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ताजमहल में मुफ्त प्रवेश से अफरातफरी, भारी भीड़ को रोकने के लिए लाठीचार्ज, कई बच्चे बिछड़े

ताजमहल में शाहजहां का तीन दिवसीय उर्स मनाया जा रहा है। तीसरे दिन मंगलवार को पूरी दिन यहां प्रवेश निशुल्क कर दिया गया था। इसके कारण भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भीड़ को संभालने में पुलिस के पसीने छूट गए।...

ताजमहल में मुफ्त प्रवेश से अफरातफरी, भारी भीड़ को रोकने के लिए लाठीचार्ज, कई बच्चे बिछड़े
आगरा हिन्दुस्तानTue, 01 Mar 2022 07:21 PM
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ताजमहल में शाहजहां का तीन दिवसीय उर्स मनाया जा रहा है। तीसरे दिन मंगलवार को पूरी दिन यहां प्रवेश निशुल्क कर दिया गया था। इसके कारण भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भीड़ को संभालने में पुलिस के पसीने छूट गए। लोगों को रोकने के लिए लाठीचार्ज तक करना पड़ा। भगदड़ में कई लोगों को चोटें आई हैं। कई बच्चे अपनों से बिछड़ भी गए हैं। इस दौरान शाहजहां की कब्र पर 1382 मीटर कपड़े की सतरंगी चादर भी चढ़ाई गई। 

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मंगलवार को ताजमहल जाने वाली सड़कें सैलानियों से लबालब। हर गली में भीड़। स्मारक परिसर में तो पैर रखने की जगह नहीं। भीड़ इतनी कि चेकिंग हो तो कैसे। सुरक्षाकर्मियों ने अपनी सहायता को वालिंटियर्स लगाए पर वे भी फेल हो गए। जनसैलाब में बच्चे भी सुरक्षित नहीं बचे। अपने परिजनों से छूट गए। बार-बार भीड़ नियंत्रित करने की कोशिश जब नाकाम हुई तो सुरक्षा बलों ने लाठियां फटकारीं। सुबह से लेकर शाम तक ताजमहल पर यही चलता रहा। 

ताजमहल के अंदर और बाहर के इलाकों का भी हाल बुरा था। इससे पहले इतनी भीड़ कभी नहीं देखी गई। छोटे-छोटे बच्चे भीड़ में ही खो गए। उन्हें संभालने वाला कोई नहीं था। बच्चे अपने परिजनों से बिछुड़ने के बाद रोते हुए दिखे। सेंट्रल टैंक और चमेली फर्श पर तो अराजकता का आलम था।

भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बल के जवानों को कई बार लाठियां फटकारनी पड़ीं। इतना ही नहीं पिटने के बाद भी लोग मानने को तैयार नहीं थे। जहां जिसे रास्ता मिलता, उधर से ही गुजर जाता। सुरक्षाकर्मी सीटी बजाकर उन्हें नियमों का पालन करने की सलाह देते रहे, लेकिन किसी ने भी उनकी एक नहीं सुनी। 

क्षमता से अधिक सैलानियों के आने से हुई दिक्कत
एएसआई ने दो साल पहले ताजमहल में एक सैलानी के दो घंटे रुकने और उस दौरान 10 हजार लोगों के रहने की क्षमता तय करने का प्रस्ताव भी तैयार किया था। ऐसा इसलिए करना पड़ा था कि तीन साल पहले ज्यादा भीड़ आने पर भीड़ को नियंत्रित न कर पाने पर ताजमहल में मुख्य गुंबद पर जाने की अलग से टिकट लेने की व्यवस्था कर दी गई थी। क्राउड मैनेजमेंट के तंहत इसे स्टेप टिकटिंग नाम दिया गया था। उसके बाद भी ये नियम मंगलवार को पूरी तरह से फेल हो गया। 

अंदेशे के बाद भी नही कर पाए व्यवस्थाएं
शाहजहां के उर्स पर हर साल आखिरी दिन इसी तरह की भीड़ रहती है। इस बार भी भीड़ होना स्वाभाविक थी। बता दें कि उर्स के आखिरी दिन ताजमहल में एंट्री फ्री रहती है। फिर ज्यादा भीड़ आने को देखते हुए व्यवस्थाएं क्यों नहीं हो पाईं। अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल का कहना है कि एक लाख से ज्यादा भीड़ होने के कारण थोड़ी बहुत तो परेशानी हो ही सकती है। इतनी भीड़ को संभालने के लिए सुरक्षा बल के मात्र 500 जवान ही अंदर तैनात हैं। फिर भी कोशिश की गई कि ताजमहल के किसी भी किसी भी हिस्से को कोई किसी तरह का नुकसान न पहुंचा सके। 

