सार्वजनिक उपयोग में भी ली जाएगी नजूल की जमीन, विपक्ष के विरोध के बीच विधानसभा में पास हुआ विधेयक
यूपी सरकार ने उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक-2024 को विधानसभा में सोमवार को पेश किया। बुधवार को सपा के भारी विरोध के बीच ये विधेयक विधानसभा में पास हो गया।
यूपी विधानसभा में बुधवार को विपक्ष के विरोध व वेल में प्रदर्शन के बीच उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक-2024 पारित हो गया। विधेयक के नियमों पर विपक्ष के विधायकों ने कड़ा ऐतराज जताया। विपक्ष ने कहा कि यह विधेयक जनहित में नहीं है, प्रवर समिति को भेजा जाए। वहीं सत्ता पक्ष के कुछ विधायकों सिद्धार्थनाथ सिंह और हर्ष बाजपेयी ने इसमें संशोधन के सुझाव दिए। विपक्ष के हंगामे के बीच शाम करीब 4.20 बजे विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सदन की कार्यवाही को बुधवार को सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
मंत्री ने कहा रूल्स में स्पष्ट किया जाएगा कि गरीब प्रताड़ित ना हों
सुरेश खन्ना द्वारा विधेयक पेश करते ही विपक्ष के सदस्य वेल में जाकर प्रदर्शन करने लगे। उन्होंने विधेयक को वापस लेने के लिए सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी की। इस सबके बीच यह विधेयक सत्तापक्ष के विधायकों के बहुमत से पारित किया गया। विपक्ष के विरोध के बीच संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने आश्वासन दिया कि गरीबों से जमीनें खाली कराने का प्राविधान नहीं किया गया है। सुख का अधिकार दूसरे की संपत्ति पर नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन लोगों ने लीज का पैसा समय से जमा किया है, उनकी लीज का नवीनीकरण 30 साल के लिए किया जाएगा। लीज शर्तों का उल्लंघन नहीं करने वालों के लीज का समय समाप्त होने पर 30 साल के लिए फिर से नवीनीकरण किया जाएगा। स्कूल, कालेज, अस्पताल व सरकारी संस्थाएं यथावत रहेंगी। रूल्स में स्पष्ट किया जाएगा कि किसी भी तरह से गरीब प्रताड़ित न हो। सुरेश खन्ना द्वारा जबाब दिए जाने बाद हाथ उठवाकर बहुत के आधार पर इस विधेयक को पारित कर दिया गया।
सुरेश खन्ना ने कहा सार्वजनिक कार्यों पर होगा लीज की जमीनों का उपयोग
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने नजूल संपत्ति विधेयक-2024 सदन में पेश किया। उन्होंने कहा कि नजूल संपत्ति पर यह पहला एक्ट है। उन्होंने कहा कि जनहित के सार्वजनिक कार्यों के लिए भूमि का प्रबंध करने में अधिक समय लग जाता है। अब नजूल की जमीनों का उपयोग सार्वजनिक कार्यों पर किया जाएगा। जहां विकास कार्य कराए जाने हैं, वहां पर नजूल भूमि का इस्तेमाल किया जाएगा। राजस्व, वन व सिंचाई विभाग इसके दायरे में नहीं आएंगे। उन्होंने यह बताया कि ब्रिटिश हुकूमत के समय आंदोलनकारियों से जब्त जमीनें ही नजूल भूमि हैं। जिन लोगों ने नजूल की भूमि लीज पर ले रखी है और नियमित रूप से पट्टा किराया जमा कर रहे हैं, लीज एग्रीमेंट का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं, ऐसे लोगों के लीज एग्रीमेंट का नवीनीकरण किया जाएगा। नजूल भूमि का पट्टा समाप्त होने पर वह जमीन सरकार की हो जाएगी। पट्टा समाप्त होने के बाद भी जो लोग भूमि का उपयोग कर रहे हैं, ऐसे लोगों से पट्टा अवधि समाप्त होने के बाद के समय से अब तक का किराया वसूला जाएगा जो कि डीएम तय करेंगे। सरकार पट्टा अवधि व लीज पर दी गई भूमि का क्षेत्र कम कर सकती है। नजूल संपत्ति के मामले में जिलाधिकारी पट्टाधारक को सुनने के बाद ही फैसला देंगे।
