देश-दुनिया में कोरोना की वैक्सीन बनाने की जद्दोजहद के बीच एक राहत भरी खबर काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से आई है। यहां के आयुर्वेद संकाय में मल चंद्रोदय वटी के कोरोना मरीजों पर हुए शुरुआती क्लीनिकल ट्रायल के चमत्कारी परिणाम सामने आए हैं। माइल्ड और मॉडरेट श्रेणी के कोरोना रोगी तीन से पांच दिनों में ही निगेटिव आ गए। आयुर्वेद संकाय की पांच सदस्यीय टीम को कुल 50 रोगियों पर वटी का परीक्षण करना है।
परियोजना प्रभारी प्रो. नम्रता जोशी के नेतृत्व में प्रो. सुशील कुमार दुबे, डा. अभिषेक पांडेय, प्रो. जया चक्रवर्ती, प्रो.वाईबी. त्रिपाठी की टीम मल चंद्रोदय वटी का परीक्षण कर रही है। प्रो. नम्रता जोशी ने बताया कि अब तक माइल्ड व मॉडरेट श्रेणी के 25 रोगियों पर क्लिनिकल ट्रायल हो चुका है। इनमें दो रोगी ट्रायल करने वाली टीम के सदस्य हैं। ट्रायल में 80 फीसदी रोगी तीन से पांच दिन के अंदर निगेटिव हो गए। खास बात यह है कि एक रोगी ने उपचार के दौरान किसी अंग्रेजी दवा का सेवन नहीं किया।
आयुष मंत्रालय से मिली सहायता
इस परियोजना पर कार्य करने के लिए आयुष मंत्रालय ने दस लाख रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई गई है। प्रो. नम्रता जोशी ने बताया कि इस परियोजना को मूर्त रूप देने में जिलाधिकारी डा. कौशलराज शर्मा ने विशेष दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय की प्राचार्य को परियोजना में पूर्ण सहयोग के लिए प्रेरित किया।
सौ रोगियों पर परीक्षण के बाद रिपोर्ट
प्रो. जोशी ने बताया कि मलचंद्रोदय वटी के साथ अष्टादधांग क्वाथ घनवटी और पारिजात कशाय का उपयोग किया जा रहा है। ये पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक औषधियां हैं। उन्होंने बताया कि फाइनल रिपोर्ट कुल 100 रोगियों के तुलनात्मक अध्ययन पर आधारित होगी। उनमें 50 ऐसे रोगी आयुर्वेदिक और 50 एलोपैथिक दवाओं का सेवन कर रहे हैं। पहले चरण में बीएचयू में भर्ती रोगियों पर परीक्षण किया गया। दूसरे चरण में पं. दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल में भर्ती रोगियों पर परीक्षण हो रहा है।
गोज्वादि और शिरिषादि क्वाथ का भी सफल परीक्षण
मलचंद्रोदय वटी के क्लिनिकल ट्रायल से पहले आयुर्वेद संकाय के दो प्रोफेसरों की टीम ने गोज्वादि और शिरिषादि क्वाथ पर आधारित दो दवाओं का 140 रोगियों पर क्लिनिकल ट्रायल किया था। आयुर्वेद संकाय में विकृति विज्ञान विभाग के प्रो. पीएस. बैदगी और क्रिया शरीर विभाग के प्रो. सुशील कुमार दुबे की टीम इन दिनों अपने परीक्षण के दूसरे और निर्णायक चरण में कार्य कर रही है। मौजूदा समय में 80 रोगियों पर दवा का परीक्षण चल रहा है। इसका परिणाम आते ही आयुष मंत्रालय को विस्तृत रिपोर्ट भेजी जाएगी।