीमार होकर आए हैं। मरीजों के सांस की नली में सूजन व फेफड़े में संक्रमण का पता चल रहा है। मरीजों को सांस लेने में दिक्कत आ रही है। उन्होंने बताया कि सांस के मरीज बदलते मौसम में सावधानी बरतें।
गर्म पानी से गरार करें
केजीएमयू के डॉ. अजय वर्मा ने बताया कि सांस के मरीज डॉक्टर से सलाह लें। ठंडी चीजों के सेवन से बचें। गर्म कपड़े पहने। धूप निकलने के बाद ही टहले। घर से निकलते वक्त मास्क लगाएं। वापस आने पर गुनगुने पानी से गरारे करें। हल्के गर्म पानी से स्नान करें, ताकि प्रदूषित कण त्वचा को नुकसान न पहुंचा सकें।
बच्चे भी बेहाल
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष वर्मा के मुताबिक बच्चों की सेहत पर भी प्रदूषण भारी पड़ रहा है। सांस लेने में समस्या, सीने में दर्द, खांसी की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। छोटे बच्चों का खांस-खांसकर बुरा हाल है। ऐसे में डॉक्टरों ने सलाह दी है कि जितना हो सके घर से बाहर निकलने को टालें, बहुत जरूरी होने पर मास्क का इस्तेमाल करें।