कैनाइन डिस्टेम्पर जैसी जानलेवा बीमारी से अब नहीं मरेंगे शेर क्योंकि...
कैनाइन डिस्टेम्पर जैसी जानलेवा बीमारी से अब कोई शेर नहीं मरेगा। इस खतनाक बीमारी से शेरों को बचाने के लिए इटावा सफारी के पशु विशेषज्ञों ने नई वैक्सीन इजाद कर ली है। सफारी के शेरों में इस्तेमाल के...
कैनाइन डिस्टेम्पर जैसी जानलेवा बीमारी से अब कोई शेर नहीं मरेगा। इस खतनाक बीमारी से शेरों को बचाने के लिए इटावा सफारी के पशु विशेषज्ञों ने नई वैक्सीन इजाद कर ली है। सफारी के शेरों में इस्तेमाल के बाद मिली सफलता से उत्साहित सफारी प्रशासन ने अब इसे गुजरात भेजना का फैसला किया है। गुजरात के जूनागढ़ स्थिति शक्करबाग चिडिय़ाघर में सबसे ज्यादा शेर हैं। इटावा सफारी से भेजी गई वैक्सीन अब उनपर भी प्रयोग की जाएगी।
कैनाइन डिस्टेम्पर शेरों की सबसे खतरनाक बीमारी है और एक वर्ष पहले इसका कोई इलाज भी नहीं था। इटावा सफारी पार्क में जब शेरों की कैनाइन डिस्टेम्पर से मौत हुई तब कैनाइन डिस्टेम्पर की वैक्सीन तैयार की गई और उसका इटावा में ही प्रयोग किया गया। इसके सफल होने के बाद अब गुजरात सहित कई स्थानों पर इस वैक्सीन का प्रयोग किया जा रहा है। सफारी पार्क में पांच शेर-शेरनी की मौत कैनाइन डिस्टेम्पर से होने के बाद शेरनी कुवंरि को इस बीमारी से मुक्त कराने में सफारी प्रशासन ने सफलता पाई थी। अब कई स्थानों पर शेरों को बचाने के लिए इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इटावा सफारी पार्क के डायरेक्टर संजय श्रीवास्तव व डिप्टी डायरेक्टर रहे अनिल पटेल के कार्यकाल में यह वैक्सीन लगाई गई थी जो कामयाब भी रही।
कुवंरि शेरनी का इलाज जारी
सफारी में शेरनी कुवंरि का इलाज जारी है। यह इलाज पिछले दो वर्षाें से जारी है। हालांकि कुवंरि ने कैनाइन डिस्टेम्पर पर विजय पा ली है लेकिन अन्य बीमारियों से जूझ रही है। कुवंरि को जब गुजरात से इटावा लाया गया था तब इसके पीछे की थीमरवोन टूटी हुई थी। इसके बाद मनन के साथ ब्रीडिंग के दौरान भी कुवंरि घायल हो गई थी। पिछले दिनों एक बार फिर कुवंरि की तबियत बिगड़ी और तब से आईबीआरआई बरेली के डाक्टरों के सहयोग से इसका इलाज चल रहा है। डायरेक्टर पीपी सिंह ने बताया है कि कुवंरि का बेहतर से बेहतर इलाज किया जा रहा है। हालांकि उसकी स्थिति नाजुक बनी है।
टीबी मुक्त हो रहे हैं भालू
सफारी पार्क में लाए गए चार भालुओं में से दो भालुओं को टीबी हो गई थी जिसका इलाज सफारी में ही किया जा रहा है। इनकी बीमारी काफी हद तक ठीक हो गई है और जल्द ही इनके टीबी मुक्त हो जाने की संभावना है। फिलहाल इन भालुओं को एनिमल हाउस में ही रखा गया है।