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कांटे की सीट है कैराना: भाजपा को देती रही पश्चिम में फायदा, यह है प्रमुख मुद्दा

कैराना सीट से गृहमंत्री अमित शाह के चुनाव प्रचार की शुरुआत भाजपा की रणनीति का हिस्सा है। रंगदारी नहीं देने पर व्यापारियों की हत्या के बाद शुरू हुए पलायन का मुद्दा भाजपा के स्वर्गीय सांसद हुकुम सिंह...

कांटे की सीट है कैराना: भाजपा को देती रही पश्चिम में फायदा, यह है प्रमुख मुद्दा
लाइव हिन्दुस्तान, शामलीSun, 23 Jan 2022 06:51 AM

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कैराना सीट से गृहमंत्री अमित शाह के चुनाव प्रचार की शुरुआत भाजपा की रणनीति का हिस्सा है। रंगदारी नहीं देने पर व्यापारियों की हत्या के बाद शुरू हुए पलायन का मुद्दा भाजपा के स्वर्गीय सांसद हुकुम सिंह ने मई 2016 में उठाया था। उन्होंने कैराना से पलायन करने वाले करीब 394 व्यापारियों की सूची जारी की थी। यह मुद्दा पूरे देश में राष्ट्रीय स्तर पर गूंजा था। सांसद हुकुम सिंह द्वारा जारी की गई व्यापारियों की सूची सत्यापन के लिए भाजपा की संसदीय समिति कैराना पहुंची थी। पलायन की पुष्टि होने पर भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा बनाया था। माना जाता है कि पलायन के मुद्दे से ही उत्तर प्रदेश में भाजपा सत्ता में आई थी। भाजपा ने इसे अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया था। 2018 में कैराना के उपचुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ ने शामली में हुई रैली में पलायन के मुद्दे को उठाते हुए कैराना और कांधला के बीच पीएसी कैंप और फायरिंग रेंज बनाने की घोषणा की थी। बाद में प्रदेश में भाजपा सरकार बनने पर कुख्यात मुकीम काला और साथी साबिर जंधेड़ी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।

कैराना में 1996 में भाजपा की एंट्री
कैराना सीट का इतिहास राजनीतिक सभी दलों को मोटा फायदा देता है। कैराना के सिर पर सुर-संगीत का ताज है तो कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर वह बदनाम भी है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का वह केंद्र है। इस सीट पर भाजपा की एंट्री 1996 में हुई। इससे पहले यहां भाजपा नहीं थी। हुकुम सिंह जब कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए तो यह सीट भाजपा को तोहफे में मिलने लगी। हुकुम सिंह चार बार भाजपा के टिकट पर कैराना सीट जीते। तीन बार वह कांग्रेस, जेडी आदि दलों से जीते। हुकुम सिंह का विकल्प न भाजपा के पास रहा और न ही विपक्ष के पास। कैराना की सियासत दो-तीन लोगों के इर्द-गिर्द ही रही है। 1977 से 2017 के बीच हुकुम सिंह, मुनव्वर हसन, राजेश्वर बंसल, बशीर अहमद और अब नाहिद हसन विधायक रहे।

कांटे की सीट
कैराना की सीट हमेशा से ही कांटे की रही। मुसलिम आबादी यहां काफी है। इसलिए, यहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हावी रहता है। हार जीत का अंतर भी कम रहता है। वोट प्रतिशत में यही स्थिति है। कैराना जैसी सीट पर भाजपा कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। वह यहां की सर्वाधिक जीत हासिल करने वाली पार्टी है। 1996 से 2012 तक उसका ही कब्जा रहा।

पलायन मुद्दा मुफीद रहा
भाजपा में आने के बाद हुकुम सिंह ने पलायन को मुद्दा बनाया। उस वक्त यहां के कारोबारियों ने आरोप लगाया कि उनसे रंगदारी मांगी जाती है। कुछ लोगों ने अपने मकानों पर 'मकान बिकाऊ' भी लिख दिए। हुकुम सिंह ने संसद में इस मुद्दे को उठाकर भाजपा को वेस्ट यूपी में फायदा पहुंचा दिया।

वही कॉलोनी, वही पलायन
गृहमंत्री अमित शाह का दौरा उसी टीचर्स कॉलोनी से शुरू हुआ, जहां के लोगों ने किसी वक्त हुकुम सिंह से खराब कानून-व्यवस्था की शिकायत की थी। तभी वहां पलायन का मुद्दा गर्माया था। पलायन को मुद्दा बनाने वाले बाबू हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को भाजपा ने फिर टिकट दिया है। सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी नाहिद हसन के जेल जाने के बाद उनकी बहन इकरा हसन ने भी पर्चा भरा है। 2017 की तरह ही कैराना भाजपा और सपा के बीच संग्राम के आसार हैं।

पलायन से पहले के परिणाम
वर्ष 2012 विस 403

सपा 224
बसपा 80

भाजपा 47
कांग्रेस 28

रालोद 9

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