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तेलंगाना से मुरादाबाद तक प्रेमी के आने-जाने का खर्चा उठा रही थी महिला, धर्म बदलने के लिए शिखा से सोना बनकर रखने लगी थी रोजा

मासूम ध्रुव की मां शिखा पर अशफाक के इश्क का नशा इस कदर सवार था कि वह उसके लिए कुछ भी करने को तैयार थी। वह अशफक को पाने के लिए धर्म बदलने को भी राजी थी। उसने रोजे रखकर इसका सुबूत भी अपने प्रेमी को दे...

Dinesh Rathour मुरादाबाद। विकास शर्मा , Wed, 19 Aug 2020 07:33 AM
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तेलंगाना से मुरादाबाद तक प्रेमी के आने-जाने का खर्चा उठा रही थी महिला, धर्म बदलने के लिए शिखा से सोना बनकर रखने लगी थी रोजा

मासूम ध्रुव की मां शिखा पर अशफाक के इश्क का नशा इस कदर सवार था कि वह उसके लिए कुछ भी करने को तैयार थी। वह अशफक को पाने के लिए धर्म बदलने को भी राजी थी। उसने रोजे रखकर इसका सुबूत भी अपने प्रेमी को दे दिया था। इस अप्रत्याशित बदलाव पर पति ने समझाने का प्रयास किया तो उसने कत्ल की धमकी भी दे डाला। पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है 2018 में अशफाक ने हिंदू लड़की स्वीटी नाम से फेसबुक पर आईडी बनाई थी। इसी नाम से उसने शिखा से दोस्ती की थी। करीब चार माह तक दोनों के बीच बात होती रही। इस दौरान दोनों के रिश्ते इतने मजबूत हो गए कि जब एक दिन अशफाक ने अपने लड़की न होने का राज खोला तो शिखा को कोई हैरत नहीं हुई।

अशफाक के दूसरे धर्म से होने का भी शिखा को कोई ऐतराज नहीं हुआ। अशफाक का झूठ यहीं खत्म नहीं हुआ था। उसने पहले खुद को इंजीनियर बताया था लेकिन बाद में बताया कि वह तेलंगाना स्थित निजामाबाद में शोभा इलेक्ट्रानिक्स में कर्मचारी है। इन झूठों को भी शिखा दरकिनार करती रही और उनका प्रेम परवान चढ़ता रहा। जब अशफाक ने उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया तो इसे भी शिखा ने आसानी से मान लिया। उसका भरोसा जीतने के लिए ही 2019 से ही उसने अपना नाम सोना रख लिया और रोजे रखने लगी। उधर, शिखा भी अशफाक को प्रेम में बाबू कहने लगी थी। शिखा के रोजे रखने पर ससुराल वालों के अलावा चंदौसी में रहने वाले उसके भाई और माता-पिता ने भी विरोध किया लेकिन किसी को इस बात की भनक नहीं लगी कि शिखा कोई और ही गुल खिला रही है।

दो साल में 22 बार मुरादाबाद आया अशफाक, लाखों खर्च किया शिखा ने

पुलिस पूछताछ में अशफाक ने पुलिस को बताया कि बीते दो सालों में वह 22 बार मुरादाबाद आया। यहां उसके होटल में रुकने से लेकर वापस तेलंगाना लौटने तक का पूरा खर्चा शिखा ही उठाती थी। उसके शहर पहुंचने से पहले ही होटल में शिखा कमरा बुक करा देती थी। रामनगर और नैनीताल के होटलों में भी शिखा और अशफाक साथ रुक चुके हैं।

कचहरी में परिजन खो बैठे आपा

शिखा का मायका चंदौसी का है। भाइयों सचिन और शम्मी की कचहरी में फोटोस्टेट की दुकान है। कलियुगी बहन के कारनामे सुनकर दोनों भाई और परिजन भी यहां आए थे। कचहरी पहुंचने पर दोनों ने शिखा को अशफाक के साथ देखा। इसके बाद दोनों का धैर्य जवाब दे गया। दोनों की पिटाई करने की कोशिश की, लेकिन ड्यूटी पर मौजूद कांस्टेबल अंकुल चौधरी ने शिखा और अशफाक को किसी तरह बचाया।
 

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