फर्जी विवाह प्रमाणपत्रों पर पंजीकृत हो रही हैं शादियां, हाईकोर्ट की टिप्पणी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी विवाह प्रमाणपत्रों के आधार पर हो रहे विवाहों के पंजीकरण पर चिंता जताई है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने पिछले एक वर्ष में पंजीकृत विवाहों का ब्योरा मांगा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी विवाह प्रमाणपत्रों के आधार पर हो रहे विवाहों के पंजीकरण पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि वैध विवाह का दावा साबित करने के लिए विवाह पंजीकरण कार्यालय के अधिकारियों की मिलीभगत से विवाह प्रमाण पत्र बनवाए जा रहे हैं। विभिन्न संगठनों की ओर से फर्जी विवाह प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं, ताकि जोड़े पुलिस सुरक्षा के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा सकें। कोर्ट ने गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर के सहायक महानिरीक्षक पंजीयन (स्टाम्प एवं पंजीयन) से पिछले एक वर्ष में पंजीकृत विवाहों का ब्योरा मांगा है। कोर्ट ने कहा कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन के समर्थन के बिना यह संभव नहीं है। शनिदेव की याचिका पर न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर यह टिप्पणी की।
इटावा निवासी शनिदेव ने याचिका दाखिल कर परिजनों से अपने जीवन को खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की। याची का कहना था कि उसने 03 जून 2007 को आर्य समाज मंदिर, ग्रेटर नोएडा में विवाह किया। उनकी ओर से जारी विवाह प्रमाण पत्र के आधार पर याची ने विवाह रजिस्ट्रार, गौतमबुद्ध नगर के समक्ष विवाह पंजीकरण के लिए आवेदन किया है। सरकारी वकील का कहना था कि एक जाली दस्तावेज के आधार पर विवाह पंजीकरण अधिकारी, गाजियाबाद के समक्ष पंजीकरण के लिए आवेदन किया गया है।
कोर्ट ने कहा कि लोग अपना जीवन साथी चुनने और वैवाहिक संबंध या लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन जाली दस्तावेज के आधार पर सुरक्षा नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि फर्जी पंजीकृत संगठनों की ओर से फर्जी विवाह प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं। ऐसे में अदालतें सुरक्षा के लिए दाखिल याचिकाओं की बाढ़ आ गई है । ऐसी अधिकांश सोसायटी या संगठन नोएडा या गाजियाबाद में स्थित हैं। हर दिन 10-15 मामलों में विवाह धोखाधड़ी से किए गए हैं और उसके बाद फर्जी कागजात पर या तो प्रयागराज या गाजियाबाद और नोएडा में विवाह पंजीकृत कराए गए हैं।
कोर्ट ने गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर के सहायक महानिरीक्षक पंजीकरण (स्टाम्प एवं पंजीकरण) को अगली सुनवाई पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने को कहा है। साथ ही पिछले एक वर्ष में पंजीकृत विवाहों का ब्यौरा भी प्रस्तुत करने को कहा गया है। कोर्ट ने महानिरीक्षक स्टाम्प को एक अगस्त 2023 से एक अगस्त 2024 तक उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में पंजीकृत विवाहों की संख्या भी जिलेवार दर्ज करने का निर्देश दिया है ।