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फिर एक हुए शिवपाल और अखिलेश यादव, सैफई से सपा-प्रसपा अध्यक्ष ने दिया सुलह का संकेत

शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच एक बार फिर सुलह हो गई है। गुरुवार को सैफई में शिवपाल से मिलने अखिलेश और डिंपल पहुंचे। यहां करीब 45 मिनट तक दोनों के बीच चुनाव की रणनीति पर चर्चा हुई।

फिर एक हुए शिवपाल और अखिलेश यादव, सैफई से सपा-प्रसपा अध्यक्ष ने दिया सुलह का संकेत
Yogesh Yadavलाइव हिन्दुस्तान,मैनपुरीThu, 17 Nov 2022 06:12 PM

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प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मैनपुरी लोकसभा उप-चुनाव से पहले सैफई से एक बार फिर सपा घराने में सुलह के संकेत दिए हैं। सपा के टिकट पर जसवंतनगर से विधायक और मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल से अखिलेश के विधानसभा चुनाव के बाद से ही मतभेद के बाद इस सुलह-सफाई ने सपा कार्यकर्ताओं को राहत की सांस दी है। मैनपुरी में मुलायम सिंह के निधन के बाद हो रहे उप-चुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव सपा की तरफ से लड़ रही हैं जिनके मुकाबले में कभी सपा के ही टिकट पर विधाययक और सांसद रहे रघुराज शाक्य बीजेपी की तरफ से उतरे हैं।

डिंपल के नामांकन से भी दूर रहे शिवपाल यादव से मिलने गुरुवार को अखिलेश यादव पहुंचे। अखिलेश के साथ डिंपल भी मौजूद रहीं। करीब 45 मिनट तक हुई मुलाकात में शिवपाल यादव के बेटे अक्षय भी साथ रहे। इस मुलाकात की फोटो पहले अखिलेश और डिंपल ने ट्वीट की फिर शिवपाल की तरफ से भी पोस्ट की गई। अखिलेश और डिंपल ने फोटो ट्वीट करते हुए मुलाकात को शिवपाल का आशीर्वाद बताया। दोनों ने ही लिखा कि नेता जी और घर के बड़ों के साथ-साथ मैनपुरी की जनता का भी आशीर्वाद साथ है! 

अखिलेश और डिंपल के ट्वीट के करीब चार घंटे बाद शिवपाल ने भी मुलाकात की फोटो पोस्ट की। इसके साथ ही भावुक पोस्ट भी लिखा। शिवपाल यादव ने लिखा 'जिस बाग को सींचा हो खुद नेता जी ने उस बाग को अब हम सीचेंगे अपने खून पसीने से।' शिवपाल का इशारा साफ था। वह नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव की बगिया मैनपुरी को किसी भी हालत में परिवार के हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं। ट्वीट और फोटो से दोनों तरफ से संकेत साफ था कि अब सुलह हो गई है। हालांकि यह सुलह कितने दिन टिकती है यह मैनपुरी चुनाव के बाद पता चल सकेगा। 

विधानसभा चुनाव से पहले भी हुई थी इसी तरह मुलाकात

जिस तरह से अब मैनपुरी उपचुनाव से ठीक पहले चाचा भतीजे की मुलाकात हुई है, उसी तरह विधानसभा चुनाव से पहले भी हुई थी। तब शिवपाल ने अखिलेश की तरफ से उन्हें और उनकी पार्टी के नेताओं को पूरा सम्मान मिलने की बात कही गई थी। हालांकि ऐसा हो नहीं सका। टिकट भी केवल शिवपाल यादव को मिला। चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद अखिलेश को लेकर शिवपाल का दर्द छलकता रहा। वह सम्मान नहीं मिलने की बातें बार-बार कहते रहे। 

चुनाव हारने के बाद तो दोनों की रार सतह पर आ गई। अखिलेश ने शिवपाल को सपा की बैठकों में भी बुलाना बंद कर दिया। शिवपाल को प्रमासपा का नेता बताने लगे। रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के बाद तो स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो गई कि चाचा भतीजे की राह जुदा हो गई। सपा के ही टिकट पर विधायक बने शिवपाल को अखिलेश ने अपनी तरफ से आजाद भी घोषित करते हुए कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र कर दिया।

अखिलेश के इस फैसले ने भी शिवपाल के दर्द को बढ़ा दिया। इसके बाद भी शिवपाल की तरफ से कोई ऐसा कदम नहीं उठाया गया जिससे सपा को नुकसान होता। यही कारण है कि इस बार अखिलेश ने पहल की और चाचा को सपा का स्टार प्रचारक बना दिया। चाचा ने भी अपने लोगों के साथ बैठक की और डिंपल यादव को जिताने के लिए पूरा जोर लगाने की बात कही है।

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