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लॉकडाउन : गोंडा का एक पूरा गांव जुटा है श्रमिकों की सेवा में, देखें Video

पारा चाहे 42 डिग्री सेल्सियस हो या फिर 45, सर पर सूरज हो या फिर बला की तपिश, गांव नहीं ठहरता। मिसाल देकर बेमिसाल बने हलधरमऊ गांव का कोई सानी नहीं है। यह पूरा गांव श्रमिक स्पेशल से आने वाले कामगारों...

लॉकडाउन : गोंडा का एक पूरा गांव जुटा है श्रमिकों की सेवा में, देखें Video
हिन्दुस्तान टीम,गोंडाSun, 31 May 2020 05:24 PM
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पारा चाहे 42 डिग्री सेल्सियस हो या फिर 45, सर पर सूरज हो या फिर बला की तपिश, गांव नहीं ठहरता। मिसाल देकर बेमिसाल बने हलधरमऊ गांव का कोई सानी नहीं है। यह पूरा गांव श्रमिक स्पेशल से आने वाले कामगारों की खिदमत में ऐसे जुटा है जिसकी कोई मिसाल नहीं मिलती। गांव में पण्डाल में लगातार श्रमिकों के लिए भोजन बनाया जा रहा है। बच्चे, बूढे़, जवान सब सुबह से लेकर रात तक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से आने वाले कामगारों के लिए जुटे रहते हैं।  

 उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में मैजापुर रेलवे स्टेशन के करीब  बसे ग्राम पंचायत हलधरमऊ के लोगों ने प्रवासी मजदूरों की सेवा में तन-मन-धन सब लगा दिया है। यही वजह है कि बीते एक पखवारे से यह गांव जिले में ही नहीं सूबे में भी सोशल मीडिया से लेकर अन्य तक सुर्खियों में छाया है। सेवाभाव का जुनून ऐसा कि स्टेशन पर ट्रेन पहुंचते ही युवा, वृद्ध, महिलाएं व बच्चे नाश्ता के पैकेट व  हाथों में पानी की बाल्टी लेकर तपती दोपहरी में ट्रेन के हर डिब्बे में पहुंच जाते हैं। बड़े आत्मीयता के साथ प्रवासियों के खाने पीने की सामग्री देकर उनका कुशल क्षेम भी पूंछने से नहीं चूकते। ग्रामीणों के इस सेवाभाव से भावुक होकर बिहार के राम सजीवन ने कहा कि इतनी दूर से चले आए लेकिन रास्ते में कहीं भी हम लोगों के लिए इतनी परवाह करने वाला कोई नहीं मिला। ग्राम प्रधान मसूद खां ने बताया कि ग्रामीणों के इस सेवा भाव को देखकर वह अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। 

 

जब बाल्टी में पानी भरकर दौड़ पड़ी महिला : एक ट्रेन यहां आकर रुकी। एक श्रमिक प्यास बुझाने के लिए बेताब दिखा, तभी रूखसाना इस कदर भावुक हुई कि वह बाल्टी में पानी भरकर स्टेशन की तरफ दौड़ पड़ी। गांव के बच्चे और अन्य महिलाएं भी आ जुटीं। 

15वीं पीढ़ी तक खिदमत की ‘रवायत’: आज से 600 साल पहले वर्तमान में 4000 आबादी वाला गांव  हलधरमऊ  की बुनियाद कमाल खां पुत्र भीखन खां  ने रखी थी। खिदमत की यह रवायत अब जिनकी 15 वीं पीढ़ी तक पहुंच गई है। मुगल शासन रहा हो या अंग्रेजी शासन, हलधरमऊ को हमेशा नेतृत्व का रुतबा हासिल रहा। देश की आजादी में इस गांव के बुजर्गों ने अपनी बड़ी भूमिका अदा की और अपना बलिदान दिया।

 इस गांव की मिट्टी की तासीर में ही  इंकलाब, भाईचारा, सौहार्द, सामाजिक खिदमत, कमजोरों की मदद, गंगा जमुनी तहजीब शामिल है। पूर्व प्रमुख बसपा नेता मसूद खां बताते हैं कि इस गांव ने बड़ी बड़ी शख्सियतों को जन्म दिया। जिनमें हाजी मुंशी इशहाक खां ,मुशर्रफ खां, जंगबहादुर खां, नवरंग खां, मुख्तार खां, नसीम खां अब्दुक खालिक खां अब्दुल माजिद खां, फसीउर्रहमान खां उर्फ मुन्नन खां समेत प्रमुख शख्सियतें शामिल हैं। वर्तमान में हलधरमऊ गांव के युवा डॉ. मोहम्मद सादिर को अपना आदर्श मानते है, इन्होंने हलधरमऊ में शिक्षा की क्रान्ति लाई। एक दर्जन बच्चे या तो डॉक्टर बन गए हैं या पढ़ाई कर रहे हैं।

डॉक्टर, प्रोफेसर, इंजीनीयर, टीचर, एडवोकेट, सेना, पुलिस, राज्य व केंद्र सरकार की सेवाओं में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।  खासकर गांव के युवा तबके में एक जुनून वलवला कुछ अच्छा कर गुजरने की जोश व जज्बा है। यही वजह है कि आजकल  रोजाना 25 हजार श्रमिक यात्रियों को खाना पानी उपलब्ध कराकर पूरे देश मे मानवता और इंसानियत की सेवा की मिसाल बन गए हैं। 

बोले युवा : युवा सुफियान खान ने बताया कि यहां गांव के लोगों को सेवा विरासत में मिली है। रोजाना श्रमिकों को भोजन कराकर जो सुकून मिलता है उसे शब्दों में नहीं बता सकते। अब तक तीन लाख से अधिक श्रमिकों को खाना-पानी दिया जा चुका है।

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