डॉक्टर को फर्जी रेप के आरोप में फंसाने के बदले कथित पत्रकार के साथ मिलकर आठ लाख रुपये वसूलने वाले दरोगा शिव प्रकाश सिंह पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है। कार्रवाई की जद में पुलिस विभाग का बाबू ज्ञानेंद्र सिंह भी है। ज्ञानेंद्र एसएसपी का प्रधान लिपिक रहने के दौरान चिकित्सा प्रतिपूर्ति की फाइल पास करने के बादले घूस लेते पकड़ा गया था। आईजी के आदेश पर दोनों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक यह कार्रवाई सेक्शन 7(बर्खास्तगी) तक जाएगी।
शहर के वरिष्ठ मनो चिकित्सक डॉ. रामशरण दास से ट्रांसपोर्ट नगर चौकी इंचार्ज रहे दरोगा शिव प्रकाश सिंह ने कथित पत्रकार प्रणव त्रिपाठी के साथ मिलकर फर्जी रेप की तहरीर पर आठ लाख रुपये वसूल लिया था। 21 मई 2019 को प्रकाश में आई घटना में पुलिस ने दरोगा और कथित पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया था। दोनों वर्तमान में जमानत पर बाहर हैं। हालांकि उन्हें जमानत दिलाने के पीछे विवेचना में चार्जशीट दाखिल करने में देरी और बयानों के विरोधाभाष को सामने रखना भी एक बड़ी वजह थी। जब यह मामला आईजी के संज्ञान में आया तो उन्होंने दरोगा की विवेचना उसके साथी दरोगा से कराने पर सवाल उठाया और इंस्पेक्टर को विवेचना सौंपने के साथ जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल करने के लिए कहा। आईजी ने इस मामले में दरोगा के खिलाफ चार्जशीट के लिए अभियोजन स्वीकृति भी दे दी है।
वहीं दूसरी घटना 18 जून को समाने आई। एसएसपी आफिस में तैनात प्रधान लिपिक को चिकित्सा प्रतिपूर्ति की फाइल पास कराने के बदले घूस लेते लखनऊ से आई एंटी करप्शन की स्पेशल टीम ने दबोच लिया था। वर्तमान में ज्ञानेन्द्र बाबू जमानत पर बाहर है। बाहर निकलने के बाद बाबू को बहाल भी कर दिया गया था। इस मामले की जानकारी जैसे ही आईजी को हुई तो उन्होंने एसएसपी से 14 (2) की कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इस कार्रवाई में विभागीय जांच कर निलम्बत करने के साथ ही दंड देना होता है। इसी कार्रवाई के बीच इनके खिलाफ सेक्शन 7 तक की कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। सेक्शन 7 बर्खास्तगी की कार्रवाई होती है।