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Hindi News उत्तर प्रदेशजहां जिला न्यायालय नहीं, वहां इंटीग्रेटेड कोर्ट बिल्डिंग बनेगी, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की 150वीं वर्षगांठ पर बोले सीएम योगी

जहां जिला न्यायालय नहीं, वहां इंटीग्रेटेड कोर्ट बिल्डिंग बनेगी, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की 150वीं वर्षगांठ पर बोले सीएम योगी

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में जहां जिला न्यायालय नहीं बने हैं, वहां सरकार ने इंटीग्रेटेड कोर्ट बिल्डिंग बनाने के साथ जिला व कमिश्नरी मुख्यालयों को इंटीग्रेटेड बनाने का निर्णय लिया है।

जहां जिला न्यायालय नहीं, वहां इंटीग्रेटेड कोर्ट बिल्डिंग बनेगी, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की 150वीं वर्षगांठ पर बोले सीएम योगी
Dinesh Rathourविधि संवाददाता,प्रयागराजFri, 03 Feb 2023 10:33 PM
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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में जहां जिला न्यायालय नहीं बने हैं, वहां सरकार ने इंटीग्रेटेड कोर्ट बिल्डिंग बनाने के साथ जिला व कमिश्नरी मुख्यालयों को इंटीग्रेटेड बनाने का निर्णय लिया है। यह केवल यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्था का बेहतर मॉडल बनेगा। उन्होंने बताया कि इस न्यायिक व प्रशासनिक व्यवस्था के लिए तेजी से कार्य चल रहा है। 

योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को यहां हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के 150वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिलों में अधिवक्ताओं के लिए अच्छे चैंबर बनाने के लिए सरकार ने प्रस्ताव मांगे हैं, ताकि न्याय पालिका और अधिवक्ताओं के प्रति वादकारी का विश्वास और मजबूत हो क्योंकि वादकारी अधिवक्ता पर भाई से अधिक भरोसा करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हाईकोर्ट न्याय का मंदिर है, जिसकी ओर प्रदेश का हर पीड़ित-प्रताड़ित व्यक्ति आशा भरी निगाहों से देखता है। यूपी का प्रत्येक नागरिक न्याय की अभिलाषा में प्रयागराज आता है। जब कोई अपनों से पीड़ित-प्रताड़ित होता है, आस व विश्वास खो देता है तो आशा भरी निगाहों से न्याय के इस मंदिर की ओर देखता है। यहां से मिली राह जीवन की नई राह होती है। बार-बेंच का यह समन्वय इसे प्रस्तुत करने का कार्य कर रहा है।

अपनों से ठुकराए भी आप पर ही विश्वास करते हैं

सीएम ने कहा कि गरीब विश्वास से आता है लेकिन टूटे चेंबर देख उसे आशंका होती है कि सही जगह आया हूं कि नहीं। इसीलिए शासन वकीलों के लिए अच्छे चेंबर बनाना चाहता है। ताकि वह गरीब को न्याय दिलाने का सशक्त माध्यम बने। बैठने की अच्छी व्यवस्था से वादकारी का विश्वास बनता है। बहुत लोग अपनों से ठुकराए होते हैं। भाई-भाई के छोटे विवाद बैठकर भी हल हो सकते हैं, लेकिन स्थिति ऐसी हो जाती है कि वह न्यायालय आता है, वह भाई पर विश्वास नहीं करता, लेकिन अधिवक्ता पर विश्वास करता है। यह बहुत बड़ी पूंजी है, इसे संजोए रखना होगा। इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए शासन ने पैसा उपलब्ध कराया है, कई जगह प्रस्ताव मांगे हैं। न्यायपालिका व कार्यपालिका मिलकर सही व सस्ता न्याय कैसे दिला सकते हैं, इस पर प्रयास करना होगा। 

अधिवक्ता समुदाय ने देश को नेतृत्व दिया है

सीएम ने कहा कि आजादी की लड़ाई में अधिवक्ता समुदाय ने न केवल भाग लिया, बल्कि देश को नेतृत्व भी दिया। देश की आजादी को नई दिशा देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी रहें हों या संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद, संविधान सभा के कार्यकारी अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा रहे हों या संविधान को स्वरूप देने वाले शिल्पी बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू रहे हों या सरदार वल्लभ भाई पटेल। देश का हर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, जो जुल्म की परवाह किए बिना लगातार आजादी के लिए लड़ता रहा, उसमें अधिवक्ता समुदाय अग्रणी भूमिका में रहा है। इस पुरातन पहचान को फिर से आगे किए जाने की आवश्यकता है।

