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Mothers Day: देश की सलामती के लिए बेटे के कुर्बानी का नहीं है गम

विकास खंड़ कौड़िहार के मलाक बलऊ शिव लाल का पूरा निवासी मुन्नी लाल पटेल का बेटा बाबूलाल पटेल साल 2006 में सीआरपीएफ में शामिल हुआ था। इकलौता बेटा वह भी अर्धसैन्य बल में शामिल हुआ तो मां जगपती देवी के...

Mothers Day: देश की सलामती के लिए बेटे के कुर्बानी का नहीं है गम
हिन्दुस्तान संवाददाता,कौड़िहारSat, 13 May 2017 08:09 AM
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विकास खंड़ कौड़िहार के मलाक बलऊ शिव लाल का पूरा निवासी मुन्नी लाल पटेल का बेटा बाबूलाल पटेल साल 2006 में सीआरपीएफ में शामिल हुआ था। इकलौता बेटा वह भी अर्धसैन्य बल में शामिल हुआ तो मां जगपती देवी के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन सात साल बाद ही सात जनवरी 2013 को झारखंड के लातेहार जिले में नक्सलियों के हमले में बाबूलाल की शहादत के साथ ही सारे सपने चकनाचूर हो गये। यह सब रुंधे गले से बताती जगपती देवी अचानक जोश में आ गईं।

बोलीं, बाबूलाल के शहीद होने से अगर देश सही सलामत रहे तो हम हर तकलीफ सहने को तैयार हैं। बेटे की यादों में खोई जगपती देवी उसके प्राइमरी स्कूल से लेकर इंटर तक की पढ़ाई की खूब चर्चा की। बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ सेना में जाने की भी बाबूलाल बचपन से ही तैयारी करता था। घर कमजोर आर्थिक हालत के बीच वह कामयाब रहा। सीआरपीएफ में भर्ती हो गया। 

शहीद बाबूलाल की प्रोफाइल

1. कौड़िहार के मलाक बलऊ गांव निवासी शहीद बाबूलाल अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे।
2.वर्ष 2006 में पड़िला सीआरपीएफ में भर्ती हो गये।
3.भर्ती होने के बाद ही वह पड़िला से नक्सल प्रभावित इलाके में भेज दिये गये। लगभग छह साल बड़े गर्व और वीरता के साथ देश सेवा की।
3.महज छह साल की नौकरी के दौरान ही सात जनवरी 2013 को झारखंड के लातेहार में नक्सलियों के हमले में शहीद हो गये।
 

अपील

देश की सलामती के लिए प्रत्येक बेटा और उसकी मां को गर्व का अनुभव होता है। शहीद की मां के नाम से उसे जाना जाता है। शहीद होने के बाद बहुत सारे सरकारी, गैर सरकारी नुमाइंदे मदद का ढाढ़स बंधाने आते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद ही सरकार मुंह फेर लेती है। सरकार को शहीद के माता-पिता का ख्याल रखना चाहिए। 

जगपती देवी, शहीद बाबूलाल की मां

ऐसा था मेरा बेटा

बचपन से ही पढ़ते थे शहीदों की कहानी

शहीद बाबूलाल की चर्चा छिड़ते ही उनकी मां के आंखों में खुशी और गम के भाव आ जा रहे थे। इसी बीच वह बोल पड़ीं कि बचपन से ही शहीदों की कहानी बहुत ध्यान से पढ़ता था। क्या पता वह खुद भी शहीद हो जायेगा। आगे मां जगपती देवी ने बताया कि वह हाईस्कूल पास करने के बाद से ही फौज की नौकरी के बारे में अक्सर चर्चा करता था। सीआरपीएफ में शामिल होने के बाद कहा था कि आप के जीवन में कभी भी दुख नहीं आने दूंगा। जगपती देवी बताती हैं कि शहीद होने से कुछ दिन पहले ही बाबूलाल का फोन आया था। उसने कहा था कि वह जल्द घर आने वाला है। आंख में आंसू भर कर कहती हैं कि बाबूलाल ही हमारा एक मात्र सहारा था और वह भी साथ छोड़कर चला गया। 

सरल स्वभाव और गांव का चहेता था बाबूलाल

मां जगपती देवी शहीद बेटे बाबूलाल के बचपन से लेकर नौकरी तक की कई यादें साझा करते हुए बताया कि बाबूलाल बचपन से ही बहुत सरल स्वभाव के साथ ही हिम्मती थे। वह गांव व पड़ोसियों का बहुत ही चहेते थे। सीआरपीएफ में शामिल होने के बाद कहा था कि आप के जीवन में कभी भी दुख नहीं आने दूंगा। शहीद होने से कुछ दिन पहले ही बाबूलाल का फोन आया था कि वह जल्द घर आने वाला है। लेकिन उसके शहीद होने की खबर आई।

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