बुलंदशहर हिंसा: दो बार मौत को मात देकर वापस लौट आए थे सुबोध, राष्ट्र सेवा का था जुनून
अदम्य साहस और जाबांजी का परिचय दे चुके शहीद सुबोध कुमार राठौर की राह कई बार हमलों के बाद भी अलग नहीं हुई। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार राठौर ने दो बार मौत के पंजे से वापस अपनी जिंदगी छीन लाए थे। पुलिस के...
अदम्य साहस और जाबांजी का परिचय दे चुके शहीद सुबोध कुमार राठौर की राह कई बार हमलों के बाद भी अलग नहीं हुई। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार राठौर ने दो बार मौत के पंजे से वापस अपनी जिंदगी छीन लाए थे। पुलिस के प्रति सम्मान, देशभक्ति ही थी कि सुबोध ने पुलिस की राह पकड़ी।
पत्नी रजनी राठौर ने बताया कि एक बार पहले भी पति पर हमला हुआ था। गोली गर्दन के पास लगी थी। उपचार के दौरान पति सही हो गए। इसके बाद भी उनपर हमले हुए थे। दो बार मौत को मात देकर पति सुबोध वापस लौट आए थे। सुबोध राठौर से पहले इनके पिता रामप्रताप भी पुलिस विभाग में दरोगा थे और भाई अतुल कुमार रिटायर्ड सैनिक हैं। वहीं इनके चाचा रामअवतार भी एसआई पद से रिटायर्ड थे। सुबोध को पहली बार गोली मुजफ्फनर में लगी थी। दूसरी बार मेरठ में बदमाशों ने मोर्चा लेते समय घायल हो गए थे।
पिता से काफी तेज, जाबांज इंस्पेक्टर थे सुबोध
गांव वालों ने बताया कि पिता रामप्रताप से भी ज्यादा जाबांज इंस्पेक्टर सुबोध कुमार थे। उनके बहादुरी के किस्से में गांव में काफी हुआ करते थे। उन्होंने कई बार बदमाशों को पकड़ा था और उन्हे सबक सिखाया था।
इंस्पेक्टर की पत्नी का ऐलान- इंसाफ न मिला तो गोली मार करूंगी आत्महत्या