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कानपुर: बिना वीजा आया बांग्लादेश का नागरिक गिरफ्तार

बांग्लादेश के एक नागरिक को बेकनगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसके पास पासपोर्ट मिला लेकिन वीजा नहीं पाया गया। इंटेलीजेंस, एलआईयू और आईबी की टीम ने उससे पूछताछ की। वह हिन्दी टूटी-फूटी बोल रहा पर समझ...

कानपुर: बिना वीजा आया बांग्लादेश का नागरिक गिरफ्तार
कानपुर वरिष्ठ संवाददाता Fri, 13 Nov 2020 07:57 PM
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बांग्लादेश के एक नागरिक को बेकनगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसके पास पासपोर्ट मिला लेकिन वीजा नहीं पाया गया। इंटेलीजेंस, एलआईयू और आईबी की टीम ने उससे पूछताछ की। वह हिन्दी टूटी-फूटी बोल रहा पर समझ सब रहा। उसने बताया कि काम की तलाश में यहां आ गया था। पुलिस ने उसे जेल भेज दिया है। 

लक्ष्मीपुर वार्ड नम्बर 9 चौधरी बाजार थाना फरीदगंज जिला चांदपुर बांग्लादेश निवासी मानिक बांग्लादेशी पासपोर्ट के साथ 6 नवम्बर को कोलकाता पहुंचा। वहां रेलवे स्टेशन पर रात को हावड़ा-जोधपुर सुपरफास्ट दिखी तो उसमें सवार होकर 8 नवम्बर की सुबह कानपुर आ पहुंचा। सेन्ट्रल स्टेशन पर उतरने के बाद वह लोगों से पूछते हुए शुक्लागंज पहुंच गया और रहने के लिए वह कमरा देखने लगा। 8 को वह शुक्लागंज में ही रहा और वहां पर एक कमरा फाइनल किया मगर उसका किराया नहीं दिया। उसने मकान मालिक से कहा कि जब नौकरी मिल जाएगी तब कमरे में शिफ्ट हो जाएगा।

9 नवम्बर को वह काम की तलाश में कानपुर आया। यहां पर लोगों से पूछताछ करते हुए वह चमनगंज, पीरोड और सीसामऊ बाजार में काम की तलाश करने लगा। कुछ लोगों से पूछताछ के बाद उसे पता चला कि लेनिन पार्क चौराहा के पास एक बुटीक में काम मिल सकता है। मानिक ने वहां पर भी सम्पर्क किया मगर काम नहीं मिला। 8 से 12 नवम्बर के बीच वह इसी तरह से काम खोजता रहा और सड़क किनारे ही रात गुजारी।

एक टाइम खा रहा था
बेकनगंज पुलिस ने मानिक के पास बांग्लादेशी करंसी टका के सात नोट (500 टका) बरामद किया। इसके अलावा भारतीय करंसी के 500 रुपए के पांच नोट और 10 रुपए के तीन नोट बरामद किए। मानिक ने बताया कि बांग्लादेश से टका लेकर चला था। कोलकाता में एक युवक से उसने नोट चेंज कराए। उसी से टिकट खरीदकर यहां आ गया। वह एक टाइम खाना खा रहा रहा था ताकि पैसे खत्म होने से पहले नौकरी मिल जाए। 

टूटी फूटी हिन्दी से खुला भेद
मानिक के पास मोबाइल था मगर सिम कार्ड नहीं। वह 12 नवम्बर को सिम कार्ड लेने के लिए दलेलपुरवा स्थित मोबाइल की एक दुकान पर पहुंचा। दुकानदार को उसकी टूटी-फूटी हिन्दी सुनकर कुछ शक हुआ। उसने बेकनगंज पुलिस को सूचना दी। एसआई नईम खान टीम के साथ पहुंचे और मानिक को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने वीजा मांगा तो उसने नहीं होने की जानकारी दी। इसके बाद सारी सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हो गईं। आईबी और एलआईयू की टीम ने बारी-बारी उससे पूछताछ की। 

बांग्लादेश में लेडीज टेलर था मानिक 
मानिक ने बताया कि वह टेलर है। लेडीज के सभी तरह के कपड़े सिल सकता है। अपने देश में यही काम करता था। उसके मित्रों सुरोभ, जतिन ने बताया कि उसके काम की सफाई के चलते भारत में बहुत पैसा मिलेगा। उन्होंने उसे यह भी जानकारी दी कि उनके दोस्त प्रशांत और देवेन्दु वीजा लेकर भारत आए और दिल्ली में रहकर अच्छी कमाई कर रहे हैं। इस पर वह भी पैसा कमाने की फिराक में भारत आ गया। 

वीजा के लिए दस हजार रुपए नहीं 
मानिक ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को बताया कि वहां पर वैसे ही कोई काम नहीं है। ज्यादातर लोग कमाने के लिए भारत ही आते हैं। उसने भी पहले वीजा के लिए आवेदन किया तब दस हजार रुपए मांगे गए, जो उसके पास थे नहीं। इस कारण उसने सोचा कि ऐसे ही भारत में आकर कुछ पैसे कमा लेगा और उसके बाद वापस लौटकर जाएगा तब वीजा लेकर दोबारा आएगा।

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