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कानपुर एनकाउंटर : पूर्व डीजीपी बृजलाल का पलटवार, कहा- अखिलेश यादव क्या जानें मुठभेड़ क्या होती है?

प्रदेश के पूर्व डीजीपी एवं उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष बृजलाल ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एक ट्वीट के बाद उन पर करारा हमला बोला।...

कानपुर एनकाउंटर : पूर्व डीजीपी बृजलाल का पलटवार, कहा- अखिलेश यादव क्या जानें मुठभेड़ क्या होती है?
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSat, 04 Jul 2020 04:07 PM
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प्रदेश के पूर्व डीजीपी एवं उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष बृजलाल ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एक ट्वीट के बाद उन पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने आठ पुलिसकर्मियों की शहादत का अपमान किया है। अपने पिता से सियासी मुठभेड़ करने वाले अखिलेश यादव के लिए पुलिसकर्मियों की शहादत की कोई क़ीमत नहीं है। 

बृजलाल ने कहा-‘अखिलेश यादव क्या जानें मुठभेड़ क्या होती है? ज़िंदगी-मौत में चंद सेकंड का अंतर होता है, मुठभेड़ों में। मैंने खुद मुठभेड़ों में नेतृत्व किया है और 19 शातिर अपराधियों को जहन्नुम पहुंचाया है। मेरे सेवाकाल में मेरे निर्देशन में 300 से अधिक दुर्दांत अपराधी और आतंकवादी मारे गए हैं। मैं जानता हूं कि मुठभेड़ में जीवन को दांव पर लगाना पड़ता है। शहादत देने वाले के परिवारों की व्यथा की जरा भी कद्र होती तो अखिलेश यादव ऐसा ट्वीट करके पुलिसकर्मियों की शहादत का अपमान नहीं करते। प्रदेश के 22 करोड़ लोग और तीन लाख पुलिसकर्मी इस अपमान को कभी नहीं भूलेंगे।’

अपने सेवाकाल की कुछ घटनाओं का हवाला देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री पर अपराधियों और आतंकियों को संरक्षण देने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि 23 नवंबर 2007 को हूजी के आतंकवादियों ने फ़ैज़ाबाद, लखनऊ व वाराणसी की कचहरियों में बम ब्लॉस्ट करके वकीलों सहित एक दर्जन से अधिक लोगों की हत्याएं की थी। उन्होंने तब बाराबंकी से आतंकवादी ख़ालिद मुजाहिद और तारिक क़ासमी की गिरफ़्तारी आरडीएक्स के साथ कराई थी। इसके बदा 18 मई 2013 को दोनों आतंकी फ़ैज़ाबाद से पुलिस के वज्र वाहन से लौट रहे थे तो ख़ालिद मुजाहिद की लू लगने से मौत हो गई थी।

तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर मेरे सहित कुल 42 पुलिसकर्मियों पर बाराबंकी कोतवाली में हत्या का मुकदमा दर्ज करा कर पुलिस, एसटीएफ व एटीएस को यह संदेश दिया गया कि आतंकियों की तरफ नजर भी न उठाना। उनके मुकदमे भी वापस लिए गए लेकिन अदालत ने वापसी की अनुमति न देकर आतंकी तारिक क़ासमी को तीन मामलों में आजीवन कारावास की सजा दे दी।

पूर्व डीजीपी ने कहा कि 8 जुलाई 2011 को मैनाठेर (मुरादाबाद) में धर्म विशेष के सैकड़ों गुंडों ने डीआईजी एके सिंह को गोली मारी और उन्हें मरा समझकर छोड़ा। डीआईजी तीन-चार साल इलाज के बाद भी पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं हो पाए हैं। अखिलेश यादव ने सत्ता में आते ही तुष्टीकरण के तहत न्यायालय से मुकदमा वापस लिया लेकिन यहां भी कोर्ट आड़े आ गई और अब मुकदमा चल रहा है। डीआईजी के एस्कोर्ट कर्मी उन्हें छोड़कर भाग गए थे। उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। हमला करने वाले गुंडों की सिफारिश पर अखिलेश यादव ने उन कायर पुलिसकर्मियों को सेवा में बहाल करके मनचाही पोस्टिंग भी दी।

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