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MLC बृजेश सिंह की याचिका खारिज, रोचक है माफिया डॉन से नेता बनने की कहानी

माननीयों की विशेष अदालत ने विधान परिषद सदस्य बृजेश सिंह को विधान परिषद के सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति देने के लिए प्रस्तुत अर्जी खारिज कर दी। विशेष न्यायाधीश आलोक कुमार श्रीवास्तव ने यह आदेश बृजेश...

MLC बृजेश सिंह की याचिका खारिज, रोचक है माफिया डॉन से नेता बनने की कहानी
प्रयागराज वाराणसी हिन्दुस्तान टीमThu, 18 Feb 2021 09:44 PM
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माननीयों की विशेष अदालत ने विधान परिषद सदस्य बृजेश सिंह को विधान परिषद के सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति देने के लिए प्रस्तुत अर्जी खारिज कर दी। विशेष न्यायाधीश आलोक कुमार श्रीवास्तव ने यह आदेश बृजेश सिंह की ओर से केंद्रीय कारागार अधीक्षक वाराणसी के जरिए प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर दिया। 

अदालत ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके अंतर्गत बृजेश सिंह को विधान परिषद के सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति दी जाए। गौरतलब है कि विधान परिषद सदस्य बृजेश सिंह ने केंद्रीय कारागार अधीक्षक वाराणसी के जरिए एक प्रार्थना पत्र न्यायालय को प्रेषित किया था, जिसमें यह कहा गया था कि विधान परिषद का सत्र शुरू होने जा रहा है। राज्यपाल की ओर से सत्र में शामिल होने के लिए एक निमंत्रण पत्र भेजा गया है। सत्र में हिस्सा लेना संविधान में उनका अधिकार है इसलिए न्यायालय उन्हें विधान परिषद सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति प्रदान करे। क्योंकि वह गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में दर्ज हत्या के एक मुकदमे में न्यायालय के आदेश से न्यायिक अभिरक्षा में निरुद्ध हैं।

मुख्तार अंसारी से चल रही तीन दशक से अदावत
मुख्तार और बृजेश सिंह में करीब तीन दशक से अदावत चल रही है। रेलवे और बिजली के ठेकों पर वर्चस्व को लेकर मुख़्तार अंसारी और बृजेश सिंह गैंग के बीच लंबी ऐतिहासिक दुश्मनी शुरू हुई जो आज तक जारी है। दोनों गिरोहों के बीच कई बार गैंगवार हुई। दोनों की अदावत में अब तक पूर्वांचल और अन्य जगहों पर दर्जनों लोगों की हत्या हो चुकी है।

यूपी सरकार ने घोषित किया था पांच लाख का इनाम
अपने तीन दशक लंबे आपराधिक जीवन में 30 से ज़्यादा संगीन आपराधिक मुक़दमों में बृजेश सिंह नामजद हुए थे। मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ओफ़ ऑर्गनाइज्ड क्राइम ऐक्ट), टाडा (टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज एक्ट) और गैंगस्टर एक्ट समेत तमाम मुकदमे दर्ज हुए थे। 2000 के दशक में कई सालों तक फरार रहे बृजेश का सुराग बताने वाले के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने 5 लाख रुपए का इनाम घोषित किया था। 2008 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भुवनेश्वर से उनको गिरफ़्तार किया। तभी से जेल में बंद हैं। आगे चलकर कई बड़े मुकदमों से बरी होते गए।

2016 में वाराणसी से बने एमएलसी
राजनीति में बृजेश सिंह की दखल की ओर देखें तो वाराणसी-चंदौली में उनके परिवार का पुराना प्रभाव साफ नजर आता है। वाराणसी की एमएलसी सीट पर बृजेश और उनका परिवार पिछले 4 बार से जीतता रहा है। पहले दो बार बृजेश के बड़े भाई उदयनाथ सिंह, उसके बाद बृजेश की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह और उसके बाद मार्च 2016 में खुद बृजेश वाराणसी से एमएलसी बनकर राज्य की विधानसभा में दाखिल हुए।

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