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जानिए फर्जी दस्‍तावेजों से लोन कराकर बैंकों को कैसे चूना लगा रहा था गिरोह, STF ने किया खुलासा

फर्जी आधार कार्ड और दस्तावेज तैयार कर दो पहिया वाहन फाइनेंस कराकर बैंकों को चूना लगाने वाला गिरोह पकड़ा गया है। एसटीएफ आगरा यूनिट और शमसाबाद पुलिस की संयुक्त टीम दो दिन से छापेमारी कर रही थी। सात...

जानिए फर्जी दस्‍तावेजों से लोन कराकर बैंकों को कैसे चूना लगा रहा था गिरोह, STF ने किया खुलासा
हिन्‍दुस्‍तान टीम ,आगरा Sat, 09 Jan 2021 04:35 PM
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फर्जी आधार कार्ड और दस्तावेज तैयार कर दो पहिया वाहन फाइनेंस कराकर बैंकों को चूना लगाने वाला गिरोह पकड़ा गया है। एसटीएफ आगरा यूनिट और शमसाबाद पुलिस की संयुक्त टीम दो दिन से छापेमारी कर रही थी। सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। 13 बाइक बरामद हुई हैं। इन्हें फाइनेंस कराया गया था। शातिर फोटोशॉप से एडिटिंग कर या मोबाइल ऐप से फर्जी आधार कार्ड बनाते थे।

एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि गैंग का सरगना मोनू धाकरे है। जो ढाई साल से इस अवैध धंधे में लिप्त है। शिकायत मिलने पर आगरा एसटीएफ यूनिट ने सुराग जुटाना शुरू किया। बुधवार की रात पुलिस ने शमसाबाद क्षेत्र से सोनू धाकरे को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ के बाद गैंग के आधा दर्जन सदस्यों को और दबोचा गया। गैंग के दो सदस्य अभी फरार हैं। उनकी तलाश की जा रही है। पुलिस ने 13 बाइक शमसाबाद और राजाखेड़ा (धौलपुर) से बरामद की हैं।

एसएसपी ने बताया कि इस खेल में बैंक कर्मी भी शामिल हैं। लोन लेने से पहले पता सत्यापन कराया जाता है। यह देखा जाता है कि जिस व्यक्ति के कागजात लगे हैं वह मौके पर मौजूद है या नहीं है। दो पहिया वाहन पर लोन के लिए आयकर रिटर्न नहीं मांगा जाता है। चार पहिया पर आयकर रिटर्न भी मांगा जाता है। गैंग के सदस्य फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और दस्तावेज लगाकर लोन के लिए आवेदन करते थे। बैंक कर्मचारी जांच के बाद उन्हें सत्यापित करता था। लोन स्वीकृत होने के बाद गाड़ी मिल जाती थी। किश्त जमा न होने पर यह पता चलता था कि कागजात फर्जी थे। असली आधार कार्ड में फोटोशाप और फेक आईडी मेकर एप से एडिटिंग कर किसी का भी नाम-पता लिख दिया जाता था। उस पर फोटो भी बदल दिया जाता था। इन कागजातों को लोन लेने के लिए लगा देते थे। शातिर आधार कार्ड और पैन कार्ड जुटाने के लिए लोगों को सस्ती बाइक दिलाने का झांसा देकर अपने जाल में फंसाते थे। उनके कागजों में ही हेराफेरी करते थे। उसके बाद लोन लेते थे।

कई बैंकों को लगाया चूना
पुलिस के अनुसार शातिरों ने आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, टाटा कैपिटल, एचडीएफसी आदि बैंकों से फर्जी कागजातों पर दोपहिया वाहनों के लिए लोन कराया था। अब यह पता किया जा रहा है कि शातिरों से कौन से बैंककर्मी मिले हुए थे। इनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। अभी यह साफ नहीं हुआ है कि शातिरों ने किस बैंक को कितने रुपये का चूना लगाया है। किस बैंक से कितने वाहन फाइनेंस कराए थे। अभी कितने और वाहन बरामद करना शेष बचा है। पहली कार्रवाई में 13 बाइक मिली हैं। माना जा रहा है कि शातिर बड़ी संख्या में वाहन फाइनेंस करा चुके हैं।

खुलासे में ये शामिल
गैंग को बेनकाब करने में एसटीएफ के एसआई प्रमोद कुमार, एसआई मानवेंद्र सिंह, एसआई अमित गोस्वामी, संतेाष कुमार, बृजराज, प्रशांत चौहान आदि शामिल रहे।

इनको भेजा गया है जेल
ताजगंज के चमरौली निवासी मनमोहन सिंह धाकरे उर्फ मोनू, निबोहरा के कुमपुरा निवासी सतेंद्र सिंह, पोपेंद्र सिंह उर्फ पोपी, शमसाबाद के रोहई निवासी अतुल मुदगल, कुतुकपुर निवासी राम कन्हैया, शमसाबाद निवासी मोनू सिंह, निबोहरा के सहाय का पुरा निवासी सोनू सिंह।

ये हैं फरार: राजस्थान के राजाखेड़ा निवासी शंकर, निबोहरा के नींच खेड़ा निवासी विजयराम।

हर किसी को मिली थी जिम्मेदारी
मनमोहन उर्फ मोनू धाकरे इस गैंग का सरगना है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक व टाटा कैपिटल के कर्मचारियों को रिश्वत देकर लोन पास कराने की जिम्मेदारी थी। पोमेंद्र उर्फ पोपी और अतुल मुदगल कंप्यूटर के जानकार हैं। दोनों अपने लैपटॉप से फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड बनाया करते थे। मोनू सिंह और रामकन्हैया को बैंक से लोन के लिए एप्रूवल लेने की जिम्मेदारी दी गई थी।

ये हुई बरामदगी
13 बाइक, तीन लैपटॉप, दो कलर प्रिंटर, दो फिंगर प्रिंट सेंसर, छह मोबाइल, 42 आधार कार्ड, 11 पैनकार्ड, 8 मतदाता पहचान पत्र, 16 बैंक पासबुक, 2 एटीएम कार्ड, एक बैंक आईकार्ड, 9 शीट अधबने आधार कार्ड, 3550 रुपये।

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