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लोकसभा चुनाव 2019: दिवाली से पहले हो सकता है यूपी मंत्रिमंडल का विस्तार

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बुधवार को लखनऊ दौरे के बाद एक बार फिर प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई हैं। ये विस्तार दीपावली के त्योहार से पहले होने के आसार हैं। साल 2019 के...

लोकसभा चुनाव 2019: दिवाली से पहले हो सकता है यूपी मंत्रिमंडल का विस्तार
नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाताSat, 27 Oct 2018 08:31 AM
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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बुधवार को लखनऊ दौरे के बाद एक बार फिर प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई हैं। ये विस्तार दीपावली के त्योहार से पहले होने के आसार हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। वहीं मंत्रिमंडल में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिए कई नए चेहरों को स्थान दिया जा सकता है। कुछ मंत्रियों को हटाकर संगठन में, तो संगठन से कुछ पदाधिकारियों और वरिष्ठ विधायकों को मंत्रिमंडल में लाया जा सकता है। करीब 8-10 विधायकों को मंत्री पद दिए जाने की संभावना है।

दरअसल, 24 अक्टूबर को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आरएसएस के पदाधिकारियों के साथ समन्वय बैठक के दौरान सरकार और संगठन के बड़े प्रमुखों के साथ बैठक की थी। इसमें केंद्रीय नेतृत्व आसन्न लोकसभा चुनावों में भाजपा की मौजूदा स्थिति को लेकर खासा चिंतित दिखा। मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों के नकारेपन और कदाचारन की शिकायतों को लेकर शाह काफी नाराज़ दिखे । इसके बाद ही मंत्रिमंडल में बदलाव के आसार नजर आने लगे थे। इस बैठक में शाह ने, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डा.दिनेश शर्मा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. महेन्द्र नाथ पाण्डेय और महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल के साथ प्रदेश के सपा-बसपा कांग्रेस व अन्य छोटे दलों के प्रस्तावित महागठबंधन के साथ प्रदेश के राजनीतिक हालातों पर भी चर्चा की थी।

हालांकि, सरकार और प्रदेश नेतृत्व की आपसी बैठकों में मौजूदा मंत्रियों को हटाने और उनके स्थान पर नए मंत्रियों को रखने के बारे में विस्तृत चर्चा के साथ ही सूची भी तैयार की जा चुकी है। अब इस सूची पर केंद्रीय नेतृत्व की हरी झंडी मिल चुकी है। मंत्री मंडल विस्तार के लिहाज़ से 29 अक्टूबर को संगठन और सरकार के मंत्रियों के साथ होने वाली बैठक भी अहम है।

मंत्रिमंडल का मौजूदा स्वरूप जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से असंतुलित माना जा रहा है। इस मंत्रिमंडल में प्रदेश के करीब 45 जिलों का प्रतिनिधित्व ही नहीं है। इसके साथ ही 47 सदस्यों वाले मंत्रिमंडल में 13 और मंत्रियों को रखे जाने की गुंजाइश है। बीते दिनों भाजपा के पिछड़ी जाति के सम्मेलनों में गुर्जर व कई अन्य वर्गों को मंत्रिमंडल में जगह दिए जाने की मांग की थी। मंत्रिमंडल विस्तार में पिछड़ों व दलितों को यथोचित स्थान देने की मंशा से गुर्जर जाति के संगठन के प्रदेश महामंत्री व एमएलसी अशोक कटारिया और विद्या सागर सोनकर को लिया जा सकता है।
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इसीलिए क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिए पश्चिमी यूपी के बड़े ब्राहाण नेता व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मी कांत वाजपेयी को भी मंत्री बनाया जा सकता है। लगातार विधानसभा का चुनाव जीत रहे डा. बाजपेयी इस बार हार गए थे। पार्टी के इन वरिष्ठ नेता के समायोजन के लिए राज्यसभा और विधान परिषद का सदस्य बनाने की चर्चा चली थी। गोरखपुर शहर के विधायक व भाजपा के वरिष्ठ नेता डा. राधा मोहन दास अग्रवाल का भी मंत्रिमंडल विस्तार में नाम लिया जा रहा है। इसके अलावा जाटव समाज से आगरा कैंट से विधायक डा. जी.एस. धर्मेश पंकज सिंह अपना दल के आशीष पटेल भी मंत्रिमंडल में स्थान पा सकते हैं। अच्छा काम करने वाले मंत्रियों  स्वतंत्रदेव महेन्द्र सिंह आशुतोष टंडन और श्री कांत शर्मा सरीखे मंत्रियों का प्रमोशन भी हो सकता है।
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