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पशुधन फर्जीवाड़ा: संतोष ने STF से उगले कई राज, सचिवालय में कैसे फैला है पूरा नेटवर्क 

पशुपालन विभाग में आटे की सप्लाई के नाम पर हुए करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े में गिरफ्तार संतोष मिश्र ने सचिवालय के अन्दर फैले पूरे नेटवर्क का ब्योरा एसटीएफ को दिया। दावा किया जा रहा है कि संतोष किसी भी...

पशुधन फर्जीवाड़ा: संतोष ने STF से उगले कई राज, सचिवालय में कैसे फैला है पूरा नेटवर्क 
प्रमुख संवाददाता,लखनऊMon, 21 Sep 2020 09:33 AM
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पशुपालन विभाग में आटे की सप्लाई के नाम पर हुए करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े में गिरफ्तार संतोष मिश्र ने सचिवालय के अन्दर फैले पूरे नेटवर्क का ब्योरा एसटीएफ को दिया। दावा किया जा रहा है कि संतोष किसी भी जिले में पैरवी कराने के लिये बड़ी आसानी से सचिवालय से फोन करवा लेता था। इस काम में अधिकारी-कर्मचारी सब उसकी तुरन्त मदद करते थे। अपने साथ साठगांठ में शामिल कई कर्मचारियों के नाम भी उसने बताये है। एसटीएफ ने इन सबसे पूछताछ करने की कवायद शुरू कर दी है। उधर, संतोष को हजरतगंज पुलिस ने जेल भेज दिया है। 

पशुधन फर्जीवाड़े की जांच मुख्यमंत्री के आदेश पर एसटीएफ ने की थी। एसटीएफ ने जब जांच पूरी की तो बड़ा खुलासा हुआ जिससे आईपीएस और सचिवालय महकमे में हड़कम्प मच गया था। इंदौर के पीड़ित व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया की तहरीर पर एफआईदर्ज होते ही सात लोग गिरफ्तार कर लिये गए थे।

इस दौरान पशुधन राज्यमंत्री जय प्रकाश निषाद के निजी प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित व अनिल राय ने सचिवालय के अंदर की मिलीभगत का खुलासा किया था। रजनीश के कमरे में ही आशीष राय पीड़ित से उप निदेशक एसके मित्तल बनकर मिलता रहा। इसके बाद अब तक 11 गिरफ्तारियां हो चुकी है। शनिवार को ही पकड़े गए गोण्डा निवासी संतोष मिश्र ने एसटीएफ को बताया कि सचिवालय के अंदर उसके सम्पर्क में कई लोग थे। 

दावत व रकम देता था कर्मचारियों को
एसटीएफ के अधिकारियों ने बताया कि संतोष का सचिवालय में काफी आना जाना था। कई बार वह शाम को पहुंचता था। फिर कई कर्मचारियों को वह होटलों में दावत देता था। यहीं वह छोटे कामों के लिये फोन करवाता था, फिर इसके बाद उन्हें रकम भी देता था। इन कर्मचारियों के नाम भी एसटीएफ को बताये गए हैं। 

सवा करोड़ रुपये लिये काम नहीं हुआ
संतोष ने एसटीएफ को यह भी बताया कि अलास्का इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी के एमडी हरिमोहन यादव ने उससे अपने मामले को मैनेज कराने के लिये सवा करोड़ रुपये दिये थे। पर काफी प्रयास के बाद भी उसका काम नहीं हो पाया। इसको लेकर हरिओम से विवाद भी हुआ था। वहीं सचिवालय के तीन कर्मचारियों को भी उसने इसमें से कुछ हिस्सा दिया था। इस बारे में भी एसटीएफ पड़ताल कर रही है। 
 

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