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जानें, रामलला के दर्शन से पहले हनुमान गढ़ी मंदिर क्यों गए पीएम मोदी?

राम जन्मभूमि पूजन के लिए बुधवार को अयोध्या में पहुंचे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री रामलला के दर्शन करने से पहले हनुमान गढ़ी पहुंचे। ऐसे में सभी के मन में ये सवाल है कि आखिर...

जानें, रामलला के दर्शन से पहले हनुमान गढ़ी मंदिर क्यों गए पीएम मोदी?
अयोध्या। लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 05 Aug 2020 01:09 PM
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राम जन्मभूमि पूजन के लिए बुधवार को अयोध्या में पहुंचे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री रामलला के दर्शन करने से पहले हनुमान गढ़ी पहुंचे। ऐसे में सभी के मन में ये सवाल है कि आखिर प्रधानमंत्री ने श्रीरामलला से पहले हनुमान गढ़ी के दर्शन क्यों किए? आखिर इसका धार्मिक महत्व क्या है? दरअसल काशी में जिस तरह से काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है और वहां जाना जरूरी होता है, उसी तरह अयोध्या भी हनुमान गढ़ी को लेकर भी ऐसी ही मान्यता है।

अयोध्या की सरयू नदी के दाहिने तट पर ऊंचे टीले पर स्थित हनुमानगढ़ी सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। अयोध्या में राम जन्मभूमि के दर्शन करने से पूर्व यहां पर हनुमानजी के ही दर्शन करने होते हैं। माना जाता है कि लंका विजय करने के बाद हनुमान यहां एक गुफा में रहते थे और राम जन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। इसी कारण इसका नाम हनुमानगढ़ या हनुमान कोट पड़ा। इसे ही हनुमानजी का घर भी कहा गया है।

इसके बाद से ही यह मान्यता बन गई है कि रामलला के दर्शन करने से पहले हनुमान गढ़ी के दर्शन करने जरूरी होंगे, इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पहले हनुमान गढ़ी में रामभक्त हनुमान जी के दर्शन किए और उनसे श्री रामलला के दर्शन की अनुमति मांगने की परंपरा का निर्वाह किया।

हनुमान गढ़ी, वास्‍तव में एक गुफा मंदिर है। यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 76 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। यहां पर स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा केवल छः (6) इंच लंबी है, जो हमेशा फूलमालाओं से सुशोभित रहती है। इस मंदिर परिसर के चारों कोनो में परिपत्र गढ़ हैं। मंदिर परिसर में मां अंजनी व बाल (बच्‍चे) हनुमान की मूर्ति है जिसमें हनुमानजी, अपनी मां अंजनी की गोदी में बालक रूप में लेटे हैं। हनुमानगढ़ी में ही अयोध्या की सबसे ऊंची इमारत भी है जो चारों तरफ से नजर आती है। इस विशाल मंदिर व उसका आवासीय परिसर करीब 52 बीघे में फैला है। वृंदावन, नासिक, उज्जैन, जगन्नाथपुरी समेत देश के कई नगरों में इस मंदिर की संपत्तियां, अखाड़े व बैठक हैं। 

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