अयोध्या राम मंदिर में नई व्यवस्था, हर रोज 200 लोगों को रामलला की आरती का पास, ऐसे मिल सकता है मौका
अयोध्या राम मंदिर में नई व्यवस्था शुरू की गई है। अब मंगला आरती बिना पर्दा गिराए हो रही है। इसके साथ ही हर रोज 200 लोगों को रामलला की आरती में शामिल होने का मौका दिया जा रहा है। इसके लिए पास मिल रहा।
अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के प्रात: जागरण के बाद होने वाली प्रथम आरती जिसे मंगला आरती कहा जाता है, पहली बार पर्दा हटाकर शुरू की गई है। यह परम्परा किसी वैष्णव मंदिर में नहीं है। यहां तक कि श्रीरामजन्म भूमि में भी छह दिसम्बर 92 के पहले और बाद में भी मंगला आरती पर्दे में ही की जाती थी। इसके साथ ही आरती दर्शन पास की व्यवस्था लागू की गई है। मंगला आरती और शयन आरती के लिए 100-100 लोगों को पास जारी किया जा रहा है। यह पास ऑन लाइन और ऑफ लाइन दोनों तरह से मिल रहा है।
रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येन्द्र दास शास्त्री ने बताया कि सभी वैष्णव मंदिरों में भगवान राम का दरबार है जिसमें भगवान राम के साथ लक्ष्मण जी व माता सीता के साथ हनुमानजी है। कहीं-कहीं चारों भाईयों के साथ माता सीता है और कहीं राम-सीता ही है। उन्होंने कहा कि माता सीता के साथ होने के कारण एक मर्यादा का बंधन रहता है। इसके कारण जब तक पूर्ण शृंगार नहीं होता तब तक पर्दा नहीं हटाया जा सकता है। इसके विपरीत श्रीरामजन्म भूमि में रामलला पांच वर्ष के बालक स्वरूप में विराजमान हैं, यहां माता सीता नहीं है।
बाल स्वरूप सदैव सहज और मनमोहक है, वह चाहे गृहस्थ परिवार का किशोर हो तो भी। यहां तो रामलला पूरे राजसी ठाठ में है, वह सदैव भक्तों के मन को आह्लादित करते हैं। हर दर्शनार्थी भक्त उनके प्रति वात्सल्य से परिपूर्ण है। ऐसी स्थिति में मर्यादा का बंधन नहीं है। यही कारण है कि तीर्थ क्षेत्र ने मंगला आरती के दर्शन की व्यवस्था सुनिश्चित कराई है।
प्रातः साढ़े चार बजे सुप्रभातम से जागरण के बाद होती है मंगला आरती
रामलला की मंगला आरती का समय सुबह साढ़े चार बजे निर्धारित है। मंगला आरती के दर्शनार्थियों के लिए रिपोर्टिंग टाइम प्रातः चार बजे है। सवा चार बजे तक श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाएगा। इसके बाद यदि पास धारक पहुंचेंगे तो फिर उन्हें शृंगार आरती जिसका समय प्रातः साढ़े छह बजे तय है। इस आरती के बाद सात बजे से आम श्रद्धालुओं का नियमित दर्शन आरम्भ हो जाता है। मुख्य अर्चक श्री शास्त्री बताते हैं कि आचार संहिता के अनुसार मंदिर में निर्धारित नियम पूरा करने के लिए पुजारी गण प्रातः तीन बजे मंदिर का पट खोलकर सम्पूर्ण विधि पूरी करते हैं और फिर रामलला का जागरण कराते हैं।
उनके जागरण के बाद प्रतीकात्मक गौ दर्शन व गज दर्शन कराया जाता है। पुनः मुख प्रच्छालन के साथ सूखे मेवे का प्रसाद भोग लगाया जाता है और मंगला आरती होती है। इस आरती के बाद फिर पर्दा लगाकर भगवान का अभिषेक -पूजन कर उनका श्रृंगार कर रबड़ी -पेड़ा व फल का प्रसाद भोग लगाकर श्रृंगार आरती की जाती है।
रामलला के दर्शन अवधि में शुक्रवार से बदलाव
रामलला के दर्शन अवधि में शुक्रवार से बदलाव लागू हो सकता है। जानकारी के अनुसार दर्शन अवधि सुबह सात बजे से मध्याह्न साढ़े 12 बजे तक पुनः अपराह्न डेढ़ बजे से रात दस बजे तक निर्धारित की गई है। इस दौरान साढ़े 12 बजे से अपराह्न डेढ़ बजे तक दर्शन बंद रहेगा। यह अवधि रामलला के विश्राम करेंगे।
लेटेस्ट Hindi News, बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर ,और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।