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क्यों नवंबर तक टल सकता है यूपी में इंडिया गठबंधन का सीट बंटवारा? अखिलेश यादव सितंबर तक फाइनल चाहते हैं

लोकसभा की 80 सीट वाले यूपी में इंडिया गठबंधन का सीट बंटवारा कब और किस फार्मूले पर होगा इस पर कयास जारी है। कांग्रेस चाहती है कि सीट बंटवारा नवंबर तक टल जाए जबकि अखिलेश चाहते हैं सितंबर तक हो जाए।

क्यों नवंबर तक टल सकता है यूपी में इंडिया गठबंधन का सीट बंटवारा? अखिलेश यादव सितंबर तक फाइनल चाहते हैं
Deep Pandeyलाइव हिन्दुस्तान,लखनऊMon, 18 Sep 2023 03:15 PM
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लोकसभा की 80 सीट वाले यूपी में इंडिया गठबंधन का सीट बंटवारा कब और किस फार्मूले पर होगा इस पर कयास जारी है। यूपी की राजनीति में सपा INDIA गठजोड़ की सबसे अहम और मजबूत कड़ी है। वहीं कांग्रेस यूपी में ऑक्सीजन की तलाश में है। ऐसे में अखिलेश प्रभावी निर्णय करना चाहते हैं। चर्चा है कि अखिलेश चाहते हैं कि सितंबर के अंत तक सीट शेयरिंग फाइनल हो जाए। अखिलेश चाहते है कि जल्दी से जल्दी सीट फाइनल हो जाएं तो वो कैंडिडेट फाइनल करके नाम सामने रख सकें और पार्टी और गठबंधन उनको जिताने के लिए कमर कसकर उतर सके।

उधर, कांग्रेस की चाहत है कि यूपी सीट बंटवारा को नवंबर यानि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने तक टल दिया जाए। हैदराबाद में हुई मीटिंग में कई नेताओं ने सीट बंटवारे पर बातचीत नवंबर तक टालने का आग्रह किया है। इसके पीछे सोच है कि राज्यों में कांग्रेस की ताकत बढ़ने पर पार्टी सीट बंटवारे में मजबूती से दावा ठोकेगी। 

सीट बंटवारे में जल्दबाजी नहीं चाहती कांग्रेस 
 
कई नेताओं ने कांग्रेस कार्य समिति की दो दिवसीय बैठक के दौरान कांग्रेस संगठन तथा विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन को मजबूत करने की अपील का समर्थन किया, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी को अपनी जैसी विचारधारा वाले दलों के साथ सीट बंटवारे की व्यवस्था करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने यहां दो दिवसीय बैठक के दौरान 'इंडिया' गठबंधन को मजबूत करने का आह्वान किया, जबकि राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी तथा विपक्षी गठबंधन दोनों को मजबूत किया जाना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि कई नेताओं ने कहा कि यह कांग्रेस की स्थिति की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए।

अखिलेश यादव की क्या है प्लानिंग

यूपी में सीट शेयरिंग फार्मूला क्या है यह तय नहीं हो पाया पर चर्चा है कि अखिलेश यादव ने 40 ऐसी तय कर ली है जिस पर कोई बात नहीं होगी और वहां सपा लड़ेगी। बाकी सीट उन्होंने गठबंधन की बातचीत के लिए रखा है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वो 40 सीट दे रहे हैं। आरएलडी का दावा 8 सीटों पर है, लेकिन 5-6 सीट जयंत चौधरी को भी अखिलेश दे सकते हैं। इसी तरह अपना दल कमेरावादी लोकसभा की 1 सीट पर अपना उम्मीदवार उतार सकती हैं।  उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की मांग है कि सीट शेयरिंग में 2009 के फॉर्मूले को अपनाया जाए। 2009 में कांग्रेस ने यूपी की 21 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2014 में 2 और 2019 में 1 सीट ही कांग्रेस जीत पाई।

यूपी में कौन कितना मजबूत

लोकसभा की दृष्टि से यूपी में गठबंधन इंडिया स्थिति कमजोर नजर आती है। एनडीए के बाद सबसे बड़े दल कांग्रेस के पास यूपी में मात्र एक सीट रायबरेली है। वर्ष 2019 के चुनाव में सपा को 5 सीटें मिली थीं और बाद में इनमें से दो सीटें आजमगढ़ और रामपुर उसने उपचुनाव में खो दीं। इस तरह से वर्तमान में सपा के पास मैनपुरी, मुरादाबाद और संभल लोकसभा तीन सीटें ही हैं। रालोद और अन्य सहयोगी दल यहां शून्य पर हैं।


ये दल हैं गठबंधन इंडिया में शामिल

 कांग्रेस, टीएमसी, डीएके, आप, जेदयू, आजेडी, JMM, NCP (शरद गुट), शिवसेना (उद्वव गुट), SP, एनसी, PDP, CPM, CPI, RLD, MDMK, केएमडीके, वीसीके, आरएसपी, सीपीआई-एमएल (लिबरेशन), फॉरवर्ड ब्लॉक, आईयूएमएल, केरल कांग्रेस (जोसेफ), केरल कांग्रेस (मणि), अपना दल (कामेरावादी) और एमएमके 


 

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