ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेशकोरोना से बचाव : इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कनपुरियों ने 60 दिन में खर्च किए 450 करोड़ रुपए

कोरोना से बचाव : इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कनपुरियों ने 60 दिन में खर्च किए 450 करोड़ रुपए

कोरोना वायरस से बचने की सबसे मजबूत ढाल है आपकी प्रतिरोधक क्षमता। इसीलिए कनपुरियों ने यह क्षमता बढ़ाने के लिए दो महीने में 450 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए।  कोरोना से लड़ने की कोई...

कोरोना से बचाव : इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कनपुरियों ने 60 दिन में खर्च किए 450 करोड़ रुपए
अभिषेक गुप्ता,कानपुर।Tue, 26 May 2020 09:54 AM
ऐप पर पढ़ें

कोरोना वायरस से बचने की सबसे मजबूत ढाल है आपकी प्रतिरोधक क्षमता। इसीलिए कनपुरियों ने यह क्षमता बढ़ाने के लिए दो महीने में 450 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए। 

कोरोना से लड़ने की कोई दवा नहीं बन पाई है, इसलिए आयुष मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन आदि ने शरीर को अंदरूनी रूप से मजबूत रखने की एडवाइजरी समय-समय पर जारी की है। इस सलाह का परिणाम यह हुआ कि सदियों पुरानी भारतीय आयुर्वेद का आधार रहीं जड़ी-बूटियों की मांग में एकाएक इजाफा हो गया। च्यवनप्राश, शहद, गिलोय, अश्वगंधा, मुलैठी, तुलसी, 51 काढ़ा की बिक्री गर्मियों में न के बराबर रहती थी। इस समय इनकी बिक्री 110 फीसदी ज्यादा है। च्यवनप्राश की मांग जाड़े से भी ज्यादा हो गई है। हर्बल चाय की मांग आजतक उतनी नहीं बढ़ी, जितनी पिछले दो महीने में बढ़ गई।

मांग के साथ बढ़ गई कीमत 
उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी थोक किराना मंडी नयागंज मर्चेन्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश बाजपेयी ने बताया कि फुटकर व्यापारियों की भीड़ मंडी में लगी है। फुटकर में दालचीनी 250 रुपए किलो है तो जावित्री 2000 से 2100 रुपए किलो। कालीमिर्च 340 रुपए से 365 रुपए किलो में बिक रही है। सोंठ 250 रुपए किलो पहुंच गई। 

70 से 115 रुपए किलो पहुंची तुलसी
जड़ी बूटियों के थोक कारोबारी आशीष गुप्ता ने बताया कि तुलसी 115 रुपए किलो हो गई जबकि फरवरी-मार्च के पीक सीजन में 70 रुपए किलो थी। गिलोय की मांग इतनी है कि भाव 35 रुपए से उछलकर 70 रुपए किलो हो गए हैं। थोक मंडी और फुटकर दुकानों में रोजाना इन मसालों व जड़ी-बूटियों की बिक्री 3.5 से 4 करोड़ रुपए है। अप्रैल-मई में कभी भी इनकी बिक्री डेढ़ से दो करोड़ रुपए रोज से ज्यादा की नहीं हुई। 

हेल्थ ड्रिंक्स ने भी तोड़ा रिकॉर्ड
यही हाल च्यवनप्राश के साथ ही प्रोटीन-विटामिन वाले अन्य तमाम स्वास्थ्यवर्धक पेय (हेल्थ ड्रिंक्स) का है। जनरल गुड्स के थोक व्यापारी रोशन लाल अरोड़ा ने बताया कि पिछले साल इसी सीजन की तुलना में 75 फीसदी मांग ज्यादा है। कंपनियों ने इसमें खेल भी कर दिया है। मांग बढ़ते ही ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में होलसेलर का एक फीसदी मार्जिन घटा दिया और 6 प्रतिशत की स्कीम भी खत्म कर दी। कंपनियां मांग के मुकाबले सप्लाई नहीं कर पा रही हैं। अगर व्यापारी आज माल की बुकिंग कराते हैं तो दस दिन बाद आधी सप्लाई आ रही है। इन दिनों इन उत्पादों की बिक्री प्रतिदिन 4 से 4.5 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है जो पिछली गर्मियों में बमुश्किल 2 करोड़ रुपए रोज थी। 

कंपनियां घटा चुकी थीं उत्पादन
सीएंडएफ एजेंट वीके गोयनका ने बताया कि कंपनियां मांग और सप्लाई के आधार पर काम करती हैं। फरवरी और मार्च तक का स्टॉक कंपनियों ने खत्म कर दिया था। उन्हें मालूम था कि गर्मी में मांग घटकर 20 फीसदी रह जाएगी, इसलिए कच्चा माल और उत्पादन क्षमता भी घटा दी थी। कोरोना के कारण मांग एकाएक बढ़ी तो आनन-आनन उत्पादन बढ़ाया गया लेकिन लॉकडाउन के कारण कच्चे माल की सप्लाई बाधित हो गई। यही वजह है कि माल मिलने में दिक्कत आ रही है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें