कमलेश तिवारी हत्याकांड : सूरत से हत्यारों को मोबाइल पर मिलते थे निर्देश
Kamlesh Tiwari murder case : कमलेश तिवारी के हत्यारे और साजिशकर्ता पुलिस से भी ज्यादा 'स्मार्ट' निकले। उनके पास एक स्मार्ट फोन है जो बीच-बीच में ऑन-ऑफ होता रहता है। साथ ही सूरत में उनके...
Kamlesh Tiwari murder case : कमलेश तिवारी के हत्यारे और साजिशकर्ता पुलिस से भी ज्यादा 'स्मार्ट' निकले। उनके पास एक स्मार्ट फोन है जो बीच-बीच में ऑन-ऑफ होता रहता है। साथ ही सूरत में उनके इस ऑपरेशन का 'कमांड सेंटर' बना हुआ है जहां से इस स्मार्ट फोन पर ही उन्हें फरमान भेजे जा रहे थे। इन निर्देशों पर काम करते हुए हत्यारे पुलिस और एसटीएफ से बचते भी रहे थे। गुजरात से ही उनके लिए पिलया कला में इनोवा बुक करायी गई थी। यही वजह है कि गुजरात एटीएम भी गिरफ्तार हत्यारों के सूरत में छिपे अन्य मददगारों के बारे में भी ब्योरा जुटा रही है। यूपी पुलिस ने भी उनसे इस बारे में पूरी जानकारी मांगी है।
स्मार्ट फोन से साजिशकर्ता लगातार सोशल मीडिया पर भी नजर बनाए हुए हैं ताकि किस जिले में पुलिस और एसटीएफ क्या कर रही हैं, इस बारे में नई जानकारियां उनके पास रहे। पुलिस अधिकारी भी स्वीकार रहे हैं कि हर कार्रवाई की खबर देर से ही सही लेकिन उन्हें लगातार मिल रही है। इस बात को तब और भी बल मिल गया जब हत्यारों को पलिया से शाहजहांपुर ले जाने वाले ड्राइवर ने उनके पास एक स्मार्ट फोन भी होने का खुलासा किया। ड्राइवर ने एसटीएफ को बताया कि गाड़ी पर सवार हुए अशफाक और मोइनुद्दीन ने बात करने के लिए दो बार उनका मोबाइल लिया था। दोनों ने अपने मोबाइल की बैट्री खत्म हो जाने की बात कही थी। हालांकि दो छोटे मोबाइल के साथ ही उनके पास एक बड़ी स्क्रीन वाला मोबाइल भी था।
सूरत से मिले कमेन्ट्स से तय कर रहे मूवमेंट
एसटीएफ और एसआईटी इस बिन्दु पर भी काम कर रही हैं कि दोनों हत्यारों के हर 'मूवमेंट' को कहीं और से दिशा मिल रही है। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि जब ये लोग पलिया से नेपाल सीमा पर पहुंचे तो बार्डर बंद हो चुका था। फिर भी किसी तरह थोड़ा अंदर तक नेपाल में चले गए लेकिन वहां मौजूद नेपाल पुलिस ने आगे नहीं बढ़ने दिया। ड्राइवर ने रात भर सीमा पर इंतजार करने की बात कही लेकिन दोनों ने आपस में बात कर तय किया कि रात ही में निकलना जरूरी है। इसके बाद किसी से बात की, फिर कहा कि उन्हें शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन छोड़ दो। जिस समय वे रेलवे स्टेशन पहुंचे थे तब थोड़ी-थोड़ी देर पर वहां से दिल्ली जाने के लिए चार-चार ट्रेनें थी। शायद उन्होंने इनमें से किसी ट्रेन से जाने का इरादा कर लिया था लेकिन बाद में वे लोग स्टेशन से बाहर निकल आए। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि सूरत में बैठे इनके मददगार ने ट्रेन से जाने से मना कर दिया होगा।
व्हाट्सएप से मददगारों के संपर्क में रहे
इस मोबाइल को पूरे सफर के दौरान दोनों हत्यारों ने तीन-चार बार ऑन-ऑफ किया। एसटीएफ का कहना है कि बड़ी स्क्रीन वाला यह स्मार्ट फोन ही है। अंदेशा जताया जा रहा है कि वे रोजाना स्मार्ट फोन की मदद से सोशल साइट अथवा व्हाट्सएप कॉल के जरिये अपने मददगारों के सम्पर्क में रहते हैं।
कहीं बरेली में तो नहीं दिया गया स्मार्ट फोन
जांच अधिकारी यह भी पता कर रहे हैं कि कहीं बरेली में ही तो इन दोनों को स्मार्ट फोन मुहैया नहीं कराया गया। एसआईटी इस बारे में बरेली से लाये गए मौलाना सैय्यद कैफी अली रिजवी से भी पूछ रही है। हत्यारे वारदात के बाद लखनऊ से बरेली ही पहुंचे थे। बरेली में ही उन्होंने काफी समय बिताया। यहां पर उन्हें कई तरह की मदद दी गई। यह भी कहा जा रहा है कि यहीं दोनों हत्यारों को आर्थिक मदद भी मिली।