Know how Aditya gupta of Kanpur returned as Abdullah inside story of the conspiracy to convert muslim to hindu जानिए, कैसे अब्दुल्ला बन कर लौटा कानपुर का आदित्य गुप्ता, धर्मांतरण की साजिश की इनसाइड स्टोरी, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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जानिए, कैसे अब्दुल्ला बन कर लौटा कानपुर का आदित्य गुप्ता, धर्मांतरण की साजिश की इनसाइड स्टोरी

कानपुर के काकादेव हितकारी नगर मोहल्ले का मूक-बधिर युवक भी दिल्ली के धर्मांतरण गिरोह का शिकार बन गया। धर्मांतरण के बाद आदित्य घर लौटा तो अब्दुल्ला बन चुका था। घर में चोरी छिपे पांचों वक्त की नमाज...

Amit Gupta वरिष्ठ संवाददाता , कानपुर Tue, 22 June 2021 08:19 AM
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जानिए, कैसे अब्दुल्ला बन कर लौटा कानपुर का आदित्य गुप्ता, धर्मांतरण की साजिश की इनसाइड स्टोरी

कानपुर के काकादेव हितकारी नगर मोहल्ले का मूक-बधिर युवक भी दिल्ली के धर्मांतरण गिरोह का शिकार बन गया। धर्मांतरण के बाद आदित्य घर लौटा तो अब्दुल्ला बन चुका था। घर में चोरी छिपे पांचों वक्त की नमाज भी अदा करने लगा था। घर वालों को तब पता चला जब वह 10 मार्च को घर से लापता हो गया। 12  मार्च को कल्याणपुर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई तो पुलिस पीछे लगी। एटीएस द्वारा धर्मांतरण कराने वाले मौलानाओं की गिरफ्तारी के एक दिन पहले आदित्य उर्फ अब्दुल्ला घर लौट आया। आदित्य को परिजन किसी से नहीं मिलने दे रहे हैं। खुद भी बात करने से कतरा रहे हैं।

एटीएस ने दो लोगों को किया गिरफ्तार: 

यूपी पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने मूक बधिरों व गरीब लोगों का धर्मांतरण कराने वाले एक गिरोह का सोमवार को पर्दाफाश किया था। एटीएस ने गिरोह के दो सदस्यों दिल्ली निवासी मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी और मोहम्मद उमर गौतम को लखनऊ से धर दबोचा था। यूपी एटीएस के मुताबिक,यह गिरोह मूक बधिर और कमजोर आय वर्ग के लोगों को धन, नौकरी व शादी का लालच देकर धर्म परिवर्तन करने के लिए तैयार करता था। इन्हें आईएसआई समेत अन्य विदेशी एजेंसियों से फंडिंग की जा रही थी। अब तक करीब एक हजार लोगों का यह गिरोह धर्मांतरण कर चुका है। उनके कब्जे से विदेशी फंड से जुड़े दस्तावेज भी मिले हैं। 
 

कानपुर व हरियाणा के मूक बधिर छात्र का करा दिया धर्मांतरण

धर्मांतरण कराने वाले गिरोह का शिकार हुए दो बच्चों का परिवार भी एटीएस के संपर्क में आया है। नोएडा स्थित डेफ सोसाइटी के मूक बधिर विद्यालय में पढ़ने वाले दो छात्रों का उनके परिवारों की जानकारी के बगैर धर्मांतरण करा दिया गया। नोएडा के सेक्टर-117 में चलने वाले इस विद्यालय के मूक बधिर छात्र आदित्य गुप्ता का परिवार कानपुर नगर का रहने वाला है। माता-पिता से पूछताछ में पता चला कि उनके द्वारा आदित्य की गुमशुदगी की सूचना कानपुर नगर के कल्याणपुर थाने में दर्ज कराई गई थी, जिसमें बाद में धारा-364 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। माता-पिता का कहना है कि उनके मूक बधिर बेटे का धर्म परिवर्तन करा दिया गया है और उसे दक्षिण भारत के किसी राज्य में ले जाया गया है। इस बारे में उसके बेटे ने मोबाइल से वीडियो कॉल करके बताया है। इसी प्रकार एक अन्य मामला सोशल मीडिया के माध्यम से एटीएस से संज्ञान में आया था। इस मामले में हरियाणा के गुरुग्राम में बाबूपुर दोलताबाद निवासी राजीव यादव के बेटे मन्नू यादव का भी परिवार की जानकारी के बगैर मुस्लिम धर्म में धर्मांतरण करा दिया गया। मन्नू भी नोएडा डेफ सोसाइटी के स्कूल में पढ़ता था। 

