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यूपी में नई नौकरी पाने वालों का पांच सालों तक हर छह माह पर होगा मूल्यांकन

राज्य सरकार समूह ख व ग की भर्ती प्रक्रिया बदलने जा रही है। इसके लिए समूह ख व ग पदों पर नियुक्ति (संविदा पर) एवं विनियमितकरण नियमावली 2020 बना रही है। इसमें इन दोनों वर्गों में नियुक्ति पाने वालों को...

यूपी में नई नौकरी पाने वालों का पांच सालों तक हर छह माह पर होगा मूल्यांकन
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊMon, 14 Sep 2020 08:35 AM
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राज्य सरकार समूह ख व ग की भर्ती प्रक्रिया बदलने जा रही है। इसके लिए समूह ख व ग पदों पर नियुक्ति (संविदा पर) एवं विनियमितकरण नियमावली 2020 बना रही है। इसमें इन दोनों वर्गों में नियुक्ति पाने वालों को पांच सालों तक संविदा पर काम करना होगा। इस दौरान हर छह माह पर उनका मूल्यांकन किया जाएगा, जिससे धांधली कर नौकरी पाने वाले और अयोग्य कर्मियों को पकड़कर बाहर किया जा सके। अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक मुकुल सिंहल भी स्वीकार करते हैं कि इस नियमावली पर विचार किया जा रहा है।

प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा होगी

यूपी में धांधली कर सरकारी नौकरियां पाने का बड़ा खेल है। राज्य सरकार इसीलिए चाहती है कि समूह ख व ग की भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह से बदल दी जाए। इन भर्तियों के लिए प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा कराने पर विचार है। प्रारंभिक परीक्षा के लिए केंद्र की तर्ज पर एक अलग एजेंसी भी बनाई जा सकती है। इनमें सर्वाधिक स्कोर करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया जाएगा।

मुख्य परीक्षा पास करने वालों को पहले पांच सालों तक संविदा पर नौकरी करनी होगी। इन पांच साल के दौरान कर्मचारी का छमाही मूल्यांकन होगा, जिसमें नई नौकरी पाने वालों को हर बार 60 प्रतिशत अंक लाना जरूरी होगा। सरकार की प्रस्तावित नई व्यवस्था के तहत पांच वर्ष बाद ही नियमित नियुक्ति दी जाएगी। 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले सेवा से बाहर होते रहेंगे। इन पांच सालों में कर्मचारियों को नियमित सेवकों की तरह मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ भी नहीं मिलेंगे।

सरकार के फैसले का विरोध होगा

राज्य सरकार का यह फैसला भले ही अभी नहीं हुआ है, लेकिन इसका विरोध जरूर शुरू हो गया है। भारतीय लोकसेवा कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी मिश्रा कहते हैं कि राज्य सरकार अगर इस तरह का कोई फैसला करती है तो इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा कहते हैं कि राज्य सरकार को ऐसा कोई फैसला नहीं करना चाहिए जिससे युवाओं का नुकसान हो।  सरकारी नौकरी पाने के लिए एक बार परीक्षा से गुजरने की व्यवस्था है। संविदा भर्ती प्रकिया अलग है और नियमित भर्ती प्रक्रिया अलग। इसलिए राज्य सरकार को इसका अंतर स्वयं समझना चाहिए।
 

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