अरबों की सरकारी सम्पत्ति की रखवाली करने वाली कोषागार की तिजोरियां आने वाले कुछ महीनों में सिर्फ युवाओं का भविष्य सहेजेंगी। ई-स्टाम्पिंग पूरी तरह से लागू हो जाने के बाद अब स्टाम्प पेपर की आपूर्ति पूरी तरह बंद हो गई है। जो स्टाम्प कोषागार मे बचे हैं उनके खत्म हो जाने के बाद ये तिजोरियां समय-समय पर होने वाली सरकारी भर्ती परीक्षाओं के पेपर सुरक्षित रखने में इस्तेमाल होंगी।
कोषागार में अभी 100 करोड़ के स्टाम्प का स्टॉक
गोरखपुर कोषागार के पास वर्तमान में करीब 100 करोड़ रुपये के स्टाम्प का स्टॉक है। ये स्टॉक भी पांच हजार से 20 हजार रुपये वाले स्टाम्प के हैं। 10, 50, 100 और 500 रुपये के स्टाम्प नहीं मिल रहे हैं। अरबों रुपये की सरकारी सम्पत्ति रहने से डबल लॉक पर 24 घंटे पुलिस का पहरा रहता है। रोज सुबह आफिस खुलने और शाम को बंद होने पर रिकार्ड का मिलान होता है।
रिकॉर्ड होगा कंप्यूटराइज्ड, झंझट होगा खत्म
ई-स्टाम्पिंग लागू हो जाने से वेंडरों को ढेरों स्टाम्प संभालने के झंझट से मुक्ति मिलेगी। कितने भी हजार वाले ई-स्टाम्प हो, उसका एक पन्ने में काम हो जाएगा। अब तक जमीन खरीद-बिक्री के लिए अलग-अलग कीमत के कई अलग-अलग स्टाम्प खरीदने पड़ते थे। जिसे सहज कर रखना आसान नहीं होता था। आम लोगों के साथ-साथ रजिस्ट्री ऑफिस में पुराने रिकार्ड अधिक संख्या में जमा हो जाते थे। लेकिन अब ई-स्टाम्प होने से सुविधा होगी। दस्तावेजों का डुप्लीकेशन समाप्त हो जाएगा। जमीन की खरीद फरोख्त करने के लिए अब कागजी स्टाम्प पेपर की जरूरत नहीं होगी। जमीन खरीदने के बाद होने वाली रजिस्ट्री ऑनलाइन होगी।
कोषागार में अब भी कई बेशकीमती सामान
गोरखपुर कोषागार की स्थापना 1789 में हुई थी। इसके बाद धीरे-धीरे अलग-अलग इमारतें वजूद में आईं। उप्र कोषागार कर्मचारी संघ के प्रांतीय अपर महामंत्री अश्वनी श्रीवास्तव बताते हैं कि अंग्रेजी शासन काल में बैंक तो होते नहीं थे लिहाजा उनका पूरा खजाना भी इसी कोषागार के डबल लॉक में रखा जाता था। करीब दो सौ साल पुरानी संस्कृति और सभ्यता का गवाह गोरखपुर कोषागार की पुरानी इमारत के डबल लॉक में अब भी बहुत से पुराने बेशकीमती सामान सुरक्षित रखे हैं।