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कानपुरः अब डिजिटल डायरी में दिखेगा अपराध का नया ट्रेंड

अब पुलिस ऐसी विश्लेषणात्मक रिपोर्ट तैयार कर रही है जिसमें अपराध का अलग ट्रेंड देखने को मिला हो। जिन घटनाओं का खुलासा हो गया है उसमें डिजिटल डायरी भी तैयार होगी। इसका इस्तेमाल सनद के लिए होगा ताकि यह...

कानपुरः अब डिजिटल डायरी में दिखेगा अपराध का नया ट्रेंड
प्रमुख संवाददाता ,कानपुरMon, 30 Jul 2018 11:25 AM
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अब पुलिस ऐसी विश्लेषणात्मक रिपोर्ट तैयार कर रही है जिसमें अपराध का अलग ट्रेंड देखने को मिला हो। जिन घटनाओं का खुलासा हो गया है उसमें डिजिटल डायरी भी तैयार होगी। इसका इस्तेमाल सनद के लिए होगा ताकि यह पता चल सके कि किन संबंधित घटनाओं में पुलिस अपराधियों तक कैसे पहुंच पाई।
यह बात साफ हो गई है कि कानपुर समेत रेंज के सभी जिलों की पुलिस प्रोफेशनल क्रिमिनल्स से परेशान नहीं है। शौकिया अपराध करने वाले ही पुलिस के लिए चुनौती बन गए हैं। इसकी वजह यह है कि पुलिस के पास इनका कोई रिकॉर्ड नहीं होता। न सिर्फ कानपुर नगर बल्कि कन्नौज, औरैया, इटावा, कानपुर देहात और फर्रुखाबाद जैसे तमाम शहरों में अच्छे-खासे पढ़े लिखे युवा कई आपराधिक मामलों में पकड़े गए हैं। खुलासे से पहले पुलिस के पास उनका कोई पिछला इतिहास नहीं था। कई युवकों के चेहरे सीसीटीवी कैमरों में भी कैद हुए मगर पुलिस उन तक नहीं पहुंच सकी। इसका कारण था कैमरे की अच्छी क्वालिटी का न होना और हर किसी के लिए अनजान चेहरा।

युवाओं से ज्यादा हाईटेक चाहिए पुलिस के जांबाज
रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर ग्रेजुएट क्रिमिनल्स सर्विलांस के बारे में भी जानते हैं, यह भी पुलिस के लिए मुसीबत है। ऐसे में इन्हें पकड़ने के लिए इनके द्वारा की गई गलती का इंतजार पुलिस को करना होता है। या फिर ऐसी तकनीकी सेवाओं का सहारा लेना पड़ता है जो युवाओं की समझ में अभी तक न आया हो। इसके लिए पुलिस की टीम में भी जांबाज के साथ ही जानकार जवान या इंस्पेक्टर चाहिए। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि अगर किसी वारदात में एक से दो युवक शामिल होते हैं तो पकड़ पाना कठिन होता है। ऐसे में डिजिटल डायरी पुलिस के लिए काफी मददगार साबित हो सकती है।

युवा कम कीमत में बेच देते चेन : आईजी
आईजी आलोक सिंह के मुताबिक शहर में चेन लूट की घटनाओं को ज्यादातर पढ़े लिखे और युवा अंजाम दे रहे हैं। दरअसल, इन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि सोने की चेन की भरपूर कीमत मिल जाए। अगर चेन 25 हजार की होगी और इन्हें कोई 7-8 हजार ही दे देगा तो कोई दिक्कत नहीं। ये पैसे लेकर अपने शौक पूरे करेंगे। यही वजह है कि ये जल्दी पकड़े नहीं जाते। अभी तक जो पढ़े-लिखे युवक पकड़े गए उनमें से किसी की जानकारी पुलिस के पास नहीं थी। पुलिस इनसे चेन बरामद कर पाने में भी ज्यादातर कामयाब इसलिए नहीं हो पाई क्योंकि इन्होंने चेन बेचने में जरा सी देर नहीं लगाई। इसी तरह की अन्य घटनाओं में नए ट्रेंड का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जा  रहा है। 

इन जैसे अपराधों से जिंदगी कर ली चौपट
ये तो महज बानगी है

केस एक : फिल्मी अंदाज के युवा चेन लुटेरे
फीलखाना थाने की पुलिस ने जुलाई के पहले हफ्ते में छह युवकों को गिरफ्तार किया था जिसमें सभी आरोपी हाईस्कूल से लेकर ग्रेजुएशन तक कर रहे थे। शौक पूरा करने के लिए इन्होंने अपना गैंग बनाया। फिल्मी अंदाज में गैंग का नाम भी सुल्तान मिर्जा रख दिया। गैंग का एक ड्रेस कोड था। इनकी कहानी सुनकर पुलिस हक्का-बक्का रह गई थी। ये सभी सोने की चेन और पर्स लूटा करते थे। 
केस दो : शौक पूरे करने को बच्चें का किया अपहरण
काकादेव के हॉस्टल संचालक के बेटे नंदू का अपहरण अप्रैल के दूसरे सप्ताह में हुआ था। यह अलग बात है कि पुलिस की सक्रियता से अपहर्तांओं ने नंदू को छोड़ दिया। इस अपहरण की प्लानिंग करने वाले भी युवा थे। बीटेक और एमबीए की कोचिंग करने वाले दो लड़कों ने शौक पूरा करने के लिए अपहरण की प्लानिंग की थी। ये जब पकड़े गए तो पुलिस चौंक गई थी। गैंग धरा गया।
केस तीन : वजीफे से तमंचा खरीदकर की थी लूट
जूही थाना क्षेत्र में वर्ष 2017 में जून माह के अंत में नकाबपोश बदमाशों ने पेट्रोल पंप मैनेजर से 9 लाख रुपए लूट लिए थे। बदमाशों का तमंचा वहीं गिर गया था। इस घटना का जब खुलासा हुआ तो लुटेरे नए निकले। इनमें से एक को तो बकायदा सरकार से स्कॉलरशिप मिल रही थी। स्कॉलरशिप की रकम से ही उसने तमंचा खरीदा था। उसने बताया था कि उसे ज्यादा अमीर बनना था इसलिए ऐसा किया। 

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