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'कन्हैया' को कुर्सी से बांधकर लखनऊ की 'मां यशोदा' करती हैं टीकाकरण

एएनएम शालिनी अपना फर्ज निभा रही हैं और एक मां की जिम्मेदारी भी। वह अकेली रहती हैं, इसलिए उन्हें डेढ़ साल के बच्चे को साथ रखना पड़ता है। काम के दौरान एएनएम शालिनी यशोदा मां की तरह बच्चे को कुंर्सी से...

'कन्हैया' को कुर्सी से बांधकर लखनऊ की 'मां यशोदा' करती हैं टीकाकरण
शाहजहांपुर। हिन्दुस्तान संवादSun, 18 Apr 2021 02:28 PM
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एएनएम शालिनी अपना फर्ज निभा रही हैं और एक मां की जिम्मेदारी भी। वह अकेली रहती हैं, इसलिए उन्हें डेढ़ साल के बच्चे को साथ रखना पड़ता है। काम के दौरान एएनएम शालिनी यशोदा मां की तरह बच्चे को कुंर्सी से बांध अपना काम करती हैं। कोरोना की गाइडलाइन का पूरा पालन करती हैं। लखनऊ की रहने वाली शालिनी सामुदायिक ददरौल के बंथरा स्वास्थ्य उपकेंद्र पर एएनएम कार्यकर्ता के रूप कार्यरत हैं।  वह शाहजहांपुर में किराए के मकान में अपने डेढ़ वर्ष के बेटे के साथ रहती हैं। एक साल से कोरोना संक्रमण के चलते उनकी डयूटी कोरोना नियंत्रण संबंधी सभी गतिविधियों में एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में लगाई गई। पति बाहर काम करते हैं। दिक्कतों के बीच भी वह अपने रास्ते से विचलित नहीं हुईं। उन्होंने अपना कार्य ईमानदारी और लगन के साथ किया। वह अपने डेढ़ वर्ष के बच्चे को मां यशोदा की तरह कुर्सी से बांधकर कोविड-19 टीकाकरण में अपनी डयूटी बंथरा मेडिकल कॉलेज में ईमानदारी से निर्वाह कर रही हैं।

शालिनी ने नहीं हारी हिम्मत
वर्ष 2020 में कोरोना का कहर बरपा। पूरा जिला घरों में कैद हो गया था। तब एएनएम शालिनी  बच्चे को गोद में लिए अपनी जिम्मेदारियां निभा रही थीं। ताकि जनसमुदाय को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। जनवरी माह में कोरोना का टीका आया। तब शालिनी की बंथरा मेडिकल कालेज में टीकाकरण में ड्यूटी लगा दी। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

भाई के तिलक में नहीं हो पाईं  शामिल
जनवरी माह में उनके भाई की गोदभराई व तिलक का कार्यक्रम था। इसी माह कोरोना का टीकाकरण शुरू हुआ। उन्होंने भाई के तिलक में शामिल न होकर अपने फर्ज को चुना और ड्यूटी करती रहीं ।

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