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जांच की धीमी चाल से दागी पुलिसवाले बन रहे ढींठ, मनीष गुप्‍ता हत्‍याकांड ने खुला चहेतों की फाइल दबाने का खेल

अफसरों की धीमी जांच ने गलती के बाद भी पुलिसवालों के अंदर भय खत्म दिया है इसका जीता जागता उदाहरण जेएन सिंह और राहुल दुबे के रूप में पब्लिक ने देखा और महसूस भी किया उसके बाद भी जांच की रफ्तार वही...

जांच की धीमी चाल से दागी पुलिसवाले बन रहे ढींठ, मनीष गुप्‍ता हत्‍याकांड ने खुला चहेतों की फाइल दबाने का खेल
विवेक पांडेय ,गोरखपुर Wed, 27 Oct 2021 07:11 AM

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अफसरों की धीमी जांच ने गलती के बाद भी पुलिसवालों के अंदर भय खत्म दिया है इसका जीता जागता उदाहरण जेएन सिंह और राहुल दुबे के रूप में पब्लिक ने देखा और महसूस भी किया उसके बाद भी जांच की रफ्तार वही है।

हाल यह है कि अफसर जिसे जल्दी सजा देना चहाते हैं उनकी फाइल का निस्तारण जल्द से जल्द कर दिया जाता है और जिस पर मेहरबानी होती है उसकी रफ्तार कछुआ चाल से भी धीमी चलती है। लेकिन यही धीमी रफ्तार जेएन सिंह जैसे पुलिसवालों को भी पैदा करती है। जिससे पुलिस विभाग को शर्मसार होना पड़ता है। बात हो रही है मृतक को गैंगेस्टर बनाने वाले इंस्पेक्टर के जांच की।

डेढ़ साल पहले मरे चुके बदमाश पर थाने में बैठे-बैठे ही रिपोर्ट लगाकर गैंगस्टर की कार्रवाई कराने वाले इंस्पेक्टर ने गोरखपुर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा दिया था। लगा था कि इस मामले में ऐसे लापरवाह पुलिसवालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होगी। हालांकि एसएसपी गोरखपुर ने इस मामले की जांच बैठा दी थी और सीओ ऑफिस को जांच अधिकारी बनाया है पर जांच शुरू हुए एक महीने से भी ज्यादा वक्त बीत गया है। लेकिन इस जांच का कोई नतीजा सामने नहीं आया है। बताया जा रहा है कि जिस इंस्पेक्टर ने यह शर्मनाक कारनामा किया है। वह जांच शुरू होते ही ट्रांसफर पर देवरिया चला गया है। अब बयान न होने का आधार बनाकर यह जांच लटक रही है। बताया तो यही जा रहा है बयान में जितना समय लगेगा उतनी ही इंस्पेक्टर को राहत मिलेगी। फिलहाल अकेले एक इंस्पेक्टर का ही मामला नहीं है। कई ऐसे मामले हैं जिसमें कुछ इसी तरह की कमियों से जांच लटकाकर जेएन सिंह बनने की राह पर चलने वाले पुलिसकर्मियों को अफसर पहले मौका देते हैं और फिर जब यह घटना होती है तब पछतावा का नाटक करते हैं। जेएन सिंह की भी ऐसे ही कई जांच चली और अपने हिसाब से मैनेज होती रही। यही नहीं, मनीष गुप्ता हत्याकांड में आरोपित दरोगा राहुल दुबे के खिलाफ भी एक जांच चल रही थी। पर जांच पूरी हुए बिना राहुल दुबे को रामगढ़ताल थाने पर तैनाती मिली और अब वह हत्या का आरोपित बन बैठा है।

इस तरह मृतक बना था गैंगस्टर

गोला पुलिस ने तीन बदमाशों के खिलाफ 26 मई 2021 को गैंगस्टर की रिपोर्ट भेजी थी। तत्कालीन इंस्पेक्टर संतोष कुमार की तरफ से भेजी गई रिपोर्ट में 2016 में लूट के मामले में जेल जा चुके बड़हलगंज थाना क्षेत्र के फड़सार गांव के राजेश यादव और उरुवा के मनीष यादव और राहुल यादव पर गैंगस्टर की कार्रवाई हुई। डीएम के यहां से यह फाइल जुलाई के पहले सप्ताह में गोला थाने पर पहुंची थी। इससे पहले तीन जुलाई को संतोष कुमार को बदमाशों के सत्यापन में लापरवाही के मामले में तत्कालीन एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु ने निलम्बित कर दिया था।

नए थानेदार सुबोध कुमार ने अनुमोदित फाइल के हिसाब से तहरीर देकर केस दर्ज कराया और तीनों बदमाशों की तलाश शुरू हो गई। 24 जुलाई को पुलिस ने गैंग लीडर मनीष यादव को पकड़ लिया। वहीं राजेश यादव और राहुल यादव की तलाश जारी रही। गोला पुलिस राजेश यादव के घर पहुंची तब पता चला कि उसकी तो 26 नवम्बर 2019 में देवरिया के बनकटा क्षेत्र में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद मामले को दबाने की कोशिश शुरू हो गई। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने 16 सितंबर के अंक में इसका खुलासा किया तो पुलिस विभाग में हड़कम्प मच गया।

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