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अ‌वधी व भोजपुरी बोलियों को आठवीं सूची में रखना उचित नहीं

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान अब विज्ञान और अन्य तकनीकी विषयों की सहज ग्राह्य हिन्दी में पुस्तकों का प्रकाशन करेगा। जल्द ही संस्थान की वेबसाइट भी अपडेट की जाएगी और उसे सामान्य जन के लिए और ज्यादा...

अ‌वधी व भोजपुरी बोलियों को आठवीं सूची में रखना उचित नहीं
सन्तोष वाल्मीकि,लखनऊ Thu, 28 Sep 2017 07:03 PM
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उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान अब विज्ञान और अन्य तकनीकी विषयों की सहज ग्राह्य हिन्दी में पुस्तकों का प्रकाशन करेगा। जल्द ही संस्थान की वेबसाइट भी अपडेट की जाएगी और उसे सामान्य जन के लिए और ज्यादा उपयोगी बनाया जाएगा।
ये बातें संस्थान के मनोनीत कार्यकारी अध्यक्ष डा. सदानंद प्रसाद गुप्त ने 'हिन्दुस्तान' से कहीं। उन्होंने बताया कि राजभाषा, वैज्ञानिक शब्दावली आयोग और केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के सहयोग से तकनीकी के क्षेत्र में सामान्य बोलचाल की हिन्दी को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए वह एक सामंजस्य पूर्ण नीति बनाने की तैयारी में हैं।
बोलियों को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के पक्ष में नहीं
डा. गुप्त का मानना है कि भोजपुरी, अवधी, बृज, बुन्देलखण्डी बोलियों को आठवीं अनुसूची में शामिल करना उचित नहीं होगा क्योंकि इससे हिन्दी का समग्र रूप विखण्डित होगा। नतीजा-जो हिन्दी अभी राष्ट्रभाषा और राजभाषा के आसन पर विराजमान है उसकी जगह अंग्रेजी ले लेगी। 
हनुमान प्रसाद पोद्दार की स्मृतियों का संरक्षण
गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष रहे डा. गुप्त ने हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद जो सबसे पहला काम शुरू किया है वह स्मृति संरक्षण योजना का शुभारंभ है। इसके तहत जल्द ही 'कल्याण' पत्रिका के संस्थापक-संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार 'भाईजी' के योगदान पर काम शुरू होगा। डा. गुप्त का कहना है कि श्री पोद्दार के अमूल्य योगदान को अभी तक संजोया नहीं जा सका है।  
गीत, गजल, मुक्तक विधा में अब अलग-अलग पुरस्कार
डा. हिन्दी संस्थान द्वारा काव्य संग्रहों के रूप में प्रकाशित पुरस्कारों पर अलग-अलग विधा में पुरस्कार शुरू करने के पक्षधर हैं। इस बाबत उन्होंने संस्थान की मौजूदा पुरस्कार योजना में कुछ बदलाव की सोची है। अब गीत, गजल, मुक्तक आदि विधाओं में अलग-अलग पुरस्कार तय होंगे।
जल्द ही गठित होगी सामान्य सभा व कार्यकारिणी
डा. गुप्त का कहना है कि वह हिन्दी संस्थान में खुले लोकतांत्रिक ढंग से काम करने के हामी हैं। इस नाते जल्द ही संस्थान की सामान्य सभा और कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा जिसमें हिन्दी की विभिन्न विधाओं में काम करने वाले मनीषियों को शामिल किया जाएगा। इनमें विज्ञान और अन्य तकनीकी विषयों पर हिन्दी में लिखने वाले, पढ़ाने वाले भी शामिल होंगे।
दिसम्बर में होगा पुरस्कार वितरण समारोह
इस बार 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी संस्थान भारत-भारती, लोहिया साहित्य सम्मान जैसे अपने वार्षिक पुरस्कारों का वितरण नहीं कर सका। इन पुरस्कारों के लिए प्रस्ताव तो आमंत्रित किए गए हैं। मगर पुरस्कार समिति को इन पुस्तकों पर विचार कर पुरस्कार के लिए लेखकों का चयन करने के लिए समय चाहिए। डा. गुप्त ने बताया कि उनका प्रयास है कि दिसम्बर में मुख्यमंत्री के हाथों यह पुरस्कार वितरित करवाए जाएं। 

 

 

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