शादियों पर महंगाई की मार: 1500 वाली गुलाब की पंखुड़ी की जयमाला इस बार 15 हजार में
शादियों को यादगार बनाने के लिए हर कोई कुछ न कुछ जतन कर रहा है। ऐसे में कई जोड़े गुलाब की पंखुड़ी की बनी जयमाला को एक दूसरे को पहनाकर एक दूजे के हो रहे हैं। आठ से दस घंटे की कड़ी मेहनत से तैयार होने...
शादियों को यादगार बनाने के लिए हर कोई कुछ न कुछ जतन कर रहा है। ऐसे में कई जोड़े गुलाब की पंखुड़ी की बनी जयमाला को एक दूसरे को पहनाकर एक दूजे के हो रहे हैं। आठ से दस घंटे की कड़ी मेहनत से तैयार होने वाले जयमाला की कीमत 10000 से लेकर 15000 रुपये तक है। बंगाल के कारीगरों के हाथों तैयार होने वाली जयमाला हाथों हाथ बिक रही है। हालांकि पिछले साल इस तरह की जयमाला डेढ़ हजार तक में मिल जाती थी।
अप्रैल और मई महीने में कोरोना से टली शादियां नवंबर और दिसम्बर महीने में हो रही हैं। चुनिंदा लगन में एक दिन में 600 से 1000 शादियां हो रही हैं। बंपर शादियों में कैटर्स से लेकर बैंड बाजा वालों की खूब मांग है। फूलों का कारोबार करने वालों की भी चांदी है। फूलों के कारोबारी समीर राय कहते हैं कि ‘शादियों के सीजन में सजावट के लिए प्लास्टिक के फूलों की मांग रहती थी। लेकिन चीन में दिक्कत से आयात नहीं हो रहा है। ऐसे में प्राकृतिक फूलों की मांग तो बढ़ी ही है, कीमतें भी बढ़ी हैं।’ शादियों में सर्वाधिक क्रेज गुलाब की पंखुड़ी की जयमाला की है।
यह जयमाला 10000 से लेकर 15000 रुपये में तैयार होती है। हजारीपुर में फूलों के कारोबारी पंकज सैनी का कहना है कि ‘बंगाल के कारीगर गुलाब की पंखुड़ी से जयमाला बनाने के एक्सपर्ट होते हैं। एक माला बनाने में 8 से 10 घंटे लगते हैं। महीन कारीगरी के चलते इसकी कीमत भी अधिक है। गोरखपुर और आसपास के जिलों में इन दिनों 50 से 100 गुलाब की पंखुड़ी की जयमाला की डिमांड है।’ फूलों के कारोबारी संतोष कुमार बताते हैं कि ‘जयमाला वैसे तो 500 रुपये में भी उपलब्ध है। लेकिन बड़ा वर्ग 3000 से 5000 रुपये की जयमाला खरीदता है। फूलों की महंगाई से कीमतों में दोगुने से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल 1000 से 1500 रुपये में अच्छी जयमाला मिल जाती थी।’
दिल्ली, कोलकाता और वाराणसी से आती है जयमाला
जयमाला की बड़ी खेप दिल्ली और वाराणसी से आती है। जयमाला खराब न हो इसे लेकर विशेष पैकेट में इसे मंगाया जाता है। विशेष पैकेट में रखी जयमाला चार से पांच दिन तक सुरक्षित रहती है। फूल कारोबारी समीर राय का कहना है कि 50 फीसदी जयमाला की खपत दिल्ली और वाराणसी से पूरी होती है। शेष जयमाला गोरखपुर में ही कारीगरों द्वारा तैयार होते हैं। यहां की जयमाला नेपाल से लेकर बिहार तक जाती है। जयमाला की कीमत फूलों के साथ ही इसकी लंबाई से तय होती है। फूलों के कारोबारी जितेन्द्र सैनी बताते हैं कि ‘जयमाला की मांग बढ़ी है। गुलाब के फूल की जयमाला दिल्ली से, गुलदाउदी का लखनऊ से और रजनीगंधा की जयमाला कोलकाता से आ रही है।’
महंगाई की मार
-बंगाल के कारीगर आठ से दस घंटे में तैयार करते हैं एक माला
-शादी में 500 से 15000 रुपये तक में बन रही एक जोड़ी जयमाला, गोरखपुर में रोज 500 से 1000 जयमाला की बिक्री
-दिल्ली और वाराणसी से विशेष बैग में आ रही है रेडीमेड जयमाला
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