लोक अदालत में जितने मुकदमों का निस्तारण हुआ था, उनमें से आधे यूपी के

मुख्यमंत्री ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हर क्षेत्र में देश को नेतृत्व दिया है। पिछले दिनों दिल्ली में मुख्यमंत्रियों व चीफ जस्टिस की बैठक के दौरान देश में लोक अदालत का यह परिणाम सामने आया कि देश में जितने मुकदमों का निस्तारण हुआ था, उनमें से आधे से अधिक यूपी के थे। यानी यूपी में पहले भी यह क्षमता थी और आज भी है। 

मनन होना चाहिए कि हमने क्या खोया-क्या पाया

सीएम ने कहा कि जब मुझे यहां के लिए आमंत्रण मिला तो मैंने पूछा कि यह कार्यक्रम सिर्फ बार का है या बेंच भी है। बताया गया कि इस कार्यक्रम में सभी सहभागी रहेंगे। मुझे प्रसन्नता है कि यह कार्यक्रम मिलकर गौरवपूर्ण 150 वर्ष के अवलोकन का अवसर प्रदान कर रहा है। इन वर्षों में क्या खोया, क्या पाया, इस पर मनन करना चाहिए। यह देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो चिंतन हुआ कि क्या खोया, क्या पाया। अमृत काल में भारत को दो उपलब्धियां मिली हैं। ब्रिटेन को पछाड़कर भारत पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना, दूसरा अमृतकाल में भारत को जी-20 की अध्यक्षता का सौभाग्य मिला।

बार के लिए जो मांगेंगे, वह 25 करोड़ जनता के हित में होगा 

सीएम ने कहा कि आप बार के लिए जो भी मांगेंगे, वह यूपी की 25 करोड़ जनता के हित में होगा। सीएम व मुख्य न्यायाधीश की बैठक में न्यायपालिका के इंफ्रास्ट्रक्चर व सही-सस्ते न्याय दिलाने की चर्चा होती है। शासन-न्यायपालिका की भी यही मंशा है, जब बार उससे जुड़ जाता है तो तेजी से इसे बढ़ाने में मदद मिलती है। हम यहां मल्टीलेवल पार्किंग की व्यवस्था होने जा रही है। शासन ने राशि उपलब्ध करा दी है। इसके पूर्ण होते ही 2500 चेंबर बनाने और 10 हजार अधिवक्ताओं के बैठने की व्यवस्था होगी। 

राष्ट्रपति होकर भी राजेंद्र प्रसाद ने नहीं छोड़ी विरासत 

सीएम ने कहा कि शासन ने यहां पहले ही नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की सहमति दे दी है। प्रयागराज न्याय व शिक्षा की धरती है, इसलिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर अच्छी लॉ यूनिवर्सिटी होनी चाहिए। प्रयागराज में जब कुंभ में जाता हूं तो प्रेसिंडेट सूट देखता हूं कि क्या कोई राष्ट्रपति कुंभ के समय आते हैं तो पता चलता है कि कई राष्ट्रपति आए, लेकिन कल्पवास के लिए केवल राजेंद्र प्रसाद यहां आते थे, इस पद पर होकर भी उन्होंने विरासत को नहीं छोड़ा।

अधिवक्ताओं के हित में सरकार ने किए कई कार्य 

सीएम ने कहा कि अधिवक्ताओं से जुड़ी कई घोषणाएं पहले हुई थीं। आकस्मिक मृत्यृ पर आर्थिक सहायता देने की व्यवस्था 60 से बढ़ाकर 70 वर्ष करने का निर्णय लिया गया है। अधिवक्ता कल्याण निधि में पंजीकरण के 30 वर्ष की सदस्यता पूर्ण होने पर त्यागपत्र या मृत्यु होने पर आश्रित को डेढ़ लाख से पांच लाख कर दी है। युवा अधिवक्ताओं को शुरुआती तीन वर्ष में पुस्तक-पत्रिका क्रय करने के लिए दी जाने वाली राशि वित्तीय स्वीकृति संबंधी आदेश जारी किए जा चुके हैं। सामाजिक सुरक्षा निधि योजना के तहत मृत्यु के दावे के रूप में 2017-18 से 31 जनवरी 23 तक 13 करोड़ 37 लाख 92 हजार से अधिक भुगतान राशि न्यासी समिति की ओर से की जा चुकी है। मृतक अधिवक्ताओं के उत्तराधिकारियों को इस दौरान आर्थिक सहायता के रूप में 111 करोड़, 81 लाख 50 हजार रुपये का भुगतान किया गया है।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे मुख्य न्यायमूर्ति राजेश ने कहा कि हम सोचते हैं कि देश ने हमारे लिए क्या किया। पर हमें यह भी सोचना चाहिए कि हमने देश के लिए क्या दिया। हम अगर यह सोचकर आगे बढ़ेंगे तो फिर हमारे लिए कोई भी मुकाम मुश्किल नहीं होगा। यहां अब तक मैंने देखा कि किसी भी वकील ने मिसबिहैव नहीं किया, जो यह दर्शाता है कि यहां कितनी हंबलनेस है और वह यहां की धरती की खासियत है। चीफ जस्टिस ने कहा कि अधिवक्ता के रूप में देश और वादकारियों के प्रति हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हमें केवल इतिहास नहीं देखना है बल्कि हमें उसे और आगे शिखर पर लेकर जाना है। इसके लिए हमें गाइडेंस इतिहास से मिलेगी। यह यहां की युवा पीढ़ी पर ज्यादा है।

