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इनसे सीखें : कोरोना से लड़ने को राम-रहीम मिलकर बने 'कोरोना कमांडो'

धर्म और जात-पात की दीवारों से ऊपर उठकर पूरा गगोल गांव कोरोना से टक्कर के लिए एक साथ खड़ा हो गया है। प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद पूरा गांव ब्लॉक कर दिया गया है और सभी चारों रास्तों पर बैरियर लगा दिए...

इनसे सीखें : कोरोना से लड़ने को राम-रहीम मिलकर बने 'कोरोना कमांडो'
विनय शर्मा, मेरठ।Mon, 30 Mar 2020 09:32 AM
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धर्म और जात-पात की दीवारों से ऊपर उठकर पूरा गगोल गांव कोरोना से टक्कर के लिए एक साथ खड़ा हो गया है। प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद पूरा गांव ब्लॉक कर दिया गया है और सभी चारों रास्तों पर बैरियर लगा दिए गए हैं। गांव के ही 30-35 युवकों की टोलियां बनाई गई हैं, जो लगातार गश्त करती हैं। इन टीमों को कोरोना कमांडो नाम दिया गया है। यही टीम कोरोना से गांव को सुरक्षित रखने के लिए काम कर रही हैं।

परतापुर का गगोल गांव एक ऐतिहासिक तीर्थस्थल है। इस गांव ने एक बार फिर मेरठ में इतिहास लिख दिया है। 24 मार्च की रात जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 21 दिन का लॉकडाउन लागू करते हुए सभी लोगों से सहयोग मांगा तो पूरा गांव कोरोना से जंग के लिए खड़ा हो गया। जाति-धर्म की दीवारें तोड़कर गांव के लोगों ने 25 मार्च को एक प्लानिंग तैयार की और पूरे गांव में दवा का छिड़काव कराया गया। इसके बाद गांव के अंदर आने वाले सभी चारों रास्तों को बैरियर लगाकर बंद कर दिया गया। इन रास्तों से बाहर आने और अंदर आने के दौरान अब लोगों को अपना वोटर कार्ड, आधार कार्ड या कोई पहचान पत्र दिखाना होता है।

हालांकि ज्यादातर लोगों को गांव के लोग पहचानते हैं, लेकिन फिर भी एहतियात बरती जा रही है। गांव के लोगों ने 30-35 लोगों की टीम बनाई है, तो 5-6 की टोलियों में इन बैरियर पर पहरा देती है। इन टीमों को कोरोना कमांडो नाम दिया गया है। यहां हर बैरियर पर अंदर आने वाले लोगों को पहले सैनिटाइज कराया जाता है, ताकि कोरोना वायरस का खतरा गांव में अंदर न आने पाए। इतना ही नहीं, गांव में ऐलान कराया गया है कि कोई घर से बाहर न जाए और खेत में चारा लेने के लिए केवल एक ही व्यक्ति जाए, साथ ही सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें। इस सुरक्षा कवच की शुरुआत गांव निवासी आलम, अनिल कश्यप, रविंद्र कश्यप, ताहिर मलिक, असलम मलिक, प्रदीप गुर्जर और सुनील कुमार समेत बाकी लोगों ने की है।

गांव में बांटे गए थे मास्क और सैनिटाइजर
कोरोना संक्रमण के देश में फैलने के बाद गांव के लोगों को साबुन बांटी गई थी। इसके लिए गांव के लोगों ने ही पैसा जुटाया था। इसके अलावा कुछ लोगों ने मास्क और सैनिटाइजर भी दिए। वहीं गांव में ही घर-घर जाकर हाथ साबुन से धोने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है। 

रिश्तेदारों को फिलहाल नो-एंट्री
गांव के लोगों ने बताया कि फिलहाल बस उन्हीं लोगों को गांव में एंट्री है, जो गांव के रहने वाले हैं। गांव का जो भी रिश्तेदार कहीं से आ जाता है तो उसे मना कर दिया जाता है। कोई मिलने वाला भी आ रहा है तो पहले पूछा जाता है कि कहां से आए हैं और पिछले 20 दिन में दिल्ली, नोएडा, मुंबई, गाजियाबाद या बागपत जैसी जगहों पर तो नहीं रहे।

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