विपक्ष ने कहा विधेयक से बडी संख्या में बेघर हो जाएंगे गरीब
इससे पहले संसदीय कार्यमंत्री द्वारा विधेयक का प्रस्ताव किए जाने का विरोध सपा विधायकों ने किया। रानीगंज के सपा विधायक डा. आरके वर्मा ने कहा कि इस विधेयक से कमजोर वर्गों को दिक्कत होगी। विधेयक में सिर्फ डीएम कोर्ट में अपील करने की व्यवस्था है, डीएम न्यायालय से न्याय मिलने में विलंब होगा। मेजा से सपा विधायक संदीप सिंह ने कहा कि इस विधेयक की नीतियों से बड़ी संख्या में गरीब उजड़ जाएंगे। यह भी कहा कि राज्य सरकार चहेती कंपनियों को लाभ पहुंचाना चाहती है। सपा विधायक कमाल अख्तर ने कहा कि इस विधेयक से जनता पीड़ित होगी।
भाजपा विधायकों ने विधेयक में संशोधन का दिया सुझाव
भाजपा विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह ने सुझाव दिया कि अधिनियम सरकार विकास के लिए ला रही है। जो लोग पीढ़ियों से लीज की नजूल की भूमि पर रह रहे हैं, लीज पूरा होने पर उनके नवीनीकरण तथा जो लोग फ्री-होल्ड के लिए किश्तें दे रहे हैं, उनके लीज का भी नवीनीकरण करने का सुझाव दिया। उन्होंने विधेयक को व्यवहारिक बनाने की बात कही। भाजपा विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी ने प्रयागराज के सागर पेशा इलाके में लीज की भूमि पर रह रहे हजारों परिवारों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि विधेयक न्यायसंगत नहीं है। हजारों परिवार बेघर हो जाएंगे। संपत्ति का अधिकार स्पष्ट होना चाहिए। गरीबों के पास नजूल की जमीन को फ्रीहोल्ड कराने का अधिकार होना चाहिए।
राजा भैय्या ने कहा लोग सड़कों पर आ जाएंगे, प्रवर समिति को भेजी जाए
कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह “राजा भैय्या” ने कहा कि इस विधेयक के परिणाम गंभीर होंगे। उन्होंने कहा कि वह भाजपा विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह और हर्षवर्धन वाजपेयी के विचारों से सहमत हैं। उदाहरण दिया कि हाईकोर्ट इलाहाबाद भी नजूल की भूमि पर है। विधेयक किसी के हित में नहीं है, इससे गरीब बेघर हो जाएंगे। फ्रीहोल्ड के लिए जिनकी किश्तें जमा हो गई हैं, ऐसे लोगों को सौदा हो गया है तो जमीन दें। लोग सड़कों पर आ जाएंगे। सरकार इस विधेयक पर फिर से विचार करे। इसे प्रवर समिति को भेजी जाए।
निषाद पार्टी के विधायक ने कहा विधेयक अनुचित है सुधार किया जाए
मेंहदावल से निषाद पार्टी के विधायक अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि 1996 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने राजस्व के लिए नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करने की व्यवस्था दी थी। विधेयक अनुचित है सुधार किया जाए। इसे प्रवर समिति को भेजा जाए। कांग्रेस विधायक अराधना मिश्रा मोना ने कहा कि इसे पारित करान में जल्दबाजी न की जाए प्रवर समिति को भेजी जाए। विपक्ष के शोर शराबे के बीच कई अन्य विधेयक भी बहुमत से पारित किए गए। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया
क्या है नजूल भूमि विधेयक
भारत को आज़ादी मिलने के बाद अंग्रेज़ों ने इन ज़मीनों को खाली कर दिया। लेकिन राजाओं और राजघरानों के पास अक्सर पूर्व स्वामित्व साबित करने के लिए उचित दस्तावेज़ों की कमी होती थी, इन ज़मीनों को नज़ूल भूमि के रूप में चिह्नित किया गया था। जिसकी संपत्ति संबंधित अधिकार प्रदेश की सरकार के पास है।
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