मैंने शांतिभूषण जी के सानिध्य में काम किया है। बहुत कुछ सीखा उनसे। युवा वकीलों को सीनियर एडवोकेट से सीखना चाहिए। लेकिन यह हम कैंटीन में बैठकर चाय पीने से नहीं सीख सकते हैं, इसके लिए फ्री टाइम में कोर्ट में बैठकर सीनियर्स को देखना होगा कि वह कैसे अपने केस को प्रस्तुत करते हैं, कैसे बहस करते हैं, कैसे कोर्ट ने सवालों का जवाब देते हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए बहुत गौरव की बात है कि एक ही व्यक्ति को राष्ट्रपिता की उपाधि मिली और वह महात्मा गांधी हैं वो भी एक अधिवक्ता ही थे। उनका क्या सम्मान था, यह हम सभी जानते हैं। स्वतंत्रता आंदोलन में जिन वकीलों ने सक्रिय योगदान दिया, वे भी वे थे जो बड़ी अच्छी अच्छी फैमिली से थे। लेकिन उन्होंने देश के लिए सेल्फ लेस सर्विस की। कोविड काल में भी हमने फ्रंट लाइन वर्कर की तरह काम किया, बार ने उसमें पूरा सहयोग दिया और उसी का नतीजा था कि सबसे पहले इस हाईकोर्ट में खुली अदालत में काम शुरू हुआ।

डिग्निटी मेंटेन करें, फ्लाई ओवर के नीचे न बैठें 

न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने कहा कि नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने उनसे पूछा कि आपके यहां अधिवक्ता फ्लाईओवर के नीचे बैठते हैं तो मैं उनको जवाब नहीं दे सका। उन्होंने कहा कि यह अच्छा नहीं है। यही हमारी डिग्निटी के भी खिलाफ है। हमें अपनी डिग्निटी भी थोड़ी मेंटेन करनी चाहिए।

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के मुकदमों को लेकर यूपी का नाम सबसे ऊपर था और हमें यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि हमारे न्यायिक अधिकारियों की मेहनत से अब यूपी का नाम वहां से हट गया है। अब महाराष्ट्र व पश्चिम बंगाल ऊपर हैं। हम भी बार के हैं, बार से अलग नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि मैं तो कहता हूं कि हम सिक्के के दो नहीं एक ही पहलू हैं क्योंकि अगर बार उन्नति करेगी तो वहीं से अच्छे जज आएंगे। हम एक सिस्टम से हैं और हमें मिलकर जनता को न्याय दिलाने का काम करना होगा।

अनावरण किया

मुख्यमंत्री ने समारोह में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे केशरीनाथ त्रिपाठी, कर मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता रहे भरतजी अग्रवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता एससी बुधवार और महाधिवक्ता रहे आरपी गोयल के तैल चित्रों का अनावरण किया। उन्होंने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के संशोधित बाईलाज का भी अनावरण किया। प्रारंभ में मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर, जस्टिस मनोज मिश्र और महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री व अन्य अतिथियों ने गुब्बारे व कबूतर छोड़े। एसोसिएशन के पदाधिकारियों व गवर्निंग काउंसिल सदस्यों ने सभी का बुके भेंटकर स्वागत किया। अध्यक्ष राधाकांत ओझा व महासचिव एसडी सिंह जादौन ने मुख्यमंत्री को स्मृतिचिह्न भेंट किया। अंत में महासचिव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके बाद मथुरा के कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
 

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