कानपुर बनेगा SMART CITY, 13 देशों की टीम संवारेगी शहर
कानपुर के लोग अब 24 घंटे पहले ही जान सकेंगे कि कौन सी रोड खुदने वाली है। इससे वे वैकल्पिक रास्ते से जा सकेंगे। इसके लिए स्विटजरलैंड, अर्जेंटीना व ऑस्ट्रेलिया की टीम जल निगम और जलकल के साथ मिलकर ऐसा...
कानपुर के लोग अब 24 घंटे पहले ही जान सकेंगे कि कौन सी रोड खुदने वाली है। इससे वे वैकल्पिक रास्ते से जा सकेंगे। इसके लिए स्विटजरलैंड, अर्जेंटीना व ऑस्ट्रेलिया की टीम जल निगम और जलकल के साथ मिलकर ऐसा मोबाइल अप्लीकेशन तैयार करेगी, जिससे लोगों को खुदाई से पहले ही इसकी सूचना मिल जाएगी। कुछ इसी तरह से शहर को बेहतर बनाने और शहरियों की तकलीफें घटाने का बीड़ा 13 देशों की एक टीम ने उठाया है।
होटल लैंडमार्क में सोमवार को अमेरिकी कंप्यूटर कंपनी आईबीएम कॉरपोरेट सर्विस लिमिटेड ने इंडिया 37 किक ऑफ इवेंट विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, स्विटजरलैंड, यूएई, चेक रिपब्लिक और ब्राजील आदि देशों के आईटी स्पेशलिस्ट शामिल हुए। आईबीएम से जुड़ी संस्था वॉयलेंटरी सर्विस ऑर्गनाइजेशन (वीएसओ) ने बताया कि कानपुर में सभी 13 देशों की टीम एक माह तक रहेगी। टीटी प्रोग्राम मैनेजर थॉमस ने टीम द्वारा शहर को बेहतर बनाने के लिए अपना एजेंडा पेश किया। एक टीम डूडा के केंद्रों पर जाकर मलिन बस्तियों में रहने वालों और बच्चों पर भी काम करेगी। हालांकि इसकी रिपोर्ट अध्ययन करने के बाद ही देने की बात कही गई।
एक माह में तैयार होगा जल निगम का एप
जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल ने टीम से आग्रह किया कि वह एक ऐसा मोबाइल अप्लीकेशन चाहते हैं, जिससे लोगों को यह पता चल सके कि कहां पाइप लाइन में लीकेज है और कहां खुदाई होने वाली है। अप्लीकेशन पर यह जानकारी जलकल ही अपडेट करता रहेगा ऐसी व्यवस्था हो। उनकी चिंता थी कि खुदाई के कारण शहरवासियों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है और उन्हें जाम के अलावा धूल भी झेलनी पड़ती है। लिहाजा तकनीकी सुविधाओं से जल निगम को सुसज्जित करने का भी उपाय किया जाए। थॉमस ने इस आग्रह को हरी झंडी दे दी। साथ ही तीन देशों की एक टीम जल निगम के हवाले कर दी।
कहां नहीं आएगा पानी, इसकी भी मिलेगी जानकारी
स्विटजरलैंड, अर्जेंटीना व ऑस्ट्रेलिया की टीम जो अप्लीकेशन बनाएगी उस पर यह भी जानकारी मिलेगी कि शहर में कहां की जलापूर्ति बंद रहेगी। कौन से इलाके प्रभावित रहेंगे। मसलन, अगर फूलबाग में पाइप लाइन में लीकेज हो गया और वहां खुदाई करनी पड़ी तो अप्लीकेशन के माध्यम से लोगों को यह पता चल जाएगा कि किन-किन मोहल्लों में पानी कम प्रेशर में आएगा या जलापूर्ति नहीं होगी। यह भी पता चल सकेगा कि खुदाई कब तक चलेगी और कब से जलापूर्ति पटरी पर आ जाएगी। अब यह टीम पहले शहर का सर्वे करेगी और जानेगी कि कहां-कहां पाइप लाइनें हैं, यह भी देखेगी कि खुदाई कैसे की जाती है और ट्रैफिक की स्थिति तब क्या रहती है। इसके बाद मोबाइल अप्लीकेशन बनाकर एक माह के भीतर ही जल निगम को दे देगी।
महिला समूहों का बढ़ेगा कारोबार
आईबीएम की एक टीम महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों के साथ भी काम करेगी। थॉमस ने बताया कि टीम समूहों के साथ रहेगी और देखेगी कि वह कोई उत्पाद किस तरह बनाती हैं। उनका कारोबार कितना है और कमाई कितनी हो जाती है। इसके बाद उसी उत्पाद को तकनीकी सहायता देकर कारोबार को बढ़ाने में सहयोग करेगी। टीमें ऐसे समूहों के भीतर उत्साह का संचार करेगी और बताएगी कि विदेशों में किस तरह महिलाओं ने खुद को बेहतर बनाया है। ऐसी टीमें अलग-अलग समूहों से अलग-अलग बात करेगी और उनके कामकाज पर अध्ययन करेगी। अगर जरूरत हुई तो समूहों को तकनीकी रूप से महिलाओं को दक्ष करेगी। इसमें श्रमिक भारती की अहम भूमिका होगी। इस संबंध में श्रमिक भारती के गणेश पाण्डेय ने डिजिटल प्रेजेंटेशन भी किया।
गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने की तैयार होगी रिपोर्ट
गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के संबंध में अमेरिका, कनाडा और यूएस की टीम आईआईटी के साथ मिलकर काम करेगी। हालांकि इससे पहले बिठूर से वाजिदपुर तक गंगा की स्थिति का भी अध्ययन करेगी। टीम पहले देखेगी कि गंगा में प्रदूषण की क्या स्थिति है। कार्यशाला में बताया गया कि गंगा में पानी कम होने के कारण बहाव भी कम रहता है इसलिए भी प्रदूषण होता है। इस पर टीम ने कहा कि स्टडी रिपोर्ट तैयार करने के बाद बताया जाएगा कि किस तरह प्रदूषण को कम किया जा सकता है। टीमें इस संबंध में सरकार को भी सुझाव भेजेगी और जरूरत पड़ने पर अपनी तकनीकी जानकारी मुहैया कराएगी। इसके लिए किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।