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मंदी की चिंताओं के बीच देश की मौजूदा अर्थव्‍यवस्‍था पर एन.आर.नारायणमूर्ति ने गोरखपुर में कही ये बात

पद्मविभूषण एनआर नारायण मूर्ति ने कहा कि 300 साल में पहली बार है, जब हम आत्मविश्वास जगाने वाली अर्थव्‍‍‍यवस्था के मुकाम पर हैं। हम गरीबी से पार पाने और हर भारतीय के लिए बेहतर भविष्य का...

मंदी की चिंताओं के बीच देश की मौजूदा अर्थव्‍यवस्‍था पर एन.आर.नारायणमूर्ति ने गोरखपुर में कही ये बात
हिन्‍दुस्‍तान टीम ,गोरखपुरThu, 22 Aug 2019 05:35 PM
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पद्मविभूषण एनआर नारायण मूर्ति ने कहा कि 300 साल में पहली बार है, जब हम आत्मविश्वास जगाने वाली अर्थव्‍‍‍यवस्था के मुकाम पर हैं। हम गरीबी से पार पाने और हर भारतीय के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि कड़ी मेहनत करें तो गरीब बच्चों के आंसू पोंछ सकेंगे, जैसा बापू चाहते थे। 

वह गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय के चौथे दीक्षान्‍त समारोह में बोल रहे थे। उन्‍होंने कहा कि आज के युवा चारों ओर छाए अंधेरे को मिटाने को तैयार हैंं। सबके लिए देश को बेहतर बनाने की ऊर्जा उनमें है। उन्होंने एमएममएमयूटी में उपाधि प्राप्त कर रहे युवा इंजीनियरों को बधाई देते हुए कहा कि आप उन चंद सौभाग्यशालियों में हैं, जिन्हें भारत के विवि से शिक्षा पूरा करने का अवसर मिला है। अब इसका इस्तेमाल भारत के सभी नागरिकों को बेहतर भविष्य देने के लिए करें। सैकड़ों सालों तक भारत को वैश्विक समुदाय से इतना सम्मान नहीं मिला, जितना आज मिल रहा है। 

दुनिया ने पहले कभी नहीं सोचा कि भारत मसालों के अलावा विश्व को अन्य योगदान भी दे सकता है। इस साल हमारी अर्थ व्यवस्था छह से सात फीसदी की दर से बढ़ रही है। भारत दुनिया में सॉफटवेयर विकास का केन्द्र बन गया है। हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 400 बिलियन डालर को पार कर गया है। आज निवेशकों का आत्मविश्वास ऐतिहासिक रूप से बढ़ा है। बाहर से अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत में कभी भी इतना तेज नहीं था। हमारे स्टॉक एक्सचेंज बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। फोर्ब्स मैगजीन के अनुसार खरबपतियों की संख्या भारत में बढ़ रही है। यह सब बहुत अच्छा है लेकिन दूसरी ओर एक दूसरा भारत भी है, जो तेजी से गरीबी की खाई में जा रहा है। वहां अशिक्षा, खराब सेहत, कुपोषण भविष्य के लिए नाउम्मीदी और आत्मविश्वास की कमी दिख रही है। जबकि उसकी कोई गलती नहीं है। 350 मिलियन भारतीय लिख पढ़ नहीं सकते। 

200 मिलियन से ज्यादा भारतीयों की पहुंच शुद्ध पेयजल तक नहीं है। 750 मिलियन भारतीय शौचालय की सुविधा से महरूम हैं। आश्चर्य नहीं कि हम करप्शन में बहुत ऊपर हैं। प्राथमिक व उच्च शिक्षा में हमारा रिकार्ड अच्छा नहीं है। इन सबके बावजूद हमने एक ऐसा माहौल बनाया है, जिसमें उज्जवल, आदर्शवादी व आत्मविश्वास से भरे हुए युवा हैं, जो 20 की उम्र में दुनिया से मुकाबला करने को तैयार होते हैं मगर जब 40 साल के होते हैं तो निराश, स्वकेन्द्रित व दुखी व्यक्ति के तौर पर जाने जाते हैं। 

युवा दोस्तों,यह देश को महान बनाने का तरीका नहीं है। देश के संस्थापकों के सपनों का भारत बनाने के लिए हर भारतीय में आदर्श, आत्मविश्वास, उम्मीद, ऊर्जा व चाहत को अनिवार्य रूप से होना चाहिए। ऐसा हुआ तो हम सारी समस्याओं का हल निकाल पाएंगे। अगले 30 साल में 50-60 साल के ऐसे लोग होंगे, जो मेरे जैसे 74 साल के इंसान से अलग होंगे। वह आत्मविश्वास व उम्मीद से लबरेज होंगे। विकसित भारत का निर्माण करेंगे, जहां गरीबी, कुपोषण, अशिक्षा व बीमारी आदि की समस्या नहीं होगी। दुनिया से वह अपने व देश के लिए सम्मान हासिल करेंगे। यह परिवर्तन आसान नहीं है। यह दुर्लभ अवसर मिला है। हम जब विद्यार्थी थे तो ऐसे अवसर नहीं थे। हम सबसे पहले भारतीय हैं, बाद में राज्य, जाति या धर्म का स्थान है। काबिलियत का सम्मान करना होगा। जो शिक्षा ली है उसी अनुसार उत्साहपूर्वक अपनी भूमिका निभाएं। सफलता के लिए हर स्तर पर अनुशासन का पालन करना होगा। पूर्वाग्रह, अहंकार को हटाना होगा। देशहित सर्वेपरि है। लगातार कड़ी मेहनत करनी होगी। खुद को उदाहरण के तौर पर पेश करके ही हम दूसरों को बेहतर सलाह दे सकते हैं। 

सरकार को चाहिए कि वह इन्‍टरपेन्‍योरर्स की बाधाएं खत्‍म करे ताकि रोजगार के अधिक से अधिक अवसर पैदा हों। अर्थव्यवस्था की नीतियों को विशेषज्ञता पर आधरित रखना होगा न कि लोकलुभावन। राष्‍ट्रीय ध्‍वज के नीचे खड़े होकर 'मेरा भारत महान' व 'जय हो' कहना असान है लेकिन इस रास्‍ते पर चलकर सच्‍ची देशभक्ति निभाना थोड़ा कठिन। मुझे युवाओं पर पूरा भरोसा है। ईश्‍वर से प्रार्थना है कि आपको समस्याओं के समाधान की क्षमता और सबसे बढ़कर ऐसा चरित्र दें जो भारत को सफलता के शिखर पर ले जाए। देश को आपसे बहुत उम्मीदें हैं। 

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