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वायरल :  चंद्रशेखर रावण की रिहाई को नोटों पर लिखे जा रहे संदेश

सहारनपुर में जातीय हिंसा में जिला कारागार में रासुका के तहत बंद भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर की रिहाई के लिए उसके समर्थकों ने अलग ही तरीका अपनाया है। अभी तक प्रदर्शन और धरना करके विरोध जताने वाले भीम...

वायरल :  चंद्रशेखर रावण की रिहाई को नोटों पर लिखे जा रहे संदेश
सहारनपुर, कपिल पूनियाSat, 17 Mar 2018 07:33 AM
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सहारनपुर में जातीय हिंसा में जिला कारागार में रासुका के तहत बंद भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर की रिहाई के लिए उसके समर्थकों ने अलग ही तरीका अपनाया है। अभी तक प्रदर्शन और धरना करके विरोध जताने वाले भीम आर्मी समर्थकों ने अब नोटों पर संदेश लिखकर अभियान चलाया है। हालांकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइड लाइन है कि नोटों पर कुछ भी लिखना अपराध है, लेकिन इसके बावजूद ये कार्यकर्ता सौ-सौ के नोटों पर रिहाई के संदेश लिख रहे हैं,  जिन्हें बाजारों में चलाने के साथ सोशल मीडिया पर भी वायरल किया जा रहा है।
  
सहारनपुर जातीय हिंसा में मुख्य आरोपी बनाई भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण आठ जून 2017 से जिला कारागार में बंद है। प्रशासन ने चंद्रशेखर को रासुका में निरुद्ध करके कई बार इसकी अवधि बढ़ाई जा चुकी है। चंद्रशेखर की रिहाई की मांग को लेकर सहारनपुर से दिल्ली और महाराष्ट्र तक धरने-प्रदर्शन किए जा चुके हैं। हाल ही में सैकड़ों भीम आर्मी कार्यकर्ताओं ने सहारनपुर कलक्ट्रेट में प्रदर्शन कर चंद्रशेखर की रिहाई की मांग की थी। अब भीम आर्मी कार्यकर्ताओं ने चंद्रशेखर की रिहाई की मांग उठाने के लिये नया तरीका अपनाया है। कार्यकर्ताओं की ओर से नोट पर रिहाई संदेश लिखकर बाजारों में चलाए जा रहे हैं। ऐसे ही एक सौ रुपये के नोट पर लिखा है कि एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद रावण को रिहा करो। संदेश लिखे नोटों को बाजारों में चलाने के साथ फेसबुक और वाट्सएप पर भी वायरल किया जा रहा है। देखा-देखी सभी कार्यकर्ता दस, बीस, पचास और सौ के नोट पर संदेश लिखकर नोटों को आगे बढ़ा रहे हैं, जबकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से किसी भी नोट पर कुछ लिखने की मनाही है। इसके बाजूवद चंद्रशेखर की रिहाही के लिए कार्यकर्ता लगातार नोटों पर संदेश लिखकर अभियान बढ़ा रहे हैं। 

भीम आर्मी बनी है सियासी दलों के लिए  परेशानी का सबब
भीम आर्मी पिछले दस माह से सियासी दलों के लिए परेशानी का सबब बनी है और इसकी सक्रियता भी लगातार बढ़ती जा रही है। बसपा के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती बनी है। भीम आर्मी की ताकत को देखकर ही 23 मई 2017 को बसपा सुप्रीमो मायावती लंबे समय बाद सड़क मार्ग से होती हुई सहारनपुर पहुंची थी और शब्बीरपुर में पीड़ितों के घरों पर जाकर उनसे मिली थी। इसके साथ ही दो बार दिल्ली में प्रदर्शन कर भीम आर्मी अपनी ताकत दिखा चुकी है। जिसकी मुख्य ताकत युवा और मातृशक्ति का मिल रहा समर्थन है।

जिगनेश मेवानी भी लगे हैं भीम आर्मी के साथ
गुजरात के दलित नेता और विधायक जिगनेश मेवानी भी उत्तर प्रदेश में भीम आर्मी को साथ लेकर सियासी पारी खेलने की तैयारी में हैं। इन दिनों वह ही भीम आर्मी प्रमुख चन्द्रशेखर को जेल से रिहा कराने के लिए पैरवी कर रहे हैं। 

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