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मुस्लिम बेटियां और ज्यादा पढ़ने लगीं, ग्रेजुएशन मएडमिशन में दो साल में सात फीसदी बढ़ोतरी

कानपुर और आस-पास के जिलों में मुस्लिम बेटियों में स्नातक का क्रेज बढ़ा है। पिछले दो वर्षों में बीए, बीएससी व बीकॉम में दाखिला लेने वाली मुस्लिम लड़कियों की संख्या में सात फीसदी का इजाफा हुआ है।

मुस्लिम बेटियां और ज्यादा पढ़ने लगीं, ग्रेजुएशन मएडमिशन में दो साल में सात फीसदी बढ़ोतरी
Srishti Kunjअभिषेक सिंह,कानपुरSun, 14 Aug 2022 08:20 AM

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कानपुर। कानपुर और आस-पास के जिलों में मुस्लिम बेटियों में स्नातक का क्रेज बढ़ा है। पिछले दो वर्षों में बीए, बीएससी व बीकॉम में दाखिला लेने वाली मुस्लिम लड़कियों की संख्या में सात फीसदी का इजाफा हुआ है। दो साल पहले जहां कुल दाखिलों में 5 फीसदी मुस्लिम लड़कियों के होते थे, वहीं इस बार यह संख्या 12 फीसदी पहुंच गई है। यह खुलासा हुआ है पीपीएन कॉलेज के वरिष्ठ शिक्षक और कानपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) के अध्यक्ष डॉ. बीडी पांडेय के सर्वे में। उन्होंने सात जिलों के 31 प्रमुख कॉलेजों में हुए दाखिले के आधार पर सर्वे रिपोर्ट तैयार की है। 

सत्र 2022-23 के लिए छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) से संबद्ध कानपुर, कानपुर देहात, उन्नाव, कन्नौज, इटावा, फर्रुखाबाद व औरैया के महाविद्यालयों में दाखिला चल रहा है। इस सत्र में बीए, बीएससी और बीकॉम में प्रवेश की स्थिति काफी खराब है। इसकी हकीकत जानने के लिए डॉ. बीडी पांडेय ने प्राचार्यों व प्रवेश प्रभारियों की रिपोर्ट के आधार पर अपनी एक सर्वे रिपोर्ट बनाई। इसमें उन्होंने दो साल पहले और इस साल प्रवेश लेने वालों का विश्लेषण किया है। उन्होंने बताया कि दो साल में बीए, बीएससी और बीकॉम का ट्रेंड पूरी तरह बदल गया है। 

इनका सामान्य स्नातक से मोहभंग
डॉ. बीडी पांडेय की रिपोर्ट के अनुसार अब उच्च और उच्च मध्यम वर्ग का छात्र सामान्य स्नातक नहीं करना चाहता है। दो वर्ष पहले जहां इन वर्गों के छात्रों की संख्या 50 फीसदी होती थी, वहीं इस बार सिर्फ पांच फीसदी दाखिले हुए हैं। ऐसे बाकी छात्र प्रोफेशनल कोर्स की ओर मूव कर गए हैं। इन्हें अगर बीएससी भी करनी है तो ऑनर्स या फिर नए विषय बॉयोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबॉयोलॉजी जैसे कोर्स में दाखिला ले रहे हैं। 

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इंटर के बाद पढ़ाई छोड़ने वालों की भरमार
वहीं, जो वर्ग पहले इंटर के बाद पढ़ाई छोड़ देता था, वह स्नातक में दाखिला ले रहा है। डॉ. बीडी पांडेय ने बताया कि इस बार बीए, बीएससी में छोटे कारीगरों, किसानों व मजदूरों के बेटे-बेटियों ने अधिक दाखिला लिया है। इनकी आय एक लाख रुपये से भी कम है। वहीं ऐसे छात्रों की संख्या में भी इजाफा हुआ है, जो खुद कमाई कर घर व पढ़ाई का खर्च निकालते हैं। 

उच्च वर्ग के बच्चे नहीं करना चाहते बीए-बीएससी
पैरामीटर                                  वर्ष 2020    वर्ष 2022
मुस्लिम लड़कियां                     5 फीसदी    12 फीसदी
उच्च वर्ग                                 20 फीसदी    2 फीसदी
उच्च मध्यम वर्ग                        30 फीसदी    3 फीसदी
प्राइवेट जॉब                            30 फीसदी    30 फीसदी
मैकेनिक, दर्जी, किसान, लेबर    10 फीसदी    50 फीसदी

कम आय वालों के बच्चों ने लिए अधिक दाखिले
50 हजार रुपये से कम आय                    25 फीसदी
50 हजार से अधिक व दो लाख से कम    50 फीसदी
दो लाख से अधिक आय                    25 फीसदी

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