अब्दुल्ला बने आदित्य के लिए मां ने सीखी थी मूक-बधिर भाषा
उसका जन्म हुआ तो घर वाले बहुत खुश थे। खासकर मां लक्ष्मी गुप्ता की खुशियों का ठिकाना न रहा। परिवार के अन्य सदस्य भी फूले नहीं समा रहे थे, घर में बेटा जो हुआ था। जन्म के साथ ही सपने संजोए जाने लगे। उसे यह बनाएंगे...उसे वह बनाएं लेकिन इन सब पर तुषारापात हो गया, जब पता चला कि बेटा तो मूक बधिर है। फिर भी मां तो मां होती है। उसने हिम्मत नहीं हारी। अपने बेटे की बात समझने और उससे बात करने के लिए लक्ष्मी ने साइन लैंग्वेज (मूक-बधिर भाषा) सीखी। एक निजी बधिर स्कूल में नौकरी भी लग गई। बेटे से बात करते-करते उसे इस भाषा में पारंगत कर दिया। इस भाषा के साथ उसने हंसने और भाषा को समझने वाले वीडियो तक बनाकर अपलोड कर दिए। भला किसको पता था कि इतनी मेहनत से पाला-पोसा जा रहा आदित्य गुप्ता एक दिन अब्दुल्ला बन जाएगा।
आदित्य उर्फ अब्दुल्ला का जन्म 1997 में हुआ। घर का पहला बेटा था। वह भी सामान्य बच्चों की तरह ही था। अधिवक्ता पिता राकेश गुप्ता और मां लक्ष्मी को काफी समय तक खबर नहीं थी कि वह बोल ही नहीं सकता। जब आदित्य डेढ़ साल का हुआ तब माता-पिता को पता चला कि वह मूक-बधिर है। लक्ष्मी गुप्ता के अरमानों को धक्का जरूर लगा लेकिन उन्होंने खुद मूक बधिर भाषा का कोर्स किया। इसमें एक मित्र का सहयोग मिला। जब तक आदित्य सोचने-समझने की शक्ति तक पहुंचा, लक्ष्मी इस भाषा की मास्टर हो चुकी थीं। उन्होंने बेटे को भी इस भाषा को सिखाना शुरू किया। इस दौरान लक्ष्मी की नौकरी ज्योति बधिर विद्यालय बिठूर में लग गई। उन्होंने आदित्य का दाखिला भी वहीं करा दिया। आदित्य ने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई वहीं से की। इस दौरान मां-बेटा आपस में इशारों में इतनी बात करने लगे थे कि आदित्य को इसमें महारत हासिल हो गई। साथ ही लक्ष्मी ने घर में अन्य दो बच्चों बेटी आयुषी उर्फ सोनी और छोटे बेटे श्यामजी को भी मूक भाषा सिखा दी थी। वह भी अपने भाई से आराम से बात करने लगे थे।

नोएडा डेफ सोसाइटी से जुड़ा है ज्योति बधिर विद्यालय 
एटीएस ने जब दोनों आरोपितों को गिरफ्तार किया तो उनसे पूछताछ में यह पता चला कि नोएडा डेफ सोसाइटी के कुछ बच्चों का धर्म परिवर्तन कराया गया। नोएडा डेफ सोसाइटी के ऑफिशियल फेसबुक पेज पर यह जानकारी दी गई है कि ज्योति बधिर विद्यालय कानुपर में उनका आउटरीच पार्टनर है।

 

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