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यूपी के इस थाने में थानेदार से ज्यादा मुर्गी-मुर्गा की खातिरदारी, दामाद की तरह रखते हैं ख्याल

प्रतापगढ़ के बाघराय थाने का अजब ही किस्सा है। यहां पिछले कई वर्षों से मुर्गा-मुर्गी की बादशाहत चल रही है। मुर्गा मुर्गी का दामाद की तरह ख्याल रखा जाता है।बीमार न पड़ जाएं इसका ध्यान रखा जाता है।

यूपी के इस थाने में थानेदार से ज्यादा मुर्गी-मुर्गा की खातिरदारी, दामाद की तरह रखते हैं ख्याल
Yogesh Yadavसंजीव पाण्डेय,प्रतापगढ़Thu, 03 Aug 2023 03:34 PM
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यूपी में कई थानों से अजब गजब किस्स जुड़े हुए हैं। वाराणसी के कोतवाली में कोतवाल की कुर्सी पर काल भैरव विराजते हैे और कोतवाल बगल में बैठते हैं। महाराजगंज की कोतवाली में भी कोतवाल अपने चैंबर में नहीं बैठते हैं। इसी तरह प्रतापगढ़ के बाघराय थाने का अजब ही किस्सा है। यहां पिछले कई वर्षों से मुर्गा-मुर्गी की बादशाहत चल रही है। मुर्गा मुर्गी का दामाद की तरह ख्याल रखा जाता है। दोनों बीमार न पड़ जाएं इसका खास ध्यान रखा जाता है। थाने में तैनात पुलिसकर्मी ऐसा मानते हैं कि अगर मुर्गा-मुर्गी बीमार पड़ गए या नाराज हो गए तो थाना क्षेत्र में घटनाएं बढ़ जाएंगी। इसलिए पुलिसकर्मी थानाध्यक्ष से अधिक ख्याल मुर्गा-मुर्गी का रखते हैं। इनके खाने-पीने का विशेष ख्याल रखा जाता है। दोनों पूरे थाना परिसर में घूमते रहते हैं इस दौरान पुलिसकर्मियों की इन पर बराबर नजर बनी रहती है। 

बाघराय थाना जिस काजी की जमीन पर बना है उन काजी और उनकी पत्नी के सम्मान में मुर्गा-मुर्गी को रखा गया। जब से थाना चालू हुआ तब से यहां मुर्गा-मुर्गी को पाला गया है। पुलिसकर्मी इनकी सेवा में कोई चूक नहीं करते क्योंकि यहां तैनात रहे पुलिसकर्मियों को ऐसा आभास हुआ कि जब ये मुर्गा-मुर्गी बीमार हो जाते हैं तो थाना क्षेत्र में अपराध की घटनाएं बढ़ जाती है।

यह किस्सा प्रचलित हो गया और फिर यहां तैनात होने वाले पुलिसकर्मियों के लिए यह मान्यता जैसी बन गई। घटनाएं बढ़ेंगी तो थाने में तैनात पुलिसकर्मियों की परेशानी बढ़ेगी, मामला ज्यादा बिगड़ने पर पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई तक की नौबत आ सकती है इसलिए पुलिसकर्मी खौफ में इनका खास ख्याल रखते हैं। दोनों अपने मन मुताबिक थाना परिसर में टहलते  रहते हैं। उनके खाने पीने व इलाज का पूरा इंतजाम रहता है। 

मरते ही तुरंत लाया जाता है मुर्गा 

पुलिसवालों के इतना ख्याल रखने के बाद भी कई बार मुर्गा या मुर्गी की मौत हो  जाती है। ऐसे में उसी दिन उसकी जगह पर दूसरा मुर्गा या मुर्गी लाकर थाना परिसर  में पाल लिया जाता है। लोगों का मानना है कि यदि चौबीस घंटे से अधिक समय तक थाना परिसर में मुर्गा-मुर्गी की बांक न गूंजी तो वारदातें इतना तेजी से बढ़ेंगी  कि चारों तरफ पुलिस साइरन की आवाज ही सुनाई देगी। 

जाति धर्म से भी परे है मुर्गा मुर्गी की जोड़ी 

थाने पर चाहे जिस धर्म या जाति के पुलिसकर्मी आएं, मुर्गा-मुर्गी की शान में कोई  कमी नहीं आती। थानेदार के कार्यालय से लेकर आवास तक मुर्गा-मुर्गी की जोड़ी  खेलते-उछलते घुस जाती है। लेकिन क्या मजाल कि कोई पुलिसवाला उनकी तरफ  आंख भी तरेर दे। 

एसपी सतपाल अंतिल का कहना है कि बाघराय थाने पर मुर्गा-मुर्गी की जोड़ी कई सालों से है, पुलिस वाले व अन्य लोग परम्परा के अनुपालन में उनका ख्याल रखते हैं।

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