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Crime Control के लिए यूपी पुलिस की नई रणनीति: हर बीट आफिसर पर होगा 5500 लोगों की निगरानी का जिम्‍मा

पुलिस की व्यवस्था पूरी तरह से बदली-बदली नजर आएगी। लोगों के और करीब तक पहुंचने और उन्हें सुरक्षा का भरोसा देने तथा बदमाशों की निगरानी करने की जिम्मेदारी बीपीओ (बीट पुलिस ऑफिसर) की होगी। हल्का या फिर...

Crime Control के लिए यूपी पुलिस की नई रणनीति: हर बीट आफिसर पर होगा 5500 लोगों की निगरानी का जिम्‍मा
वरिष्‍ठ संवाददाता ,गोरखपुर Sun, 28 Feb 2021 11:19 AM
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पुलिस की व्यवस्था पूरी तरह से बदली-बदली नजर आएगी। लोगों के और करीब तक पहुंचने और उन्हें सुरक्षा का भरोसा देने तथा बदमाशों की निगरानी करने की जिम्मेदारी बीपीओ (बीट पुलिस ऑफिसर) की होगी। हल्का या फिर चौकी इंचार्ज के नीचे बीपीओ काम करेंगे। इन्हें दो गांव या दो मोहल्लों का इंचार्ज बनाया जाएगा। एक मानक के हिसाब से 5500 लोगों की सुरक्षा का जिम्मा बीपीओ का होगा उनके अंडर में अन्य सिपाही भी काम करेंगे।

बीट पर तैनात सिपाहियों में सबसे सीनियर सिपाही को बीपीओ बनाया जाएगा। उसे सीयूजी मोबाइल भी दिया जाएगा। जिन दो गांव या मोहल्ले का उन्हें इंचार्ज बनाया जाएगा। वहां से जुड़ी सभी शिकायतें, जांच उन्हीं से होकर थाने जाएगी। मुकदमे में उनकी जांच रिपोर्ट मायने रखेगी। यही नहीं, बीपीओ का पूरा लेखा-जोखा थाना, सीओ और एडिशनल एसपी के यहां भी होगा। उनकी जवाबदेही और जिम्मेदारी बढ़ेगी।

सुरक्षा में बीट पुलिसिंग सबसे अहम कड़ी रही है पर कुछ समय से बीट पुलिसिंग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। इसकी वजह से जमीनी सूचनाएं समय से पुलिस के पास नहीं पहुंच पा रही थीं। वहीं सुस्त पड़ी बीट पुलिसिंग की वजह से पुलिस और जनता के बीच दूरी भी बन रही थी। बीट पुलिसिंग की व्यवस्था को नए सिरे से लागू करने से बीपीओ रोज अपनी बीट में जाकर वहां होने वाली हर गतिविधि को नोट करेगा। उन्हें बीट सिपाही नहीं बल्कि बीपीओ के नाम से जाना जाएगा।

संभ्रांत व बदमाशों का होगा पूरा रिकॉर्ड 

बीपीओ के पास दो गांव या फिर मोहल्ले के संभ्रांत लोगों के साथ बदमाशों का पूरा रिकॉर्ड होगा। वह बदमाशों की निगरानी करेंगे, हिस्ट्रीशीटर की जांच करेंगे। संभ्रांत लोगों से संबंध रखकर पुलिसिंग में उनसे मदद लेंगे। यही नहीं, अपने इलाके के लेखपाल सहित अन्य राजस्व व ब्लाककर्मियों से भी बेहतर सम्बंध और उनका नम्बर रखना होगा। बीपीओ को इलाके में जुआ, शराब और अन्य होने वाले अपराधों की पूरी सूचना बीट बुक में नोट करनी होगी।

गांवों के हिसाब से बनाए जा रहे बीपीओ

थानों को हल्का या फिर चौकी में बांटा गया है। उसी अनुरूप बीट बनाया गया है। पुरानी व्यवस्था के हिसाब से एक बीट पर तैनात पुलिसवालों के जिम्मे में पांच-छह गांवों की जिम्मेदारी होती थी। लेकिन अब दो गांव के हिसाब से बंटवारा कर बीपीओ बनाया जा रहा है। आबादी और वर्तमान में मौजूद पुलिसकर्मियों के आधार पर एक बीपीओ के दायरे में 5500 लोगों की जिम्मेदारी सौंपने की व्यवस्था बनाई जा रही है।

 

बीट पुलिसिंग पर एडीजी ने दिया कप्तानों को निर्देश

एडीजी जोन अखिल कुमार ने बीट पुलिसिंग के दिशा में ध्यान दिया है। एडीजी जोन ने बीट सिपाही का अधिकार बढ़ाने के साथ उनकी जिम्मेदारी तय करने का निर्देश जिले के कप्तानों को दिया है। बीट सिपाही अपने क्षेत्र के लोगों से सम्पर्क करने के साथ उपद्रवियों पर भी नजर रख खुद उनको 107/16 में पाबंद कर निरोधात्मक कार्रवाई कर सकेंगे। इसके साथ प्रार्थना पत्र पर वह क्षेत्र में जाकर आख्या रिपोर्ट देंगे जिसके बाद दरोगा और थानेदार आवश्यक कार्रवाई करेंगे।

 

तिवारीपुर व बेलीपार में शुरू हुई थी व्यवस्था

पिछले साल गोरखपुर जिले के शहर और देहात के एक-एक थानों में बीट पुलिसिंग की नई व्यवस्था शुरू कर दी गई थी। पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शहर के तिवारीपुर और देहात के बेलीपार थाने को चयनित कर यह व्यवस्था शुरू कराई गई थी। हालांकि बाद में इस पर से लोगों का ध्यान हट गया। हालांकि अब एक बार फिर एडीजी जोन अखिल कुमार ने इस तरफ ध्यान दिया है।

रिवाल्वर और सेट भी मुहैया कराया जाएगा

इन आरक्षियों को सरकारी बाइक, एंड्राइड मोबाइल, रिवाल्वर, बॉडी बार्म कैमरा के अलावा एक बस्ता दिए जाने की व्यवस्था है। इस बस्ते में क्षेत्र के हिस्ट्रीशीटर अपराधियों के रिकॉर्ड, कोर्ट समन, वारंट, एनसीआर के मुकदमे, थाने से आए शिकायती प्रार्थना पत्र, पासपोर्ट व चरित्र सत्यापन की जांच संबंधी प्रपत्र दिए जाएंगे।

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