लखनऊ विश्वविद्यालय जौनपुर और अवध से पिछड़ा, पढ़िए पूरी रिपोर्ट
लखनऊ विश्वविद्यालय 100वें स्थापना वर्ष में प्रवेश करने जा रहे है। प्रदेश का यह सबसे पुराना राज्य विश्वविद्यालय शोध के मामले में पिछड़ रहा है। शोध गंगा पोर्टल पर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालय में वीर...
लखनऊ विश्वविद्यालय 100वें स्थापना वर्ष में प्रवेश करने जा रहे है। प्रदेश का यह सबसे पुराना राज्य विश्वविद्यालय शोध के मामले में पिछड़ रहा है। शोध गंगा पोर्टल पर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालय में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर और डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या छाए हुए हैं।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर तो 8155 थीसिस के साथ देश में पांचवें स्थान पर है। लेकिन, प्रदेश के सबसे पुराने राज्य विश्वविद्यालय लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से अभी तक सिर्फ 886 थीसिस ही अपलोड की गई हैं।
शोध की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए शोध गंगा पोर्टल तैयार किया गया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय से लेकर विवि अनुदान आयोग तक इसमें सहयोग कर रहा है।
बकायदा, यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालय को इस पोर्टल पर अपनी थीसिस अपलोड करने के निर्देश भी दिए हैं। इसे थीसिस में हो रही नकल पर लगाम लगाने में अहम माना जा रहा है। साथ ही, एक शोधार्थी के शोध कार्य का काम दुनिया के दूसरे कोने में बैठे अन्य शोधार्थी उठा सकते हैं।
यह हैं टॉप तीन विश्वविद्यालय :
प्रदेश में 17 राज्य विश्वविद्यालय हैं। इसमें, 8155 थीसिस के साथ वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि जौनपुर सबसे आगे है। 4093 थीसिस के साथ दूसरे नम्बर पर डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विवि अयोध्या छाया हुआ है। यहां पिछले छह महीने में काफी तेजी से काम हुआ है। चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ से 2122 थीसिस अपलोड की गई।
थीसिस अपलोड करने में पीछे
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर 8155
डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय 4093
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ 2122
बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय 1815
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर 1277
यूनिवर्सिटी ऑफ इलाहबाद 934
लखनऊ विश्वविद्यालय 886
दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गौरखपुर 486
डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा 66
सत्र शुरू होने के बाद भी नहीं हुए पीएचडी दाखिले
लखनऊ विश्वविद्यालय में इस सत्र की पीएचडी प्रवेश की प्रक्रिया अभी भी फंसी हुई है। सत्र शुरू होने के करीब दो महीने बाद अब विभागों से सीट का ब्योरा मांगा गया है। कब दाखिले की प्रक्रिया शुरू होगी यह अभी तक नहीं पता है। इसका खामियाजा प्रवेश के इंतजार में बैठे अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ रहा है।
शोध कार्य किसी भी विश्वविद्यालय की जान होते हैं। जरूरी है कि इसकी प्रवेश प्रक्रिया और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान रखा जाए।
विवेक सिंह मोनू, शोधार्थी लखनऊ विश्वविद्यालय
एलयू में शोध कार्य को शोध गंगा पर अपलोड करने की प्रक्रिया चल रही है। जहां तक प्रवेश का सवाल है तो उसकी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
प्रो. एनके पाण्डेय, प्रवक्ता, लखनऊ विश्वविद्यालय