कल्याण और मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे लाल जी टंडन
बिहार के राज्यपाल बनाए गए लालजी टण्डन राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से शुरुआती दिनों से जुड़े रहे हैं। वह जनसंघ से स्थापना के वक्त से जुड़े रहे और बाद में भारतीय जनता पार्टी में प्रदेश की राजनीति में...
बिहार के राज्यपाल बनाए गए लालजी टण्डन राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से शुरुआती दिनों से जुड़े रहे हैं। वह जनसंघ से स्थापना के वक्त से जुड़े रहे और बाद में भारतीय जनता पार्टी में प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहे। वह 14 साल की उम्र से ही आरएसएस में शामिल हो गए थे।
साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पहले अलीगढ़ के कल्याण सिंह, इलाहाबाद के केसरीनाथ त्रिपाठी और बागपत के सत्यपाल मलिक को राज्यपाल बनाया गया। अब यूपी से भाजपा लखनऊ के लालजी टंडन व आगरा की पूर्व महापौर बेबी रानी मौर्य को राज्यपाल बनाया गया है।
उनका जन्म 12 अप्रैल 1935 को लखनऊ में हुआ था। लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीबियों में उनकी गिनती की जाती है।वाजपेयी के लखनऊ में जनसंघ या भाजपा के प्रत्याशी होने पर उनके चुनाव संचालन की जिम्मेदारी श्री टण्डन पर ही रहती थी।
लाल जी टण्डन ने राजनीतिक कैरियर वर्ष 1978 में विधान परिषद के सदस्य के तौर पर शुरू किया। वह 1978-84 और 1990-96 तक दो विधान परिषद सदस्य रहे। वर्ष 1996-2009 तक विधानसभा के सदस्य रहने के साथ ही प्रदेश में कल्याण सिंह के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार और मायावती के नेतृत्व में बसपा-भाजपा की गठबंधन की सरकार में काबीना मंत्री भी रहे। इस दौरान उनके ऊर्जा मंत्री व नगर विकास विभाग के साथ ही संसदीय कार्यमंत्री का पदभार संभाला।
वर्ष 2003-2007 तक नेता विरोधी दल भी रहे। उनके तीन पुत्र हैं। इनमें एक पुत्र आशुतोष टण्डन लखनऊ पूर्व से विधायक हैं और प्रदेश में योगी आदित्य नाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार में चिकित्सा शिक्षा व प्राविधिक शिक्षा मंत्री हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीति से सन्यास लेने के बाद वर्ष 2009 में श्री टण्डन ने लखनऊ में उनकी राजनीतिक विरासत संभाली और सांसद चुने गए। श्री टंडन की गिनती प्रदेश भाजपा के कद्दावर नेताओं में गिनी जाती है।