हाथरस कांड के बाद विरोध प्रदर्शन के लिए लोगों को उकसाने के मकसद से बनाई गईं वेबसाइट्स पुलिस के निशाने पर हैं। इसमें ‘जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम’ नाम से बनाई गई वेबसाइट की भूमिका तलाशने में कई एजेंसियां लगी हुई हैं।
इन्हीं वेबसाइट्स की भूमिका के कारण आधार पर पुलिस यह दावा कर रही है कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों की तर्ज पर हाथरस कांड के बहाने प्रदेश में जातीय हिंसा भड़काने की साजिश रची गई थी। ‘जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम’ के नाम से रातों रात बनाई गई वेबसाइट ने अधिक से अधिक संख्या में लोगों को इससे जोड़ने का अभियान चलाया।
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि नकली आईडी इस्तेमाल करके लोगों को उकसाने वाली सामग्री भेजी गई। इस तरह दिल्ली, अहमदाबाद व कोलकाता समेत देश के अन्य बड़े शहरों के हजारों लोगों को इससे जोड़ लिया गया। कुछ वेबसाइट्स पर यह भी बताया गया है कि प्रदर्शन के वक्त क्या पहनें तथा कैसे, कब और किधर भागें। साथ ही यह हिदायत भी दी गई कि अपनी कोई रिकार्डिंग सोशल मीडिया पर अपलोड न करें। वेबसाइट पर यह भी बताया गया कि अपनी पहचान छिपाते हुए मास्क पहनकर प्रदर्शन करें।