ताज की चमकी जैसा था पूरे इलाके में नजारा
80 के दशक से पंहले शरद पूर्णिमा पर रात में ताज का दीदार करने वाले सैलानियों की भारी भीड़ रहती थी। तब उसे लोग लक्खी मेला कहा करते थे। आगरा ही नहीं आसपास के जिलों के लोग भी चांदनी रात में नहाए ताज को देखने के लिए आते थे। लोग ताजमहल की झलक देखते ही कहा करते थे ये चमकी, वो चमकी। इस लक्खी मेले में भी लाखों लोग सड़कों पर हुआ करते थे। मंगलवार को भी उन्हीं दिनों की याद ताजा हो गई। मंगलवार को भी एक लाख से ज्यादा सैलानी ताजमहल और ताजगंज के इलाके में थे। 

समय से पहले रोके सैलानी, हजारों ताज बिना देखे लौटे
शाम को भीड़ अनियंत्रित होते देख एएसआई ने दोनों गेटों से सैलानियों का प्रवेश रोक दिया। शाम पांच बजे के बाद ताज देखने आने वाले सैलानियों को रोक दिया गया। हजारों की संख्या में सैलानी बिना ताजमहल देखे ही लौटने को मजबूर हुए। नाराज सैलानियों ने प्रवेश न देने के विरोध में नारेबाजी भी की। ताज न देख पाने से आक्रोशित सैलानियों को पुलिस ने काफी देर तक समझाने की भी कोशिश की। सैलानियों का कहना था कि जब समय है तो उन्हें प्रवेश देने से क्यों रोका जा रहा था। भीड़ का प्रबंधन करने की जिम्मेदारी तो सुरक्षा बलों की है। इससे सैलानियों का क्या मतलब।   

चादर चढ़ाने वालों का भी जोश कम नहीं हुआ
उर्स में चादर चढ़ाने वालों का जोश भी कम नहीं था1। कई घंटे तक छोटी और बड़ी चादरें चढ़ती रहीं। चादर चढ़ाने जा रहे कई युवक तो भीड़ को चीरते हुए और उन्हें हवा में लहराते हुए जा रहे थे। इसको लेकर सैलानियों के साथ खूब धक्का-मुक्की भी हुई। कई बार तो चादर चढ़ाने जाने वाले युवकों और आम सैलानियों के साथ झगड़ा भी हुआ। यहां तक कि मारपीट भी हो गई। अन्य लोगों द्वारा समझाने के बाद ही मामला शांत हुआ।  

1381 मीटर चढ़ाई गई सतरंगी चादर
शाहजहां का 367वां उर्स ताजमहल स्थित उनकी कब्र पर मनाया गया। उर्स के अंतिम दिन खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी ने सतरंगी कपड़े की 1381 मीटर लंबी चादर चढ़ाई। कमेटी के अध्यक्ष ताहिरउद्दीन ताहिर के नेतृत्व में हिंदुस्तानी सतरंगी कपड़े की चादर हनुमान चौक स्थित हनुमान मंदिर से शुरू होकर ताजमहल के दक्षिणी गेट पहुंची।

दक्षिणी गेट से पर्यटकों का प्रवेश निषिद्ध होने से केवल चादर ही अंदर स्मारक में आई। स्मारक के पूर्वी व पश्चिमी गेटों से अंदर पहुंचे अकीदतमंद उसे मुख्य मकबरे तक ले गए। सतरंगी चादर का एक किनारा दक्षिणी गेट पर था तो दूसरा मुख्य मकबरे पर। इससे पहले कुलशरीफ हुआ और फातिहा पढ़ा गया। इसके बाद तवर्रुख बांटा गया। पहली चादर उर्स कमेटी द्वारा चढ़ाई गई। अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल के नेतृत्व में विभाग की ओर से भी चादरपोशी की गई। मुख्य मकबरे के द्वार पर कव्वालों ने कव्वालियां प्रस्तुत कीं। रायल गेट पर शहनाई गूंजती रही। उर्स में मुनव्वर अली, इब्राहीम जैदी ने भी चादर चढ़ाई।

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